गोलान पर इस्राईली अधिकार का युरोप ने विरोध किया
अपने पड़ोसियों पर हमला और उनकी भूमियों पर क़ब्ज़े का इस्राईल का पुराना इतिहास रहा है। इस्राईल ने सन 1967 में अरबों के साथ हुए युद्ध में गोलान की पहाड़ियों पर क़ब्ज़ा कर लिया था।
इस्राईली संसद से सन 1981 में इस इलाक़े को इस्राईल का हिस्सा क़रार दे दिया था हालांकि संसद का यह फैसला, अंतरराष्ट्रीय नियमों और सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 242 का खुला उल्लंघन था क्योंकि इस प्रस्ताव में गोलान को अवैध अधिकृत कहा गया है और इस्राईल से मांग की गयी है कि वह यह क्षेत्र सीरिया के हवाले करे। इन सब के बावजूद इस्राईल और अमरीका ने गोलान को इस्राईल में शामिल करने के लिए व्यापक स्तर पर प्रयास आरंभ कर दिया है। अमरीकी राष्ट्रपति ने 21 मार्च को एक ट्विट करके कहा कि अब गोलान पर इस्राईली क़ब्ज़े को मान्यता देने का समय आ गया है। 52 वर्षों के बाद अब समय आ गया है कि जब अमरीका गोलान पर इस्राईल के क़ब्ज़े को पूर्ण रूप से मान्यता दे। ट्रम्प के इस क़दम का इस्राईल ने स्वागत किया और नेतेन्याहू ने कहा कि एेसे समय में कि जब ईरान सीरिया को , इस्राईली को तबाह करने के लिए प्रयोग करने का इरादा रखता है राष्ट्रपति ट्रम्प ने पूरे साहस के साथ गोलान पर हमारे क़ब्ज़े को मान्यता दे रहे हैं। इस्राईल चाहे जितना स्वागत करे किंतु अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अमरीका के इस क़दम का विरोध हो रहा है युरोपीय संघ में विदेश नीतियों की प्रभारी फ्रेड्रीका मोगरेनी की प्रवक्ता ने खुले शब्दों में कहा है कि इस बारे में कि गोलान पहाड़ियों पर किस का अधिकार है , हमारे रुख में कोई बदलाव नहीं आया है , अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुसार युरोपीय संघ, गोलान पहाड़ियों सहित सन 1967 में क़ब्ज़े में लिये गये क्षेत्रों पर इस्राईल के अधिकार को मान्यता नहीं देता और उन्हें इस्राईल का भाग नहीं समझता। इस से पहले तुर्की और रूस ने भी कहा था कि वह किसी भी दशा में गोलान पर इस्राईल के क़ब्ज़े को मान्यता नहीं देंगे। प्रसिद्ध अरब टीकाकार , अब्दुलबारी अतवान कहते हैं कि अमरीका ने गोलान , पश्चिमी तट और गज़्ज़ा पट्टी पर क़ब्ज़े से " अवैध" शब्द हटा दिया है।बहरहाल गोलान पहाड़ियां सीरिया की हैं और उसी की रहेंगी, अमरीकी राष्ट्रपति के स्वीकार करने या न करने से उसकी क़ानूनी हैसियत में कोई बदलाव नहीं पैदा होगा अलबत्ता इस से अमरीका और युरोप के मध्य मतभेद का एक और मुद्दा सामने आ गया है। (Q.A.)