अफ़ग़ानिस्तानः तालेबान विरोधी कमांडर का एलान, छापामार जंग शुरू करके ही तालेबान को वार्ता की मेज़ पर लाया जा सकता है
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अफ़ग़ानिस्तान के पंजशीर इलाक़े के मशहूर नेता और कमांडर अहमद शाह मसऊद के बेटे अहमद मसऊद ने बयान दिया है कि इस समय तालेबान के साथ कोई बातचीत नहीं चल रही है और हम छापामार जंग शुरू करने जा रहे हैं ताकि तालेबान को वार्ती की मेज़ पर लाया जाए।
(last modified 2023-09-30T06:39:00+00:00 )
Sep ३०, २०२३ १०:५६ Asia/Kolkata
  • अफ़ग़ानिस्तानः तालेबान विरोधी कमांडर का एलान, छापामार जंग शुरू करके ही तालेबान को वार्ता की मेज़ पर लाया जा सकता है

अफ़ग़ानिस्तान के पंजशीर इलाक़े के मशहूर नेता और कमांडर अहमद शाह मसऊद के बेटे अहमद मसऊद ने बयान दिया है कि इस समय तालेबान के साथ कोई बातचीत नहीं चल रही है और हम छापामार जंग शुरू करने जा रहे हैं ताकि तालेबान को वार्ती की मेज़ पर लाया जाए।

34 साल के अहमद मसऊद ने जो निर्वासन का जीवन गुज़ार रहे हैं, उनका संगठन सत्ता पर तालेबान के क़ब्ज़े का विरोध कर रहा है और पंजशीर के इलाक़े में दोनों के बीच झड़पें होती रहती हैं।

पेरिस में एक इंटरव्यू में अहमद मसऊद ने कहा कि तालेबान की सरकार को एक ही स्थिति में मान्यता मिल सकती है और वह है चुनावों का आयोजन लेकिन इस समय तालेबान इस दिशा में कोई काम नहीं कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि तालेबान किसी भी वार्ता के लिए तैयार नहीं हैं।

अहमद मसऊद ने अपने संगठन के बारे में कहा कि हमने अपने संघर्ष का तरीक़ा बदल दिया है क्योंकि हथियारों से पूरी तरह लैस तालेबान का हम इस समय आमने सामने की जंग में मुक़ाबला नहीं कर सकते।

उन्होंने कहा कि हमने पिछले साल से छापामार जंग शुरू की है जो ज़्यादा नज़र नहीं आती लेकिन उसका असर काफ़ी होता है। अहमद मसऊद का कहना था कि उनके लड़ाकों की संख्या 1200 से बढ़ कर 4 हज़ार तक पहुंच चुकी है। उनका कहना था कि हमारे लड़ाकों के पास पिछली जंगों के ज़माने के हथियारों के भंडार है और नए हथियरों की ज़रूरत है।

अहमद मसऊद ने पूर्व अधिकारियों को स्वीकार करने की तालेबान की योजना के तहत अफ़गानिस्तान लौटने से इंकार करते हुए कहा कि हमने केवल एक आवास और गाड़ी के लिए घर नहीं छोड़ा था, हमने उसूलों के लिए देश छोड़ा था। उनका कहना था कि अगर तालेबान चुनाव कराने पर तैयार होते हैं तो हम स्वदेश  लौटेंगे।

अफ़ग़ानिस्तान में आख़िरी बार चुनाव अगस्त 2021 में हुए थे। दिसम्बर में तालेबान ने चुनाव समिति को भंग कर दिया था।

तालेबान की सरकार को अधिकतर देश मान्यता नहीं देते और यह उसके सामने बहुत बड़ी समस्या है।  

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