अफ़्रीक़ा, जिस पर लगी हैं बड़ी ताक़तों की निगाहें
जी-20 की बैठक में जो जर्मनी के हैमबर्ग शहर में आयोजित हुई है जलवायु परिवर्तन, व्यापारिक समझौतों के भविष्य के अलावा अफ़्रीक़ा की समस्याएं भी चर्चा के प्रमुख मुद्दों में शामिल हैं।
जर्मन चान्सलर एंगेला मर्केल ने हाल ही में बर्लिन में कुछ अफ़्रीक़ी देशों के नेताओं से मुलाक़ात में कहा कि अफ़्रीक़ी देशों के आर्थिक विकास के उपाय और अधिक ज़रूरतमंद अफ़्रीक़ी देशों को संकट से बाहर निकलने में सहयोग जी20 के शिखर सम्मेलन के एजेंडे का हिस्सा है।
हालांकि पश्चिमी देशों ने अफ़्रीक़ा को हमेशा अपने उपनिवेश के रूप में देखा है लेकिन राजनैतिक, आर्थिक और सुरक्षा क्षेत्रों में आने वाले परिवर्तनों के चलते अब विश्व व्यवस्था में अफ़्रीक़ा को एक विशेष स्थान मिल गया है अतः इस महाद्वीप के विभिन्न भागों में एक ओर बड़ी शक्तियों के बीच आरथिक व सुरक्षा प्रतिस्पर्धा शुरू हो गई है और दूसरी ओजर अफ़्रीक़ा में खाद्य पदार्थों का अभाव, सूखा, स्थानीय लोगों का पलायन, आतंकी संगठनों की बढ़ती संख्या कारण बनी है कि चीन, रूस, अमरीका और यूरोपीय देश इस महाद्वीप में अपना प्रभाव और बढ़ाएं।
आर्थिक दृष्टि से देखा जाए तो अफ़्रीक़ा महाद्वीप संसाधनों और खदानों से मालामाल है और सस्ता श्रमबल उपलब्ध है, पूंजीनिवेश के लिए अच्छे क्षेत्र मौजूद हैं इस लिए भी बहुत से देश इस क्षेत्र को अपने लिए अच्छे बाज़ार के रूप में देख रहे हैं। चीन और अफ़्रीक़ी देशों के बीच व्यापार वर्ष 2000 से अब तक 20 गुना से अधिक हो चुका है। इससे अमरीका विशेष रूप से चिंतित है। चीन ने अफ़्रीक़ा के आर्थिक क्षेत्र के साथ ही राजनैतिक और सुरक्षा क्षेत्रों में भी अपना प्रभाव बढ़ा दिया है। फ़्रांस भी हमेशा अफ़्रीक़ा में अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए प्रयासरत रहा है। अब यह प्रतिस्पर्धा अधिक गंभीर रूप धारण कर गई है। अफ़्रीक़ा में कई स्थानों पर अमरीका ने सैनिक छावनियां बना रखी हैं। चूंकि अफ़्रीक़ा के कई देशों में युद्ध और गृह युद्ध की स्थिति है अतः हथियारों का यह बड़ा बाज़ार भी बन गया है। दुनिया भर में आतंकी घटनाएं बढ़ी हैं तो हथियार बेचने वाले देशों को आतंकवाद को नियंत्रित करने के नाम पर हथियार बेचने का और अच्छा बहाना मिल गया है। अफ़्रीक़ा के कई देशों में फ़्रांस ने अपने सैनिक तैनात कर रखे हैं।
अफ़्रीक़ा के मामलों के विशेषज्ञ और लेखक हार्वे बोर्जे का कहना है कि अफ़्रीक़ा आज के संसार के भीतर अपने आप में एक बड़ी दुनिया है जिसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता क्योंकि इस महाद्वीप को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर महत्वपूर्ण स्थान मिलना तय है।
इन्हीं हालात की वजह से जी 20 ने ही अफ़्रीक़ा के विषय को अपने एजेंडे में स्थान दिया है।