योरोप को जैसी करनी वैसी भरनी का सामना
(last modified Sat, 27 May 2017 11:33:01 GMT )
May २७, २०१७ १७:०३ Asia/Kolkata

योरोप को जैसी करनी वैसी भरनी का सामना

इटली के सिस्ली शहर में शुक्रवार को गुट-7 का दो दिवसीय शिखर सम्मेलन शुरु हुआ। इस सम्मेलन के 7 सदस्य देश अमरीका, कैनडा, जर्मनी, ब्रिटेन, फ़्रांस, इटली और जापान के नेताओं ने जलवायु परिवर्तन, पलायन, आज़ाद व्यापार, सुरक्षा और आतंकवाद के विषय पर चर्चा कर रहे हैं। 
शुक्रवार को गुट-7 की बैठक की समाप्ति पर सदस्य देशों की ओर से आतंकवाद के ख़िलाफ़ संघर्ष के बारे में एक बयान जारी हुआ। सातों देश के नेताओं ने आतंकियों द्वारा इंटरनेट के इस्तेमाल, पश्चिमी देशों के आतंकियों की स्वदेश वापसी और आतंकवादी गुटों के वित्तीय स्रोतों पर चर्चा की और इसी प्रकार वे इन विशयों से जुड़े ख़तरों की पूर्व रोकथाम के लिए सदस्य देशों के बीच मंत्री स्तर की बैठक के आयोजन पर सहमत हुए। 
गुट-7 की संरचना और इसके नेताओं के आतंकवाद के संबंध में दावों के मद्देनज़र इस बात पर ध्यान देना बहुत अहम है कि इस गुट के कुछ सदस्य देश यानी अमरीका, ब्रिटेन और फ़्रांस का आतंकवाद के फैलने में बहुत क्रूर रोल रहा है। इन तीनों देशों ने हालिया वर्षों में सीरिया में आतंकवादी गुटों की मदद कर तकफ़ीरी आतंकवाद के फैलने में बहुत ख़तरनाक रोल अदा किया और अब इन्हीं देशों को जैसी करनी वैसी भरनी का सामना है। इन देशों में ख़ास तौर पर ब्रिटेन और फ़्रांस ने कभी सोचा भी नहीं था कि आतंकवादी गुटों को बनाने और उनके विस्तार में व्यापक रोल अदा करने की एक दिन ख़ुद उन्हें ही क़ीमत चुकानी पड़ सकती है। गुट-7 में योरोपीय आतंकियों की स्वदेश वापसी के विषय पर सबसे ज़्यादा ब्रितानी प्रधान मंत्री टेरीज़ा मे चिंतित नज़र आयीं। लेकिन पेरिस, लंदन और मैनचेस्टर के हालिया हमलों ने यह दर्शा दिया कि यह चिंता निरर्थक नहीं है बल्कि अब योरोप को बड़ी संख्या में आतंकवादी घटनाओं का सामना करने के लिए तय्यार रहना चाहिए। आंकड़ों के अनुसार, इस समय इराक़ और सीरिया में सक्रिय तकफ़ीरी आतंकवादी गुटों में ख़ास तौर पर दाइश में लगभग 10000 पश्चिमी देशों के आतंकी मौजूद हैं। (MAQ/T)