पैग़म्बरे इस्लाम सुंदरतम आचरण और सर्वोत्तम शिष्टता को किसमें मानते हैं?
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पैग़म्बरे इस्लाम सुंदरतम आचरण और सर्वोत्तम शिष्टता को किसमें मानते हैं?
पार्स टुडे – उस दुनिया में जहाँ मानवीय संबंध दिन-प्रतिदिन अधिक जटिल होते जा रहे हैं, सच्चाई अब भी उन मूल्यों में से एक है जो संबंधों में विश्वास, शांति और सम्मान को जीवित रखती है।
धर्म या संस्कृति से परे हम सब अपने जीवन के कुछ क्षणों में ऐसे लोगों की तलाश करते हैं जिनकी बातों पर निश्चिंत होकर भरोसा किया जा सके। ऐसे लोग जो सत्यवादी या सच्चे हों।
पार्स टुडे की रिपोर्ट के अनुसार इस्लामी परंपरा में सच्चाई केवल एक व्यक्तिगत सद्गुण ही नहीं बल्कि नैतिक परिपक्वता और सामाजिक शिष्टता का भी प्रतीक है। हज़रत मुहम्मद पैग़म्बर-ए-इस्लाम ने एक छोटी परंतु गहरी बात में इस सिद्धांत को यूँ व्यक्त किया है:
सत्य व सच बोलना और झूठ से परहेज़ करना सबसे सुंदर आचरण और सर्वोत्तम शिष्टता है।
यह दृष्टिकोण केवल एक धार्मिक उपदेश नहीं बल्कि एक सार्वभौमिक संदेश है यह कि मनुष्य अपनी ज़बान से भरोसे के पुल बना सकता है या अविश्वास की दीवारें खड़ी कर सकता है। झूठ, भले ही किसी समस्या से बचने या दिखावा बनाए रखने के लिए कहा जाए अंततः संबंधों को कमजोर करता है और दिलों में दूरी लाता है।
इस्लाम जैसा कि कुछ लोग समझते हैं केवल आदेशों और नियमों का समूह नहीं है बल्कि यह एक आमंत्रण है नैतिकता के साथ जीने का, सच्चाई के साथ बोलने का और इंसानों का सम्मान करने का। इस धर्म में “अदब” अर्थात शिष्टाचार और अख़लाक़ व नैतिकता की अहमियत इबादत के बराबर है। सत्य बोलना इस दृष्टि से केवल एक अच्छा व्यवहार नहीं, बल्कि एक प्रकार की इबादत है क्योंकि इसके ज़रिए दिलों को सुकून मिलता है और समाज मानसिक तथा सामाजिक स्वास्थ्य की ओर अग्रसर होता है। mm