चुनाव में हार के बाद नेतनयाहू की पार्टी में संकट
इस्राईल की सत्ताधारी लिकुड पार्टी के सदस्यों ने बिन्यामिन नेतनयाहू की आलोचना की और कहा है कि उन्होंने पार्टी के सदस्यों से मशविरा किए बिना चुनावी प्रक्रिया को आगे बढ़ाया।
लिकुड पार्टी के सदस्यों ने कहा कि नेतनयाहू ने चुनावी प्रचार के दौरान दावा किया था कि वे लिकुड पार्टी को 40 सीट पर विजयी बनाएंगे, जबकि इस पार्टी को सिर्फ़ 30 सीटें मिलीं जो 2 साल के भीतर इस्राईल में चौथे चुनाव का सबसे ख़राब नतीजा है।
इस्राईली टीवी चैनल-12 के मुताबिक़, लिकुड पार्टी के वरिष्ठ सदस्यों ने यह सहमति की थी कि वे ख़ामोश रहेंगे और नेतनयाहू जो कहेंगे उसे करेंगे ताकि वह पार्टी को सत्ता तक पहुंचाएं, लेकिन लगातार पिछले चार चुनावों में ऐसा नहीं हुआ और इस्राईल में पिछले दो साल में एक के बाद एक चार संसदीय चुनाव हुए।
पिछले दो साल में इस्राईल में चौथा संसदीय चुनाव भी इस शासन के भीतर राजनैतिक गतिरोध को दूर नहीं पर पाया और नेतनयाहू के विचारों से सहमत दल बहुमत हासिल नहीं कर पाए। लिकुड पार्टी के नेता नेतनयाहू को इस नाकामी का ज़िम्मेदार मानते हैं।
नेतनयाहू की पार्टी को उन शहरों में भी पिछले चुनाव की तुलना में कम वोट मिले जिन शहरों में उनकी पार्टी का मुख्यालय भी है। जैसा कि अतिग्रहित क़ुद्स में नेतनयाहू को पिछले चुनाव में 28 फ़ीसद वोट मिले थे लेकिन 23 मार्च के चुनाव में वोट घटकर 21 फ़ीसद हो गया। इसी तरह बेरुस्सबा में नेतनयाहू का वोट बैंक 50 फ़ीसद से घटकर 42 फ़ीसद पर पहुंच गया।
दूसरी ओर इस्राईल में आम चुनाव में 1 लाख 25 हज़ार नए वोटरों का नाम वोटर लिस्ट में शामिल हुआ लेकिन वोट डालने वालों की तादाद 1 लाख 80 हज़ार कम रही, जिसका मतलब यह हुआ कि पिछले चुनाव की तुलना में इस बार ढाई लाख वोटरों ने चुनाव में हिस्सा नहीं लिया। (MAQ/N)
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