क्यों है तालेबान और पाकिस्तान में टकराव?
(last modified Sun, 03 Sep 2023 11:02:35 GMT )
Sep ०३, २०२३ १६:३२ Asia/Kolkata
  • क्यों है तालेबान और पाकिस्तान में टकराव?

पाकिस्तान और तालेबान के बीच तनाव जारी है।

पाकिस्तान की सरकार ने तालेबान को संबोधित करते हुए कहा है कि पाकिस्तानी हितों के खिलाफ लोगों के प्रवेश को रोकने की ज़िम्मेदारी तालेबान की है। पाकिस्तानी सरकार के इस एलान के बाद तालेबान और पाकिस्तानी सरकार के संबंधों में और वृद्धि हो गयी है। तालेबान सेना के प्रमुख कारी फसीहुद्दीन ने दावा किया है कि पाकिस्तानी तालेबान अफगानिस्तान में मौजूद नहीं हैं और पाकिस्तान को चाहिये कि अपने दुश्मनों को अपने देश के अंदर तलाश करे।

कारी फसीहुद्दीन के इस जवाब से दोनों देशों के संबंध और तनावग्रस्त हो गये हैं जबकि इस्लामाबाद की अपेक्षा यह है कि तालेबान उन तत्वों से कड़ाई से निपटेगा जो पाकिस्तान के हितों के लिए खतरा हैं। यही नहीं तालेबान के सेना प्रमुख ने कहा है कि जो देश भी तालेबान की सरकार के खिलाफ बल का प्रयोग करेगा उसका जवाब दिया जायेगा। क्षेत्र के हालात पर पैनी नज़र रखने वाले एक टीकाकार मुर्तुज़ा हैदर इस बारे में कहते हैं शायद पाकिस्तान को भी यह विश्वास न हो कि एक दिन तालेबान पाकिस्तान के मुकाबले में खड़ा हो जायेगा विशेषकर इसलिए कि कहा जाता है कि तालेबान का पालन पोषण पाकिस्तान की खुफिया एजेन्सी आईएसआई ने किया है और यह विषय किसी भी प्रकार से पाकिस्तान की सेना को पसंद नहीं आयेगा। विशेषकर उस देश की सेना जो भारत जैसे देश की सेना को अपना प्रतिस्पर्धी समझती है।

अलबत्ता अफगानिस्तान में आतंकवादी गुटों की उपस्थिति का दावा केवल पाकिस्तान ही नहीं करता है बल्कि सुरक्षा परिषद ने भी अपनी एक बैठक में अफगानिस्तान में आतंकवादी गुटों की उपस्थिति के प्रति चिंता जताई थी। इसी प्रकार अफगानिस्तान के दूसरे पड़ोसी देश भी अफगानिस्तान में आतंकवादी गुटों व तत्वों की उपस्थिति से चिंतित हैं जो अफगानिस्तान से पड़ोसी देशों में हमला करते हैं। यद्यपि तालेबान दावा करते हैं कि अफगानिस्तान की भूमि से पड़ोसी देशों को आतंकवादी हमलों का सामना नहीं है और अफगानिस्तान में शांति स्थापित हो चुकी है परंतु पाकिस्तान और अफगानिस्तान के दूसरे पड़ोसी देशों की तालेबान से अपेक्षा यह है कि वे आतंकवादी तत्वों से कड़ाई से निपटें और इस बात को अमल में दर्शायें कि अफगानिस्तान में शांति स्थापित हो चुकी है।

एक अन्य टीकाकार अकरम आरिफी इस बारे में कहते हैं कि प्रतीत यह हो रहा है कि पाकिस्तानी तालेबान के बारे में इस्लामाबाद सरकार और तालेबान के बीच गम्भीर मतभेद हैं और संभवतः तालेबान पाकिस्तानी तालेबान की अफगानिस्तान में उपस्थिति को मेहमान की दृष्टि से देखते हैं परंतु पाकिस्तान अपने तालेबान की अफगानिस्तान में उपस्थिति को आतंकवादियों की उपस्थिति के रूप में देखता है।

बहरहाल पाकिस्तान की सेना पर हालिया आतंकवादी हमले में कई सैनिक हताहत व घायल हो गये और प्रतीत यह हो रहा है कि अगर इस प्रकार के हमलों पर विराम नहीं लगा तो तालेबान और पाकिस्तान के संबंध और तनावग्रस्त हो जायेंगे जो न केवल दोनों देशों बल्कि दूसरे पड़ोसों के लिए भी हानिकारक सिद्ध होंगे। MM