भारत और रूस के बीच मज़बूत रिश्तों से अमरीका सदमे में
रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद, पहली बार भारतीय प्रधानमंत्री ने मॉस्को की यात्रा की है। पुतिन-मोदी की इस मुलाक़ात ने वाशिंगटन और पश्चिम की चिंता बढ़ा दी है।
अमरीकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने भारतीय प्रधानमंत्री की रूस यात्रा का ज़िक्र करते हुए कहाः अमरीका ने रूस के साथ भारत के संबंधों को लेकर अपनी चिंताएं ज़ाहिर कर दी हैं। मिलर ने भारत और रूस के बीच संबंधों के विस्तार पर चिंता व्यक्त करते हुए नई दिल्ली से यूक्रेन युद्ध को लेकर, रूस को आवश्यक चेतावनी देने की मांग की।
अमरीकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता का कहना थाः मुझे उम्मीद है कि भारत और रूस के साथ सहयोग करने वाला कोई भी देश, उसे संयुक्त राष्ट्र चार्टर, यूक्रेन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने के लिए कहेगा।
नाटो के पूर्व की ओर विस्तार और इस युद्ध में यूक्रेन के मुख्य समर्थकों में से एक अमरीका है।
रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद, पहली बार दो दिवसीय यात्रा पर मॉस्को पहुंचने वाले भारतीय प्रधान मंत्री ने सोमवार को नोवो उगारेवो में रूसी राष्ट्रपति के आवास पर पुतिन से मुलाक़ात की।
इस मुलाकात के बाद मोदी ने एक्स सोशल नेटवर्क पर लिखा कि वह व्लादिमीर पुतिन के साथ आधिकारिक बातचीत शुरू होने का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं। उन्होंने आगे लिखाः मॉस्को की यात्रा और रूसी राष्ट्रपति के साथ मुलाक़ात से दोनों देशों के बीच दोस्ती और मज़बूत होगी।
मंगलवार को दोनों देशों के नेताओं के बीच आधिकारिक वार्ता होनी है। इस वार्ता में आर्थिक मामले, ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग, व्यापार के साथ-साथ रासायनिक उर्वरकों के उत्पादन और आपूर्ति जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया जा सकता है।
यूक्रेन युद्ध और पश्चिम विशेष रूप से अमरीका द्वारा रूस के ख़िलाफ़ लगाए गए प्रतिबंधों के मद्देनज़र, मास्को और नई दिल्ली के बीच सहयोग रूस के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
रूस पश्चिम के राजनीतिक और आर्थिक दबावों से निपटने के लिए अपने सहयोगियों के साथ संबंधों को मज़बूत करने पर ज़ोर दे रहा है।
नई दिल्ली और मास्को के बीच, शीत युद्ध के बाद से दोस्ताना और मज़बूत रिश्ते हैं और रूस लंबे समय तक भारत का सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता रहा है।
साथ ही, पारंपरिक यूरोपीय ख़रीदारों के दूर हो जाने के बाद, भारत रूसी तेल का एक प्रमुख ख़रीदार बन गया है। msm