नेतन्याहू, झूठे और ख़ाली वादों का पुरोधा
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ज़ायोनी प्रधानमंत्री बेन्यामीन नेतन्याहू
पार्सटुडे – एक ज़ायोनी अखबार ने 7 अक्टूबर 2023 के बाद से इज़राइली प्रधानमंत्री के पत्रकारों के साथ हुए साक्षात्कारों की समीक्षा की है।
ज़ायोनी अखबार येदियोत आहरोनोत ने हाल ही में बेन्यामीन नेतन्याहू के एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को आधार बनाते हुए उनके पत्रकारों के साथ हुए वार्तालापों का विश्लेषण किया। नेतन्याहू ने इस कॉन्फ्रेंस में ग़ाज़ा में फैल रही भुखमरी की मीडिया रिपोर्ट्स को "झूठा" बताने की कोशिश की। आइए, इन इन्टरव्यूज़ पर एक नजर डालते हैं:
पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस: हमास का सफाया और बंधकों की वापसी
7 अक्टूबर के तीन हफ्ते बाद, जमीनी हमले की शुरुआत में हुए इस कॉन्फ्रेंस में नेतन्याहू ने दो बड़े वादे किए:
हमास की मुकम्मल तबाही और सभी बंधकों की सुरक्षित वापसी।
दूसरी प्रेस कॉन्फ्रेंस: अंतरराष्ट्रीय दबाव और झूठी दया
युद्ध के 43वें दिन, जब अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने ग़ज़ा में मानवीय संकट पर चिंता जताई, तो नेतन्याहू ने दावा किया कि उन्होंने ग़ाज़ा में सहायता सामग्री भेजने की अनुमति दे दी है लेकिन उनका असली मकसद था, हमास को खत्म करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाना।
दो महीने की चुप्पी और फिर झूठ का पुलिंदा
नेतन्याहू ने अगले दो महीने तक कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं की, लेकिन 2023 के अंत में उन्होंने एक के बाद एक कई बैठकें कीं। इनमें से ज्यादातर में उन्होंने
नरसंहार को सही ठहराने की कोशिश और यूरोपीय नेताओं को जवाब दिया।
उनका कुख्यात बयान:
"हम पर दबाव मत डालो... यह युद्ध सिर्फ हमारा नहीं, तुम्हारा भी है!"
2024 में बदल गया नेतन्याहू का राग
जनवरी 2024 (युद्ध के चौथे महीने) में नेतन्याहू ने पहली बार "खतरों" की बात की और कहा:
"जीत और हार के बीच बस एक बाल का फासला है।"
मार्च 2024 (युद्ध के छठे महीने) में उन्होंने एक जोशीले प्रेस कॉन्फ्रेंस में "पूर्ण विजय" का नारा दिया, जिसे बाद में बार-बार दोहराया गया। उन्होंने दावा किया कि ग़ाज़ा शहर पर कब्जा करने के बाद यह विजय नजदीक है।
जुलाई 2024 में, नेतन्याहू लंबे समय के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में आए और मुख्य रूप से सेना पर यह कहकर आलोचना की कि वह ग़ाज़ा पर पर्याप्त सैन्य दबाव नहीं बना रही है।
इस कॉन्फ्रेंस में, पिछली बार के विपरीत जब उन्होंने कहा था कि ग़ाज़ा पर कब्ज़ा करने से पूरी जीत सिर्फ एक कदम दूर है, इस बार उन्होंने कहा: मुझे लगता है कि सेना के रवैये में बदलाव के साथ, हमारे पास जीत का एक रास्ता हो सकता है!
अगली कॉन्फ्रेंस दो महीने बाद सितंबर में हुई, जब इजरायली सेना की गोलीबारी में राफा में 6 इजरायली बंधक मारे गए। नेतन्याहू ने इस कॉन्फ्रेंस में आंतरिक एकता, फिलाडेल्फिया कॉरिडोर पर कब्ज़े की अहमियत, रफ़ह पर हमले और हमास के पूर्ण विनाश को ही एकमात्र समाधान बताया।
दो दिन बाद, नेतन्याहू ने फिर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की, इस बार विदेशी मीडिया के लिए। एक पत्रकार ने उनसे पूछा कि उन्होंने पहले कहा था कि जीत सिर्फ एक कदम दूर है, तो उन्होंने जवाब दिया: मैंने जो कहा, या जो कहना चाहता था, वह यह है कि हम एक महत्वपूर्ण कदम से दूर हैं जो हमारी जीत का रास्ता साफ करेगा। राफा पर हमला इसी लिए है। इस बार नेतन्याहू ने रफ़ह को जीत की दिशा में एक बड़ा कदम बताया।
अगली कॉन्फ्रेंस 100 दिन बाद दिसंबर 2024 में हुई, जहाँ उन्होंने फिर से "पूर्ण जीत" पर ज़ोर दिया। दिलचस्प बात यह है कि येदियोत अहरोनोत की रिपोर्ट के मुताबिक, इस कॉन्फ्रेंस के बाद नेतन्याहू ने "पूर्ण जीत" शब्द का इस्तेमाल करना बंद कर दिया और उनकी प्रेस कॉन्फ्रेंसों की संख्या भी काफी कम हो गई।
पत्रकारों के साथ अगली बैठक 163 दिन बाद, मई 2025 में उनके कार्यालय में हुई। इस कॉन्फ्रेंस में ट्रंप की ग़ाज़ा की जनसंख्या को जबरन विस्थापित करने की योजना का समर्थन, 20 बंधकों के जीवित होने की घोषणा और कतरगेट मामले पर अपने आलोचकों पर हमला उनके मुख्य बिंदु थे। नेतन्याहू ने यह भी घोषणा की कि "ऑपरेशन गिडियन की शुरुआत हो चुकी है और इसके पूरा होते ही हमास का अंत हो जाएगा।"
पिछले हफ्ते, नेतन्याहू ने दो और प्रेस कॉन्फ्रेंस कीं। जबकि ऑपरेशन गिडियन समाप्त हो चुका है, इस बार उन्होंने ग़ाज़ा पर पूर्ण कब्ज़े की आधिकारिक घोषणा करते हुए कहा: हमास के पास ग़ाज़ा में हजारों सशस्त्र आतंकवादी हैं, और यह संगठन 7 अक्टूबर जैसे अपराधों को बार-बार दोहराना चाहता है। युद्ध को खत्म करने के लिए सिद्धांत हैं, और इसके लिए हमें ग़ाज़ा पर कब्ज़ा करना होगा और हमास को पूरी तरह नष्ट करना होगा।"
कहा जा सकता है कि नेतन्याहू की प्रेस कॉन्फ्रेंस का सार है: पुराने शब्दों को नए शब्दों से बदलना, एक ही वादों को दोहराना, और यह कहना कि "अब हमास को नष्ट करने का समय आ गया है। (AK)
कीवर्ड्ज़: इज़राइल, वेस्टबैंक, फ़िलिस्तीन, ज़ायोनी शासन, हिज़्बुल्लाह, हमास,
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