दुनिया डी-डॉलराइज़ेशन में आई तेज़ी/ डॉलर अमेरिका का सबसे महत्वपूर्ण हथियार है
(last modified Sun, 14 Jul 2024 11:28:22 GMT )
Jul १४, २०२४ १६:५८ Asia/Kolkata
  • दुनिया डी-डॉलराइज़ेशन में आई तेज़ी/ डॉलर अमेरिका का सबसे महत्वपूर्ण हथियार है

पार्सटुडे- अमेरिका की एकतरफ़ा नीतियों का मुक़ाबला करने के देशों के प्रयासों के बाद, ईरान और रूस के लेनदेन से डॉलर को हटा दिया गया है।

इस हक़ीक़त का ज़िक्र करते हुए कि ईरान और रूस के बीच सभी लेनदेन डॉलर के इस्तेमाल के बिना किए जाते हैं, ईरान की संसद मजलिसे शूराए इस्लामी के संसद सभापति मुहम्मद बाक़र क़ालीबाफ़ ने ज़ोर दिया: लेनदेन में डॉलर को हटाने की वजह, अमेरिका की एकपक्षीय नीतियों का मुकाबला करना है।

हालिया वर्षों के दौरान, वैश्विक लेनदेन में डॉलर को ख़त्म करने की नीति पर दुनिया के कई देश चल रहे हैं विशेषकर वे देश जो अमेरिका के सख्त वित्तीय प्रतिबंधों का सामना कर रहे हैं।

पार्सटुडे के अनुसार, इस संबंध में दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों के कई देशों ने दो देशों के बीच लेनदेन में और फिर व्यापक स्तर पर अन्य मुद्राओं के इस्तेमाल पर विचार किया है।

दूसरे शब्दों में, अमेरिका द्वारा एक वित्तीय हथियार के रूप में डॉलर के इस्तेमाल की वजह से डॉलर को ख़त्म करने  की नीति को तेज कर दिया है और कई देशों को वैकल्पिक मुद्राओं में निवेश में विविधता लाने के लिए एक मंच पर खड़ा कर दिया है।

यूक्रेन युद्ध की शुरुआत के बाद रूस के ख़िलाफ़ अमेरिकी प्रतिबंधों की वजह से डॉलर पर अपनी निर्भरता कम करने के लिए दुनिया के ज़्यादा से ज़्यादा देशों के आंदोलन को तेज़ कर दिया है।

डॉलर को ख़त्म करने में सहयोग के लिए विभिन्न आर्थिक ग्रुप्स का गठन

दुनिया के देशों के बीच क्षेत्रीय सहयोग में तेजी लाने और उसे बढ़ाने तथा डॉलर के सफ़ाए की नीति को आगे बढ़ाने के लिए, कई यूनियनों और आर्थिक ग्रुप्स ने हालिया वर्षों में अपने लेनदेन में वैकल्पिक मुद्राओं के इस्तेमाल का प्रयास किया है।

इस संबंध में, हम उन देशों का ज़िक्र कर सकते हैं जो यूरेशियन आर्थिक संघ के सदस्य हैं और जो अपने सभी वित्तीय और वाणिज्यिक लेनदेन से अमेरिकी डॉलर को हटाने पर काम कर रहे हैं।

ब्रिक्स ग्रुप के सदस्य देश भी डॉलर को लेन-देन से ख़त्म करने के लिए इस अहम चीज की तलाश में हैं चूंकि इस ग्रुप की स्थापना का सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्य, लेन-देन में डॉलर के स्थान पर दूसरी करेंसी की नीति को आगे बढ़ाना रहा है।

जारी आंकड़ों के अनुसार, वर्तमान समय में रूस और चीन अपना लगभग 70 प्रतिशत आर्थिक आदान-प्रदान राष्ट्रीय मुद्राओं के साथ करते हैं।

लैटिन अमेरिका में, ब्राज़ील डी-डॉलराइज़ेशन आंदोलन पर आगे बढ़ रहा है जबकि दक्षिण अफ़्रीक़ा, एक अन्य ब्रिक्स सदस्य देश है जो अफ़्रीक़ी महाद्वीप पर इस तरह के दृष्टिकोण को सक्रिय रूप से अपनाता है और उसे बढ़ावा देता है।

रूस और ईरान ने भी व्यापार में डॉलर को ख़त्म कर दिया है।

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में डॉलर की हिस्सेदारी कम करना

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा प्रकाशित विदेशी मुद्रा भंडार की आधिकारिक मुद्रा संरचना के आंकड़ों के अनुसार, वैश्विक भंडार में डॉलर की हिस्सेदारी 2003 में 66 प्रतिशत से घटकर हालिया वर्षों में लगभग 58 प्रतिशत हो गई है।

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की प्रमुख क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने इस संदर्भ में कहा कि वर्तमान समय में वैश्विक स्तर पर अमेरिकी डॉलर में उलटफेर हो रहा है।

हालिया वर्षों में, डॉलर पर निर्भरता कम करने के आंदोलन ने गति पकड़ी है क्योंकि विभिन्न देश अमेरिका पर अपनी आर्थिक निर्भरता समाप्त करना चाहते हैं।

दुनिया के देशों पर वित्तीय और राजनीतिक प्रतिबंध लगाने के लिए दबाव बनाने हेतु अमेरिका द्वारा डॉलर का इस्तेमाल, हमेशा अंतर्राष्ट्रीय मैदान में वाइट हाउस की नीतियों का हिस्सा रहा है।

अमेरिकी नीतियों पर अमल के अंतर्गत दुनिया के देशों पर दबाव बनाने के लिए, विशेष रूप से हालिया वर्षों में, इस नीति के इस्तेमाल की वजह से दुनिया के ज़्यादातर देश देशों ने डॉलर से पल्ला झाड़ लिया है।

इस संदर्भ में, अमेरिकी बैंकिंग रणनीतिकार माइकल हार्टनेट ने हाल ही में चेतावनी दी थी: डॉलर को हथियार में बदलने से इसमें गिरावट आ सकती है। अब, डॉलर पर निर्भरता कम करने की नीति, अमेरिका द्वारा भी तैयार की गयी है।

कुछ समय पहले, फ्रांसीसी राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रॉन ने चेतावनी दी थी कि यूरोप को डॉलर की चमक धमक पर निर्भर नहीं रहना चाहिए और रणनीतिक स्वतंत्रता के बिना, यूरोप को इतिहास से मिटा दिए जाने के ख़तरे का सामना है।

डॉलर के मुकाबले युआन का मज़बूत होना

अब अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में उपयोग की जाने वाली सबसे महत्वपूर्ण मुद्राओं में से एक चीनी युआन है।

वर्तमान समय में, रूस और चीन के बीच व्यापार का एक बड़ा हिस्सा युआन में किया जाता है। इस संबंध में, स्पुतनिक वेबसाइट ने रूस के उपप्रधान मंत्री एलेक्सी ऑर्चुक के हवाले से एक रिपोर्ट में एलान किया है कि रूस और चीन के बीच व्यापार की मात्रा में 92 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है जबकि मुख्य व्यापार समझौते, दोनों देशों की आम मुद्रा - रूसी रूबल और चीनी युआन का उपयोग करके तय किए जाते हैं।

इस रिपोर्ट के अनुसार, दोनों देशों का व्यापार संतुलन लगातार बढ़ रहा है और 2023 में 26 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि के साथ 240 बिलियन डॉलर से भी अधिक तक पहुंच गया है।

इस संबंध में, अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों के विशेषज्ञ "ली टी वान" कहते हैं: क्षेत्रीय सहयोग के विकास के मापदंडों में राष्ट्रीय मुद्राओं का उपयोग है, चीन इस क्षेत्र में अग्रणी है और अब तक सौ से अधिक देशों के साथ  राष्ट्रीय मुद्राओं का उपयोग करने के समझौते कर चुका है।

डी-डॉलराइज़ेशन जारी है

हालांकि विश्व व्यापार का एक बड़ा हिस्सा अभी भी डॉलर में होता है और वाशिंगटन इसे अपने प्रतिद्वंद्वी और दुश्मन देशों पर दबाव डालने के लिए एक ट्रैगर के रूप में उपयोग करता है लेकिन यह मुद्दा अब वाशिंगटन के लिए एक गंभीर चुनौती बन चुका है।  दुनिया के देशों के मुद्रा पोर्टफोलियो के विविधीकरण से दुनिया में डॉलर का प्रभुत्व ख़त्म हो जायेगा, एक ऐसा मुद्दा जो अमेरिका की ताक़त को कम कर देगा।

इसलिए, कई घरेलू विशेषज्ञों ने वाशिंगटन को डॉलर को एक उपकरण के रूप में उपयोग न करने की चेतावनी दी है।

वित्तीय विशेषज्ञ अलास्डेयर मैकलियोड कहते हैं: अमेरिका, डॉलर को एक हथियार के रूप में इस्तेमाल करता है।

अमेरिका जानता है कि अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली के पास अभी तक डॉलर का कोई विकल्प नहीं है, इसलिए वह इस मुद्दे से फायदा उठाता है।

अमेरिकी इतिहासकार और हार्वर्ड विश्वविद्यालय में इतिहास के प्रोफेसर नियाल फर्ग्यूसन ने इस संबंध में चेतावनी दी: अमेरिका को इस समय दुनिया में श्रेष्ठता और बरतरी में गिरावट का सामना है जो इससे पहले स्पेन, फ्रांस और इंग्लैंड ने अनुभव किया था।

 

कीवर्ड्ज़: डी-डॉलराइज़ेशन, ब्रिक्स ग्रुप, अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली, अमेरिकी डॉलर, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, अमेरिकी वित्तीय प्रतिबंध। (AK)

 

हमारा व्हाट्सएप ग्रुप ज्वाइन करने के लिए क्लिक कीजिए

हमारा टेलीग्राम चैनल ज्वाइन कीजिए

हमारा यूट्यूब चैनल सब्सक्राइब कीजिए!

ट्वीटर पर हमें फ़ालो कीजिए 

फेसबुक पर हमारे पेज को लाइक करें। 

टैग्स