Feb २२, २०२४ १४:४९ Asia/Kolkata

वेनेज़ोएला के राष्ट्रपति ने बल देकर कहा है कि इस्राईल आज ठीक जर्मन नाज़ियों की भांति काम कर रहा है और उसे पश्चिम का समर्थन व मदद मिल रही है।

अलआलम की रिपोर्ट के अनुसार वेनेज़ोएला के राष्ट्रपति निकोलस मादरू ने जायोनी सरकार के प्रति पश्चिम के समर्थन की निंदा करते हुए कहा कि पश्चिम एकजुट होकर इस्राईल का समर्थन कर रहा है बिल्कुल ठीक उसी तरह जैसे पश्चिम ने द्वितीय विश्वयुद्ध से पहले हिटलर और जर्मन नाज़ी का समर्थन किया।

उन्होंने पश्चिम एशिया की स्थिति की समीक्षा में ब्राज़ील के राष्ट्रपति के दृष्टिकोण का समर्थन करते हुए कहा कि अमेरिका, यूरोप और ब्रिटेन के शक्तिशाली और मज़बूत परिवारों ने वर्ष 1933 में सत्ता में पहुंचाने में हिटलर का समर्थन और उसका स्वागत किया। इसी प्रकार उन्होंने कहा कि उस समय पश्चिम में सत्ताधारी और विशेष अधिकारियों व राजनेताओं ने हिटलर द्वारा की जाने वाली हत्याओं के मुकाबले में चुप्पी साध रखी थी क्योंकि वे हिटलर की सेना को पूर्व सोवियत संघ के मुकाबले में तैयार कर रहे थे, हिटलर को पश्चिम ने बनाया था।

वेनेज़ोएला के राष्ट्रपति निकोलस मादरू ने फिलिस्तीनियों की हत्या को बंद किये जाने के आह्वान के साथ बल देकर कहा कि इस्राईल आज वही दैत्य व राक्षस हो गया है और पश्चिम आज उसी तरीके से इस्राईल के अपराधों का समर्थन कर रहा है, उसके लिए सैनिक बजट पास कर रहा है।

ज्ञात रहे कि ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डिसिल्वा ने कहा था कि इस्राईल फिलिस्तीनियों के साथ वही कर रहा है जो हिटलर ने यहूदियों के साथ किया था। लूला डिसिल्वा के बयान से इस्राईल के प्रधानमंत्री बिनयामिन नेतनायाहू ने क्रोधित होकर उसे लज्जाहीन और खतरनाक कहा था। इसी प्रकार बिनयामिन नेतनयाहू ने रेड लाइन पार करने के बारे में ब्राजील के राष्ट्रपति को चेतावनी दी थी। साथ ही उनसे माफी मांगने के लिए कहा था।

जानकार हल्कों का मानना है कि न केवल इस्राईली अधिकारियों बल्कि पश्चिमी व यूरोपीय अधिकारियों को भी हक व सच बात बर्दाश्त नहीं है। जायोनी, यूरोपीय और पश्चिमी अधिकारियों से पूछा जाना चाहिये कि हिटलर ने यहूदियों को गैस की भट्ठियों में क्यों ज़िन्दा जला कर मारा था? उन यहूदियों का दोष क्या था? जैसाकि वे दावा करते हैं।

जायोनी अधिकारियों ने यह दुष्प्रचार कर रखा है कि हिटलर ने 60 लाख यहूदियों को गैस की भट्टियों में ज़िन्दा जलाकर मार डाला। इस पर जानकार हल्कों का कहना है कि उस समय पूरी दुनिया में भी 60 लाख यहूदी नहीं थे तो हिटलर ने इतनी बड़ी संख्या में यहूदियों को कैसे मार डाला? और जब हिटलर यहूदियों को मार रहा था तो मानवाधिकारों का राग अलापने वाले देश कहां थे? उन्होंने क्यों कुछ नहीं किया?

रोचक बात है कि यूरोपीय व पश्चिमी देशों में होलोकास्ट की घटना के बारे में सवाल करना न केवल मना है बल्कि अगर कोई सवाल करेगा तो उस पर जुर्माना लगाया जायेगा और उसे 6 महीने तक जेल की हवा भी खानी पड़ सकती है। सवाल यह पैदा होता है कि जब पश्चिमी देशों में पवित्र कुरआन और पैग़म्बरे इस्लाम का अपमान किया जाता है तो पश्चिमी देश इस घिनौनो कृत्य के औचित्य में कहते हैं कि हर इंसान को अपनी बात कहने का पूरा अधिकार है परंतु जब होलोकास्ट की बात आती है तो कहते हैं कि यह रेड लाइन है इसके बारे में कोई सवाल नहीं करना चाहिये वरना जेल की सज़ा हो जायेगी और जुर्माना भी देना पड़ेगा। उस वक्त पश्चिमी देशों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता कहां चली जाती है?

जानकार हल्कों का कहना है कि जिन यहूदियों को हिटलर ने मारा है उनकी संख्या के बारे में झूठ और अतिशयोक्ति से काम लिया गया है ताकि यहूदियों को मज़लूम दर्शाया जा सके और इस मज़लूमियत को वे कैश करा सकें जैसाकि आज तक इस झूठे प्रचार को जायोनी कैश करा रहे हैं।

बहरहाल जानकार हल्कों का मानना है कि होलोकास्ट के बारे में सवाल पूछने का मना होना इस बात का प्रमाण है कि दाल में कुछ काला ज़रूर है या पूरी दाल ही काली है। 

नोटः यह व्यक्तिगत विचार हैं। पार्सटूडे का इनसे सहमत होना ज़रूरी नहीं है। MM

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