पुतिन ट्रम्प की अल्टीमेटम को क्यों नजरअंदाज कर रहे हैं?
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पार्सटुडे - रूस के राष्ट्रपति विलादिमीर पुतिन डोनल्ड ट्रम्प के यूक्रेन युद्ध में युद्धविराम के अल्टीमेटम को मानने से इनकार कर रहे हैं, जिसकी आख़िरी तारीख़ 8 अगस्त, शुक्रवार को समाप्त हो रही है।
(last modified 2025-08-12T13:52:51+00:00 )
Aug ०७, २०२५ १७:४३ Asia/Kolkata
  • पुतिन ट्रम्प की अल्टीमेटम को क्यों नजरअंदाज कर रहे हैं?
    पुतिन ट्रम्प की अल्टीमेटम को क्यों नजरअंदाज कर रहे हैं?

पार्सटुडे - रूस के राष्ट्रपति विलादिमीर पुतिन डोनल्ड ट्रम्प के यूक्रेन युद्ध में युद्धविराम के अल्टीमेटम को मानने से इनकार कर रहे हैं, जिसकी आख़िरी तारीख़ 8 अगस्त, शुक्रवार को समाप्त हो रही है।

पार्सटुडे की रिपोर्ट के अनुसार, क्रेमलिन के करीबी सूत्रों ने बताया है कि रूसी राष्ट्रपति विलादीमीर पुतिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प के यूक्रेन युद्धविराम के अल्टीमेटम को स्वीकार नहीं करेंगे। ट्रम्प ने धमकी दी है कि अगर समझौता नहीं हुआ तो वह रूस पर नए प्रतिबंध लगाएंगे और रूसी तेल खरीदने वाले देशों पर (जिनमें चीन और भारत भी शामिल हैं) 100% टैरिफ लगाएंगे।

 

तीन हफ्ते पहले ट्रम्प ने कहा था कि वे पुतिन को अपना वचन निभाने वाला समझते थे, लेकिन अब उन्हें निराशा हुई है। वहीं पुतिन ने यूक्रेन युद्ध के दौरान बार-बार स्पष्ट किया है कि वे केवल उन्हीं समझौतों को स्वीकार करेंगे जो उनकी शर्तों को पूरा करते हों, नहीं तो युद्ध जारी रखेंगे। ट्रम्प की धमकी भरी भाषा और मास्को पर दबाव बनाने के लिए अल्टीमेटम क्रेमलिन की स्थिति में कोई बदलाव लाने में विफल रहा है।

 

पश्चिमी मीडिया का दावा है कि पुतिन पहले डोनेट्स्क, लुहान्स्क, ज़ापोरिज़िया और खेरसॉन के चार क्षेत्रों पर पूर्ण नियंत्रण स्थापित करना चाहते हैं, उसके बाद ही शांति वार्ता के लिए तैयार होंगे। उनका मानना है कि रूस, यूक्रेन में आगे बढ़ रहा है और नए प्रतिबंधों का कोई खास असर नहीं होगा, इसलिए वे ट्रम्प की रूस पर अतिरिक्त प्रतिबंधों की धमकियों को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। हालांकि रूसी राष्ट्रपति ट्रम्प को नाराज़ नहीं करना चाहते और वाशिंगटन के साथ संबंध सुधारने की उम्मीद रखते हैं, लेकिन उनकी प्राथमिकता यूक्रेन युद्ध को अपने लक्ष्यों तक पहुंचाना है।

 

ये दावे ऐसे समय में सामने आए हैं जब हाल के दिनों में ख़बर आई थी कि ट्रम्प सरकार यूरोपीय देशों से पैसा लेकर उन्हें कीव को रूस के खिलाफ लड़ने के लिए हथियार देगी। नीदरलैंड्स औपचारिक रूप से यूक्रेन के लिए अमेरिका से हथियार खरीदने वाला पहला यूरोपीय देश बन गया है। पिछले तीन महीनों में रूस ने 2025 में सबसे बड़ी क्षेत्रीय प्रगति दर्ज की है और सैन्य कमांडरों ने पुतिन को बताया है कि यूक्रेनी मोर्चा अगले दो से तीन महीनों में ढह जाएगा।

 

इस बीच, ट्रम्प ने यूक्रेन द्वारा रूसी स्थितियों पर किए गए भारी हमलों का जिक्र किए बिना, रूसी बमबारी की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने नैटो को हथियार बेचने और रूसी तेल खरीदने वाले देशों पर कड़े प्रतिबंधों की धमकी जैसे कदमों को अपने एजेंडे में शामिल किया है। इसी क्रम में, डोनल्ड ट्रम्प ने मंगलवार को यूक्रेन युद्ध के बारे में दावा करते हुए फिर से भारत को रूस से तेल खरीदने के कारण टैरिफ बढ़ाने और दंडित करने की धमकी दी। उन्होंने कहा कि यदि ऊर्जा की कीमतें कम हो जाती हैं, तो पुतिन युद्ध और लोगों की हत्या बंद कर देंगे। अमेरिकी राष्ट्रपति, जो अब तक यूक्रेन और रूस के युद्ध को तुरंत रोकने के अपने चुनावी वादे को पूरा नहीं कर पाए हैं, मास्को पर दबाव बनाने के लिए भारत को दंडित करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने भारत के खिलाफ अपने बयानों को दोहराते हुए कहा कि वह भारत पर टैरिफ में उल्लेखनीय वृद्धि करेंगे।

भारत को ट्रम्प की यह धमकी ऐसे समय में आई है जब यूक्रेन में युद्धविराम पर सहमति न होने के कारण रूस के साथ उनके संबंध लगातार खराब होते जा रहे हैं। उन्होंने यहां तक धमकी दी है कि यदि प्रगति नहीं हुई तो नए आर्थिक प्रतिबंध लगाए जाएंगे।

 

अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा यूक्रेन में युद्धविराम न होने पर रूस पर नए प्रतिबंध लगाने की चेतावनी के बीच, अमेरिका के पश्चिम एशिया विशेष दूत स्टीवन वाइटकॉफ बुधवार को मास्को पहुंचे, जहां वे रूसी अधिकारियों से मुलाकात करेंगे। यह इस साल की शुरुआत से वाइटकॉफ की रूस की कई यात्राओं में से एक है - इससे पहले वे 11 और 25 अप्रैल को भी रूस आ चुके हैं और राष्ट्रपति विलादीमीर पुतिन से मिल चुके हैं।

 

यह घटनाक्रम ऐसे नाजुक मोड़ पर हो रहा है जब अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा रूस को दिया गया 8 अगस्त का शांति समझौते का अल्टीमेटम समाप्त होने वाला है। अब तक ट्रम्प के वादों और धमकियों ने क्रेमलिन की स्थिति में कोई बदलाव नहीं लाया है, और राजनयिक गतिरोध जस का तस बना हुआ है। इस बीच, यूक्रेन युद्ध के मोर्चे पर और अधिक क्षेत्र खो चुका है।

हालांकि ट्रम्प ने 8 अगस्त को समझौते की अंतिम तिथि तय की है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि यह समयसीमा प्रगति लाएगी या मतभेदों को और गहरा करेगी। आने वाले कुछ दिन यूक्रेन-रूस संघर्ष की दिशा तय करेंगे। जहां ट्रम्प का कहना है कि प्रतिबंध "अपरिहार्य" हैं, वहीं वाइटकॉफ की यह यात्रा - जो जनवरी से कई बार पुतिन से मिल चुके हैं - क्रेमलिन पर दबाव बनाने की एक कोशिश लगती है। हालांकि अमेरिकी विदेश मंत्री मार्क रुबियो ने इसकी संभावना को "बेहद कम" बताया है।

 

अमेरिकी दबाव (खासकर प्रतिबंधों के मामले में) बढ़ने के बावजूद, संकेत मिलते हैं कि मास्को वाशिंगटन की मांगों के आगे झुकने वाला नहीं है। एक रूसी सूत्र ने जोर देकर कहा कि "आर्थिक दबाव बढ़ने पर भी क्रेमलिन को विश्वास है कि वह प्रतिबंधों को पार कर लेगा", साढ़े तीन साल के युद्ध के अनुभव और उत्तर कोरिया व चीन के समर्थन ने मास्को को यह आत्मविश्वास दिया है।

 

सूत्र के अनुसार, ट्रम्प ने पहले एक प्रस्ताव रखा था जिसमें पूर्ण युद्धविराम पर प्रतिबंध हटाने और क्रीमिया सहित रूसी-नियंत्रित क्षेत्रों को मान्यता देने की बात थी, लेकिन पुतिन ने इसे खारिज कर दिया। सूत्र ने कहा: "युद्ध शुरू करना आसान है, लेकिन इसे समाप्त करना सोच से कहीं ज्यादा कठिन है। (AK)

 

कीवर्ड्ज़: यूक्रेन, रूस, यूक्रेन जंग,

 

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