एक फ़ुटबॉलर ने कैसे ब्रिटेन में मुसलमानों की इमेज बदल दी
स्टैनफ़ोर्ड विश्वविद्यालय की एक रिसर्च के मुताबिक़, लिवरपूल टीम में मिस्र और मुस्लिम स्टार प्लेयर मोहम्मद सलाह की मौजूदगी ने ब्रिटिश मर्सीसाइड क्षेत्र में इस्लामोफ़ोबिया को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
पार्स टुडे के अनुसार, प्रसिद्ध मिस्री और मुस्लिम फ़ुटबॉलर मोहम्मद सलाह के 2017 में लिवरपूल टीम में शामिल होने के बाद, मर्सीसाइड क्षेत्र में कि जिसका लिवरपूल भी एक हिस्सा है, मुसलमानों के ख़िलाफ नफ़रत की दर में लगभग 19 प्रतिशत की कमी आई, जबकि अन्य अपराधों की संख्या में कोई बदलाव नहीं आया।
ब्रिटिश फ़ुटबॉल फ़ैंस द्वारा किए गए 1.5 करोड़ से ज़्यादा ट्वीट्स की सामग्री की समीक्षा से पता चला है कि लिवरपूल फ़ैंस के बीच, इस्लाम विरोधी सामग्री वाले ट्वीट्स आधे से भी कम होकर 7.2 प्रतिशत से 3.4 प्रतिशत रह गए।

शोधकर्ता इस बदलाव का श्रेय मोहम्मद सलाह जैसे लोकप्रिय और सफल व्यक्तित्व के माध्यम से इस्लामी संस्कृति के साथ लोगों की बढ़ती परिचितता को देते हैं; एक ऐसा व्यक्तित्व जिसने न सिर्फ़ फ़ुटबॉल के मैदान पर, बल्कि सामाजिक मेलजोल में भी एक मुस्लिम के रूप में एक सकारात्मक आदर्श प्रस्तुत किया है।
शोधकर्ताओं के मुताबिक़, यह निष्कर्ष बताते हैं कि जाने-माने और लोकप्रिय लोगों की उपस्थिति धार्मिक पूर्वाग्रह को कम करने और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
लिवरपूल फ़ुटबॉल स्टार मोहम्मद सलाह के अच्छे आचरण से प्रभावित होकर 2021 में दो अंग्रेज़ी बहनों ने इस्लाम में रुचि दिखाई और अंततः दोनों बहनों ने इस्लाम धर्म अपना लिया। एमी और निक्की नाम की दोनों बहनों ने बताया कि वह यूरोप के मुसलमानों के आचरण और मोहम्मद सलाह की विनम्रता से प्रभावित थीं। इस्लाम के बारे में कुछ शोध और अध्ययन के बाद, उन्होंने बिना किसी दबाव के इस धर्म को चुना। msm