ज़ेलेंस्की: धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का
ज़ेलेंस्की: धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का
पार्सटुडे - अमेरिका और रूस के राष्ट्रपतियों द्वारा कीव की मांगों को नज़रअंदाज़ करते हुए यूक्रेन संघर्ष को समाप्त करने पर चर्चा के बाद, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की व्हाइट हाउस से मिलने वाले समर्थन से निराश हो गए हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ फोन पर बातचीत की और विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए बातचीत थी। इसी बीच, रूसी विदेश मंत्रालय के विशेष दूत रोडियन मिरोशनिक ने कहा कि रूस और अमेरिका के राष्ट्रपतियों के बीच होने वाली आगामी वार्ता ने कीव के अधिकारियों और कुछ यूरोपीय देशों के प्रतिनिधियों में डर और चिंता पैदा कर दी है।
हालांकि, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को ग़ैर प्रत्यक्ष संदेश में कहा है कि कीव यूक्रेन की भागीदारी के बिना किए गए किसी भी समझौते को स्वीकार नहीं करेगा, लेकिन ट्रम्प और पुतिन के बीच हुई चर्चाओं को देखते हुए साफ है कि जल्द ही अमेरिका और रूस के बीच यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए वार्ता शुरू होने वाली है।
दूसरी ओर, यूरोपीय देशों जैसे जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन, पोलैंड, इटली, स्पेन, यूरोपीय एक्शन सर्विस और यूरोपीय आयोग ने गुरुवार 13 फरवरी की सुबह एक संयुक्त बयान जारी कर यूक्रेन की "स्वतंत्रता, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता" के समर्थन में अमेरिका के साथ मिलकर यूक्रेन में "स्थायी और न्यायसंगत शांति" स्थापित करने की अपनी तत्परता जताई। इससे लगता है कि इन देशों ने भी अमेरिका और रूस के बीच होने वाली वार्ता का मुद्दा अच्छी तरह समझ लिया है।
यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध के मुख्य कारणों की समीक्षा में जो बात सामने आती है वह नैटो में शामिल होने के कीव प्रयास हैं। वहीं पश्चिमी देशों के नेताओं ने यह स्पष्ट कर दिया है कि यूक्रेन का नैटो में शामिल होना यूक्रेन-रूस युद्ध के समाप्त होने पर निर्भर करता है।
इसके बावजूद, यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध जारी है, और यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की के यूरोपीय देशों और नैटो के नेताओं का समर्थन हासिल करने के प्रयास अब तक नाकाम रहे हैं। अमेरिका के नए रक्षा मंत्री पीट हेग्स्ट ने हाल ही में नैटो देशों के रक्षा मंत्रियों की बैठक में भाग लेने के लिए जर्मनी की अपनी पहली विदेश यात्रा के दौरान कहा कि "वाशिंगटन का मानना है कि यूक्रेन की सीमाओं को 2014 की स्थिति में वापस लाना असंभव है।"
यूक्रेन की वर्तमान स्थिति इस कहावत को चरितार्थ करती है:"धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का"। यह कहावत उन लोगों पर लागू होती है जो बदलती परिस्थितियों के कारण प्रगति के बजाय और अधिक नुक़सान उठाते हैं और एक अनिश्चित स्थिति में फंस जाते हैं।