बहरैनी लोगों को धार्मिक स्वतंत्रता भी नहीं है।" सामिर अलअरबी
जनता तानाशाही सरकार के स्थान पर लोकतांत्रिक सरकार के गठन और भेदभाव को समाप्त किये जाने की मांग कर रही है।
बहरैन के सबसे बड़े विपक्षी दल अलवेफाक़ ने इस देश में जारी संकट के समाधान के लिए "बहरैन घोषणा पत्र" नाम की एक योजना पेश की है। इस योजना में 13 मुख्य मानवीय बातें हैं।
इस योजना की कुछ बातें इस प्रकार हैं" बीच का रास्ता और देश के संचालन में सबकी भागीदारी। इसी प्रकार बहरैन घोषणा में इस देश के नागरिकों के अधिकारों पर बल दिया गया है और हर प्रकार की हिंसा का विरोध किया गया है।
बहरैन संकट के समाधान के लिए यह घोषणा पत्र ऐसी स्थिति में जारी किया गया है जबकि इस देश के संचार माध्यम बहरैनी सैनिकों की ओर से लोगों के घरों के अंदर घुसकर सीधी फायरिंग की सूचना दे रहे हैं।
बहरैनी संकट फरवरी 2011 से जारी है। इस देश की जनता तानाशाही सरकार के स्थान पर लोकतांत्रिक सरकार के गठन और भेदभाव को समाप्त किये जाने की मांग कर रही है।
बहरैन में समस्त राजनीतिक गतिविधियों पर प्रतिबंध है और इस देश की सरकार का संचालन कुछ क़बीलों के हाथ में है।
मानवाधिकार के एक कार्यकर्ता सामेअ अलअरबी ने बहरैन की तानाशाही सरकार द्वारा किये जा रहे अपराधों पर विश्व समुदाय की प्रतिक्रिया की ओर संकेत करते हुए बल देकर कहा है कि इस सरकार ने बहरैनी जनता के विरुद्ध अपराधों में हर सीमा को पार कर दिया है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि बहरैन में किसी प्रकार की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं है। बहरैन के लोगों को शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन के आयोजन की भी अनुमति नहीं है यहां तक कि बहरैनी लोगों को धार्मिक स्वतंत्रता भी नहीं है।"
शोचनीय बिन्दु यह है कि बहरैन की आले ख़लीफा सरकार ने इस देश की जनता की आवाज़ सुनने के बजाये सऊदी अरब और संयुक्त अरब इमारात जैसे कुछ देशों के समर्थन से जनता के दमन में वृद्धि कर दी है।
आले ख़लीफा की तानाशाही सरकार ने नागरिकों के अधिकारों की उपेक्षा करके इस देश की सरकार और जनता के मध्य दूरी को अधिक कर दिया है।
बहरहाल "बहरैन घोषणा पत्र" में देश के नागरिकों के अधिकारों पर ध्यान दिया गया है और अगर इस देश की तानाशाही सरकार इस पर अमल करती है तो यह घोषणा पत्र देश में जारी संकट के समाधान की दिशा में भूमिका सिद्ध हो सकता है। MM