जटिलता की ओर बढ़ता सूडान संकट
क्षेत्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय प्रयासों के बावजूद सूडान में सत्ता को लेकर घमासान अब भी चल रहा है।
सूडान संकट में एक नया मोड़ यह आया है कि इस देश के विदेश मंत्रालय ने सूडान में मौजूद संयुक्त राष्ट्रसंघ के प्रतिनिधि को अप्रिय तत्व बताते हुए उनके निष्कासन की मांग की है।
सूडान की सेना के कमांडर अब्दुल फ़त्ताह अलबुरहान ने राष्ट्रसंघ को एक संदेश भेजा है जिसमें इस अन्तर्राष्ट्रीय संस्था के दूत के बारे में कहा गया है कि उन्होंने रैपिड एक्शन फोर्स के कमांड मुहम्मद हमदान दक़लू से विद्रोह करने को कहा है। अलबुरहान का कहना है कि सूडान में राष्ट्रसंघ के वर्तमान प्रतिनिधि की उपस्थति शांति की स्थापना में कोई भी सहायता नहीं कर पाएगी।
सूडान में युद्ध जारी है और शांति की स्थापना को लेकर कराए जाने वाले संघर्ष विराम भी अबतक कोई परिणाम नहीं दे पाए हैं। सूडान के युद्ध के जारी रहने का एक कारण यह है कि युद्धरत पक्ष यह सोचते हैं कि वे सामने वाले पक्ष को पराजित कर देगा। यही कारण है कि शांति के लिए दिये जाने वाले किसी भी प्रस्ताव में वे रुचि नहीं दिखा रहे हैं। मुहम्मद हमदान ने, जो हमीदती के नाम से मश्हूर हैं, कह रखा है कि उनके लड़ाके केवल उसी समय मैदान से बाहर जाएंगे जब विद्रोही सैनिक हटेंगे। हमीदती, अलबुरहान के काम को विद्रोह की संज्ञा देते हैं। उनका आरोप है कि वे पूरानी सरकार के तत्वों और उमर अलबशीर के समर्थकों को वापस देश की सत्ता में लाना चाहते हैं।
इसी बीच कई देशों ने सूडान के आंतरिक मामलों में अपना हस्तक्षप बढ़ा दिया है। यह देश शांति की स्थापना के बहाने सूडान के संसाधनों का दोहन करने में लगे हुए हैं। यही कारण है कि कुछ देश तो अलबुरहान का तो कुछ अन्य देश हमीदती का समर्थन कर रहे हैं। उधर अलबुरहान ने तो राष्ट्रसंघ के दूत को ही हमीदती का समर्थन बता दिया है।इसपर राष्ट्रसंघ की ओर से प्रतिक्रिया आई है। राष्ट्रसंघ के महासचिव ने कहा है कि इस संघ के प्रतिनिधि या दूत पर अप्रिय तत्व का ठप्पा नहीं लगाया जा सकता। उनकी बात राष्ट्रसंघ के घोषणापत्र के विरुद्ध है।
वास्तविकता यह है कि सूडान के संघर्षरत पक्षों ने इस देश में शांति स्थापित करने के उद्देश्य से किये जाने वाले प्रयासों का रास्ता बंद कर रखा है। हालांकि शांति स्थापित कराने के लिए वार्ता अब भी जारी है। सूडान संकट को लेकर संयुक्त राज्य अमरीका और सऊदी अरब मध्यस्थता कराने के प्रयास कर रहे है। उनका कहना है कि वे एसा इसलिए कर रहे हैं ताकि सूडान तक जल्द मानवताप्रेमी सहायता को पहुंचाया जा सके। हालिया दिनों में सूडान सकंअ अधिक विस्तृत हुआ है। वहां पर मौजूद कुछ दूतावासों पर हमले हुए हैं। संघर्षरत गुट इन हमलों की ज़िम्मेदार एक दूसरे को बताते हैं।
सूडान संकट के कारण वहां पर जो मानवीय संकट उत्पन्न हो गया है उसकी वजह से बहुत बड़ी संख्या में लोग विषम परिस्थतियों में जीवन गुज़ार रहे हैं। एसे में उनको बहुत अधिक मानवीय सहायता की ज़रूरत है। इन हालात में राष्ट्रसंघ के दूत पर आरोप मढ़ने से यह समस्या और अधिक जटित हो सकती है।
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