Sep २०, २०२३ १३:४४ Asia/Kolkata
  • क़राबाग़ पर आज़रबाइजान ने क्यों कर दिया हमला?

आर्मीनिया और आज़रबाइजान की सेनाओं के बीच फ़्रंटलाइन पर तनाव तो जारी है और दोनों ही पक्ष एक दूसरे पर दुश्मनी के भावना से गतिविधियां करने के आरोप लगा रहे हैं।

आज़रबाइजान की सरकारी समाचार एजेंसी आज़रताज ने रक्षा मंत्रालय के हवाले से लिखा कि सीमा पर आर्मीनिया की सेना की ओर से बारूदी सुरंग बिछाए जाने के जवाब में मंगलवार 19 सितम्बर को आर्मीनिया की सेना के ठिकानों पर हमला किया गया। रक्षा मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि आर्मीनिया की सेना का बारूदी सुरंगें बिछाना मास्को में हुए तीन पक्षीय समझौते का उल्लंघन है और इस कार्यवाही में दो आज़री सैनिक मारे गए।

बयान में कहा गया कि आर्मीनिया की सेना द्वारा की गई कार्यवाही के जवाब में आज़री सेना ने क़राबाग़ के इलाक़े में आप्रेशन शुरू किया है जिसका लक्ष्य इस इलाक़े में आर्मीनिया की सेना के ठिकानों को ख़त्म करना है। बयान में यह भी कहा गया है कि रूस की शांति फ़ोर्स को इस पूरी स्थिति से अवगत करा दिया गया है।

आज़रबाइजान के आरोप के जवाब में आर्मीनिया के रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि क़राबाग़ में हमारा कोई सैनिक अड्डा नहीं है, इस बारे में आज़रबाइजान के रक्षा मंत्रालय का बयान भ्रांति पैदा करने वाला है। आर्मीनिया के विदेश मंत्रलय ने संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद और रूसी शांति बल से मांग की कि क़राबाग़ में आज़रबाइजान की सेना के हमलों पर अंकुश लगाएं।

क्षेत्रीय और वैश्विक संस्थाओं और सरकारों के हस्तक्षेप के बावजूद दोनों देशों का विवाद हल नहीं हो पा रहा है। आर्मीनिया ने क़राबाग़ के इलाक़े को आज़रबाइजान के इलाक़े के रूप में मान्यता दे दी है लेकिन इसके बावजूद हमले हो रहे हैं।

आज़रबाइजान की इलहाम अलीयोफ़ सरकार के अधिकारियों का कहना है कि वो अपने इलाक़े में किसी भी तरह की सैनिक तैनाती और अभ्यास कर सकते हैं। मगर आर्मीनिया की सरकार का कहना है कि आज़रबाइजान की सरकार क़राबाग़ में बसने वाले अरमनी जाति के लोगों के बारे में ज़रूरी आश्वासन दे।

ज़ाहिर है कि इन हालात में आर्मीनिया और आज़रबाइजान के बीच विवाद को समाप्त करवाना कठिन है। आर्मीनिया और अमरीका के संयुक्त सैन्य अभ्यास की वजह से भी जटिलताएं पैदा कर दी हैं। आर्मीनिया के राजनैतिक टीककार मिकाइल ज़ूलियान कहते हैं कि मुझे लगता है कि आर्मीनिया की सरकार को पश्चिम से कुछ इशारे मिले हैं जिसकी वजह से रूस से अपने संबंधों के बारे में आर्मीनिया का स्वर कठोर हो गया है।

रूस के विदेशी मामलों के विशेषज्ञ निकोलाय सीलाएफ़ का कहना है कि आर्मीनिया के प्रधानमंत्री पाशीनियान यह समझ रहे हैं कि उन्हें पश्चिम से संबंध अच्छे करने के लिए कुछ एसा करना चाहिए जिससे रूस नाराज़ हो।

आर्मीनिया ने हाल ही में अमरीका के साथ संयुक्त अभ्यास किया जिस पर रूस को भी काफ़ी चिंता है। रूस के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि रूस क़राबाग़ के मामले में आज़रबाइजान और आर्मीनिया दोनों से संपर्क कर रहा है।

रूसी विदेश मंत्रलय ने कहा कि क़राबाग़ के बारे में हुए समझौते के आधार पर इस मसले को हल किया जाना चाहिए। हम दोनों ही देशों से चाहते हैं कि एक दूसरे पर हमले बंद करें और कूटनयिक मार्ग अपनाएं।

आर्मीनिया और आज़रबाइजान दोनों ही पड़ोसी देश हैं और बाहरी शक्तियों की लालची निगाहें दोनों देशों पर लगी हैं। दोनों देश आपसी बातचीत और समझदारी से मसले को हल कर सकते हैं।

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