तेल अवीव का सीरिया के लिए रोडमैप: युद्ध या शर्मनाक आत्मसमर्पण?
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पार्स टुडे - अल जज़ीरा चैनल ने एक रिपोर्ट में चेतावनी देते हुए कहा है कि अमेरिकी सरकार के समर्थन से दक्षिणी सीरिया में इज़राइल की सैन्य हरकतें इस देश को एक व्यापक टकराव के कगार पर ला खड़ा किया है, जिससे दमिश्क के सामने या तो युद्ध या फिर शर्मनाक आत्मसमर्पण का कठोर विकल्प पेश आ गया है।
(last modified 2025-10-22T09:34:29+00:00 )
Oct २१, २०२५ १६:२२ Asia/Kolkata
  • तेल अवीव की सीरिया के लिए रोडमैप: युद्ध या शर्मनाक आत्मसमर्पण?
    तेल अवीव की सीरिया के लिए रोडमैप: युद्ध या शर्मनाक आत्मसमर्पण?

पार्स टुडे - अल जज़ीरा चैनल ने एक रिपोर्ट में चेतावनी देते हुए कहा है कि अमेरिकी सरकार के समर्थन से दक्षिणी सीरिया में इज़राइल की सैन्य हरकतें इस देश को एक व्यापक टकराव के कगार पर ला खड़ा किया है, जिससे दमिश्क के सामने या तो युद्ध या फिर शर्मनाक आत्मसमर्पण का कठोर विकल्प पेश आ गया है।

अल जज़ीरा ने एक विश्लेषणात्मक रिपोर्ट में लिखा है कि सीरिया विशेष रूप से उसके दक्षिणी हिस्से में क़ब्ज़ा धारी इज़राइली सेना की घुसपैठ ने दमिश्क की नई सरकार को गंभीर मुश्किलों में डाल दिया है और इन हरकतों का जारी रहना हालात को और अधिक संकटग्रस्त बना रहा है। पार्स टुडे के अनुसार, सीरिया इज़राइल की पश्चिम एशिया की संरचना बदलने वाली भू-राजनीतिक परियोजना के केंद्र में है; यह एक ऐसी योजना है जो क्षेत्र के देशों के विखंडन और छोटे-छोटे जातीय व कबायली शासनों के निर्माण पर आधारित है। इज़राइली अधिकारियों के बयानों से भी इस लक्ष्य का अनुमान लगाया जा सकता है।

 

इराक़ और तुर्किए के साथ सामाजिक और भौगोलिक जुड़ाव, और ईरान के साथ नस्लीय व कबायली समानताओं के कारण, तेल अवीव की नजर में सीरिया इस योजना को लागू करने के लिए एक आदर्श उदाहरण है। विश्लेषकों का मानना है कि सीरिया की संरचना में कोई भी बदलाव पड़ोसी देशों में भी फैल सकता है।

 

अल जज़ीरा ने सीरिया में इज़राइली परियोजनाओं का भी जिक्र किया है, जैसे दक्षिणी सीरिया में बफर जोन की योजना, अल-स्वैदा प्रांत में मानवीय गलियारा, और "डेविड का गलियारा" नामक परियोजना। इनमें से कुछ योजनाएं कार्यान्वयन के चरण में हैं जबकि कुछ अभी भी सैद्धांतिक स्तर पर ही हैं, लेकिन इज़राइल उन्हें लागू करने के लिए उचित अवसर की तलाश में है।

 

दूसरी ओर, सीरिया की आंतरिक स्थिति की नाजुकता इस देश में हस्तक्षेप के लिए एक प्रोत्साहन का काम कर रही है। तेल अवीव की नजर में, सीरिया अब भी कई उथल-पुथलों को समेटे हुए है। इज़राइली नेताओं की मानसिकता में, सीरिया क्षेत्र में शक्ति संतुलन के लिए एक प्रयोगशाला और नए समीकरणों को लागू करने के लिए एक उपयुक्त मंच के समान है। देश के भीतर विभिन्न गुटों के बीच मतभेद और स्थानीय खिलाड़ियों के बीच राजनीतिक गतिरोध के कारण, इस देश की स्थिति अभी भी विस्फोटक बनी हुई है।

 

सुरक्षा समझौता या ज़मीनी हकीकत थोपना?

 

अल जज़ीरा इस बात पर जोर देता है कि इज़राइल ने सीरिया की स्थिति को दो विकल्पों पर आधारित करके डिजाइन किया है: या तो युद्ध, या फिर शर्मनाक आत्मसमर्पण। इन विकल्पों में गोलान हाइट्स और दक्षिणी सीरिया के विस्तृत क्षेत्र शामिल हैं। तेल अवीव अपनी सैन्य शक्ति और दमिश्क की कमजोरी का हवाला देते हुए, सीरिया की राजधानी और उसके आस-पास के इलाकों पर अपना प्रभुत्व बढ़ाने की कोशिश में है।

 

इसी कड़ी में, इज़राइल दमिश्क के साथ सुरक्षा समझौते पर पहुँचने के लिए लचीलापन दिखाने से इनकार कर रहा है। अल-स्वैदा के लिए एक गलियारा खोलने को भी समझौते से बचने का एक रास्ता बताया गया है। मोसाद के पूर्व अधिकारियों और इज़राइली सेना के सेवानिवृत्त जनरलों का भी कहना है कि इस समय सुरक्षा समझौता इज़राइल के हित में नहीं है, क्योंकि यह सैन्य हरकतों में रुकावट डालता है और बिना किसी लाभ के पीछे हटने को मजबूर करेगा।

 

फिलहाल, दक्षिणी सीरिया पर इज़राइल का क़ब्ज़ा है और दमिश्क भी उसकी जद में है। कुनेतरा और दरआ जैसे महत्वपूर्ण जल स्रोत भी तेल अवीव के नियंत्रण में हैं और सीरिया की ओर से कोई तत्काल खतरा महसूस नहीं किया जा रहा है। इसलिए, इज़राइल को अपनी भू-राजनीतिक उपलब्धियों से पीछे हटने की कोई ज़रूरत नजर नहीं आती।

 

हालांकि, इस स्थिति के जारी रहने से इज़राइल की हरकतें अस्थिर हो रही हैं और दमिश्क में कोई भी सरकार, अगर बातचीत या मध्यस्थता के जरिए इस संकट से बाहर नहीं निकल पाती, तो खुद को मुश्किल विकल्पों के सामने पाएगी। दमिश्क के आस-पास के इलाकों पर इज़राइल के प्रभुत्व के विस्तार ने सीरियाई अधिकारियों के लचीलेपन और व्यावहारिकता को कमजोर कर दिया है और युद्ध की राह को अपरिहार्य बना दिया है।

 

ट्रम्प की सुरक्षा व्यवस्था और अतिक्रमण के आगे खामोशी

 

अल जज़ीरा ने अपनी रिपोर्ट के अंत में क्षेत्रीय घटनाक्रम में ट्रम्प सरकार की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए लिखा है: अमेरिकी सरकार दावा करती है कि वह पश्चिम एशिया में एक नई सुरक्षा व्यवस्था कायम कर रही है जो सोवियत संघ के पतन के बाद बनी व्यवस्था की जगह लेगी। लेकिन यह नई व्यवस्था अंतरराष्ट्रीय नियमों पर नहीं, बल्कि इज़राइल की सुरक्षा हितों पर आधारित है।

 

वहीं, वाशिंगटन तेल अवीव और दमिश्क के बीच सुरक्षा समझौते का समर्थन इज़राइल की शर्तों के तहत कर रहा है, न कि राजनीतिक क्षेत्र और अंतरराष्ट्रीय कानून के नियमों के अनुसार। इसलिए वह सीरिया की नई व्यवस्था पर तेल अवीव के दबाव का विरोध नहीं करेगा और इसका सबूत यह है कि उसने तेल अवीव द्वारा सीरिया की संप्रभुता के उल्लंघन के खिलाफ शब्दों में भी कोई आपत्ति नहीं जताई है। इसका मतलब यह है कि वाशिंगटन पश्चिम एशिया की सुरक्षा व्यवस्था बनाने की प्रक्रिया को इज़राइल के सीरिया संबंधी सुरक्षा हितों से अलग कर रहा है।

 

अल जज़ीरा ने लिखा है कि गज़ा में युद्ध रोकने की ट्रम्प की इच्छा शांति की वास्तविक चिंता के बजाय घरेलू गणनाओं और राजनीतिक लागतों से अधिक प्रेरित है। ऐसे हालात में, इज़राइल में चरमपंथी मंत्रिमंडल का जारी रहना सीरिया और पूरे क्षेत्र की स्थिरता के लिए सबसे बड़ा ख़तरा बना हुआ है। (AK)

 

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