Sep ०७, २०२३ १७:२४ Asia/Kolkata
  • चांद को लेकर मुक़ाबला जारी, अब जापान ने भी किया अपना मून मिशन लॉन्च

जापान का अंतरिक्ष यान स्लिम लॉन्च हो गया है। यह एक मून लैंडर है। हालांकि इसे चांद तक पहुंचने में कई महीनों का समय लगेगा। चांद की कक्षा तक पहुंचने में इसे 4 महीने और फिर उतरने में 2 महीन लगेंगे। सबकुछ ठीक रहा तो भी जापान का यह मिशन लगभग छह महीने बाद ही पूरा हो सकेगा।

प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक़, जापान ने स्लिम नामक अपना एक मून लैंडर चांद के लिए लॉन्च किया है। 7 सितंबर को जापान के स्थानीय समयानुसार सुबह 8.42 बजे यह अंतरिक्ष यान लॉन्च हुआ। जापान के H2A रॉकेट के ज़रिए यह तनेगाशिमा अंतरिक्ष केंद्र से रवाना हुआ। मौसम में ख़राबी के कारण इसे मूल समय से 10 दिन बाद लॉन्च किया जा रहा है। इसके अलावा जापान एक अंतरिक्ष टेलीस्कोप भी ले गया है। दोनों स्पेसक्राफ्ट एक घंटे के अंदर ही अपने पथ पर पहुंच गए। अगर सबकुछ सही गया तो लगभग चार महीने बाद 'स्मार्ट लैंडर फॉर इन्वेस्टिगेटिंग मून' (स्लिम) चांद पर उतरेगा। ग़ौरतलब है कि जापान का अगर मून मिशन कामयाब हुआ तो वह चांद पर जाने वाला दुनिया का पांचवा देश बन जाएगा।

उल्लेखनीय है कि जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (जाक्सा) की ओर से कहा गया कि स्लिम का लक्ष्य छोटे पैमाने पर एक हल्की जांच प्रणाली हासिल करना है। इसके साथ ही चांद पर जाने के लिए पिनपॉइंट लैंडिंग तकनीक को खोजना भी अहम है। जाक्सा  ने कहा है कि इस परियोजना का लक्ष्य ऐसे उपकरण बनाना है, जिनकी क्षमता ज़्यादा रहे, लेकिन आकार और वज़न में कम हो। यह सौरमंडल में अन्य मिशन चलाने में काम करेगा। वहीं जापान का मून लैंडर चंद्रमा की कक्षा में पहुंचे के बाद भी तुरंत नहीं उतरेगा। यह एक से दो महीने तक चंद्रमा की सतह पर नज़र रखेगा। फिर शियोली क्रेटर के अंदर उतरने की कोशिश करेगा, जो कि चंद्रमा के निकट 13 डिग्री दक्षिण अक्षांश पर स्थित 300 मीटर वाला एक गड्ढा है। इस मिशन का सबसे बड़ा लक्ष्य पिनपॉइंट जगह पर उतरना है। स्लिम 100 मीटर के क्षेत्र में उतरेगा, जो पिछले लैंडर्स की तुलना में ज़्यादा सटीक होगा। इसी कारण इसे स्नाइपर भी कहा जा रहा है। जापान की यह कामयाबी नासा के चांद मिशन में बड़ी भूमिका निभाएगी। (RZ)

 

टैग्स