काबुल में होटल पर हमला, तालेबान के सुरक्षा दावे पर सवाल
अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी में एक होटल पर हुए हमले की ज़िम्मेदारी आतंकी गुट दाइश ने स्वीकार की है।
सोमवार को काबुल में विदेशियों के ठहरने वाले होटल पर किये गए आतंकी हमले की ज़िम्मेदारी दाइश ने स्वीकार की है। अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी के इस होटल में वैसे तो विदेशी ठहरते हैं लेकिन यह पर इसको चीनियों के होटल के नाम से जाना जाता है। इस आतंकी हमले में तीन आक्रमकाणी मारे गए जबकि कुछ अन्य लोग घायल हो गए।
हालिया कुछ सप्ताहों के दौरान अफ़ग़ानिस्तान के विभिन्न क्षेत्रों में होने वाली आतंकी कार्यवाहियों को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि इस देश में हालिया दिनों में अशांति में वृद्धि हुई है। इस बात को अनेदखा करते हुए कि यह हमले किन गुटों या फिर किस गुट ने अंजाम दिये, इनसे तालेबान की सुरक्षा के लिए चुनौतियां पैदा हो गई हैं। विशेष बात यह है कि काबुल में स्थित रूस और पाकिस्तान के दूतावासों पर भी हमले हो चुके हैं। वर्तमान समय में चीन, अफ़ग़ानिस्तान में आर्थिक सहयोग कर रहा है। इस बात से यह अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि हो सकता है कि काबुल में चीनियों के होटल पर हमले का उद्देश्य, अफ़ग़ानिस्तान में मौजूद चीनियों में भीतर भय का वातावरण उत्पन्न करना है। एसे में चीन की ओर से अफ़ग़ानिस्तान में की जाने वाली गतिविधियों पर विराम लग सकता है।
अफ़ग़ानिस्तान के मामलों के एक जानकार हुसैनी मज़ारी इस बारे में कहते हैं कि तालेबान बारंबार यह वचन दे चुके हैं कि वे अफ़ग़ानिस्तान में संवेदनशील स्थानों की सुरक्षा करने में सक्षम हैं, जबकि व्यवहारिक रूप में एसा दिखाई नहीं दे रहा है। चीनियों के होटल पर आतंकी हमले का उद्देश्य, अफ़ग़ानिस्तान की आर्थव्यवस्था के लिए चुनौतियां पेश करके तालेबान के सामने चैलेंज पैदा करना है।
अगर अफ़ग़ानिस्तान में अशांति जारी रहती है और उसपर नियंत्रण नहीं किया जाता तो फिर तालेबान, अपने किसी भी आर्थिक कार्यक्रम को आगे बढ़ाने में सफल नहीं हो पाएंगे। बहरहाल काबुल में चीनियों के होटल पर आतंकी हमले को तालेबान की सुरक्षा चुनौती के लिए बहुत ही गंभीर चैलेंज के रूप में देखा जा रहा है। एसा लग रहा है कि अफ़ग़ानिस्तान के आंतरिक मामलों के संबन्ध में तालेबान उतने गंभीर नहीं है जितना होना चाहिए। हालांकि उनको इस बारे में बहुत गंभीर होना चाहिए क्योंकि पूरे अफ़ग़ानिस्तान की ज़िम्मेदारी उन्हीं के हाथों में है।
तालेबान, अफ़ग़ानिस्तान के सामाजिक मामलों और दूसरे अन्य कामों में वैसी भागीदारी नहीं कर रहे हैं जितनी उनको करनी चाहिए। इस मुद्दे ने अफ़ग़ानिस्तान के शत्रुओं को इस देश की राष्ट्रीय सुरक्षा को ख़तरे में डालने का अवसर दे दिया है। एसे में अफ़ग़ानिस्तान में स्थाई सुरक्षा एवं शांति स्थापित करने में तालेबान को अपनी कुछ नीतियों में पुनर्विचार करने की ज़रूरत है। काबुल में चीनियों के ठिकाने पर हमला, संभवतः किसी व्यक्ति या देश पर हमला नहीं है बल्कि शायद अफ़ग़ानिस्तान में आर्थिक समस्याओं को अधिक बढ़ाने के उद्देश्य से किया गया।
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