अमरीका और उसके सहयोगियों के ख़िलाफ़ रूस की जवाबी कार्यवाही
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने सोमवार को अमरीका और उसके कई पश्चिमी सहयोगियों पर प्रतिबंध लगाने वाले आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए। इस डिक्री के मुताबिक़, अमरीका और उसके कई सहयोगियों के ख़िलाफ़ आर्थिक प्रतिबंध लागू किए जाएंगे।
क्रेमलिन से जारी होने वाले एक बयान में कहा गया है कि अमरीका और उसके सहयोगियों की मास्को के ख़िलाफ़ हालिया शत्रुतापूर्ण कार्यवाहियों के जवाब में कुछ विशेष आर्थिक क़दम उठाए गए हैं।
24 फ़रवरी को यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद अमरीका, ब्रिटेन, यूरोपीय संघ, कनाडा, जापान और ऑस्ट्रेलिया ने मास्को के ख़िलाफ़ अभूतपूर्व कड़े प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है, जिसके जवाब में राष्ट्रपति पुतिन ने यह क़दम उठाया है। अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडन का कहना है कि वाशिंगटन और उसके सहयोगी देशों ने मास्को के ख़िलाफ़ इतने कड़े प्रतिबंध लगाए हैं, जिसकी मिसाल तारीख़ में नहीं मिलेगी। इन प्रतिबंधों में आर्थिक, व्यापारिक, बैंकिंग, राजनीतिक और राजनयिक प्रतिबंध शामिल हैं, यहां तक कि समस्त वरिष्ठ रूसी अधिकारियों, कुलीन वर्ग की गणमान्य हस्तियों और रूसी विमानों की उड़ानों तक पर प्रतिबंध लगाए गए हैं। रूसी मीडिया और खिलाड़ियों को भी निशाना बनाया गया है। दर असल, यह कहा जा सकता है कि प्रतिबंधों के दायरे को अधिक बढ़ाने के लिए अब बहुत अधिक गुंजाइश नहीं बची है।
हालांकि, क्रेमलिन लंबे समय से व्यापक पश्चिमी प्रतिबंधों का सामना करने के लिए तैयारी कर रहा है। दो अमरीकी विशेषज्ञों सैम डीन और डेविड पियर्सन ने लॉस एंजिल्स टाइम्स में एक लेख में लिखा है कि अमरीका और उसके सहयोगी सैन्य टकराव का सामना करने के लिए तैयार नहीं हैं, वे यूक्रेन से पीछे हटने पर पुतिन को मजबूर करने के लिए रूस के ख़िलाफ़ कठोर आर्थिक प्रतिबंधों का सहारा ले रहे हैं। लेकिन चीन द्वारा रूस की मदद के संकेतों ने इन प्रतिबंधों को अधिक प्रभावी बनाने से रोक दिया है।
अमरीका और उसके सहयोगियों के इस क़दम के बाद ऐसा अनुमान लगाया जा रहा था कि रूस भी जवाबी कार्यवाही करेगा और पुतिन ने यह क़दम उठाकर अपने विरोधियों को तुर्की ब तुर्की जवाब दिया है। 2021 में रूस दूसरा सबसे बड़ा गैस और तेल उत्पादक रहा है, इसलिए अगर वह पश्चिमी देशों के ख़िलाफ़ गैस और तेल की आपूर्ति को सीमित करता है तो इन देशों को भारी नुक़सान उठाना पड़ सकता है। यूरोपीय देश अपनी ज़रूरत की 40 फ़ीसद गैस रूस से आयात करते हैं। हालांकि वाशिंगटन का कहना है कि अगर रूस, यूरोप के ख़िलाफ़ ईंधन को हथियार के रूप में इस्तेमाल करता है तो वह इसकी भरपाई के लिए तैयार है। वाशिंगटन का दावा है कि तेल और गैस उत्पादक देशों के सहयोग और हमारे रणनीतिक ऊर्जा भंडार ऊर्जा की क़ीमतों को क़ाबू में रख सकते हैं। दर असल यह सिर्फ़ एक दावा है, क्योंकि अगर रूस जवाबी कार्यवाही करता है तो अमरीका और उसके सहयोगियों के पास उसका मुक़ाबला करने के लिए बहुत ज़्यादा विकल्प नहीं बचे हैं। msm