अफ़ग़ान संसद सभापति सुरक्षा स्थिति से नाराज़, सरकार को दी नसीहत
अफ़ग़ानिस्तान के संसद सभापति अब्दुर्रऊफ़ इब्राहीमी ने तालेबान के हालिया हमलों की आलोचना करते हुए कहा कि इस स्थिति का जारी रहना देश के हित में नहीं है सरकार को चाहिए कि तत्काल इस पर अंकुश लगाए।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति मुहम्मद अशरफ़ ग़नी और कार्यकारी अधिकारी अब्दुल्लाह अब्दुल्लाह के बीच मतभेद के कारण देश में सुरक्षा समस्याएं बढ़ गई हैं, राष्ट्रीय एकता सरकार के पदाधिकारियों को चाहिए कि राजनैतिक सहमति के लिए प्रयास करें।
संसद सभापति ने सुरक्षा अधिकारियों के ज़िम्मेदारी न लेने पर तीखी टिप्पणी की और कहा कि अफ़ग़ानिस्तान में दाइश और तालेबान जैसे आतंकी संगठनों से लड़ने के संकल्प का अभाव है और काबुल सरकार की सुरक्षा रणनीति भी स्पष्ट नहीं है।
देश में बढ़ती हिंसा और उसके दुष्परिणामों पर अफ़ग़ान संसद सभापति का चिंता जताना इस बात का चिन्ह है कि तालेबान ने हालिया हफ़्तों में जो बड़े हमले किए और कुछ इलाक़ों पर क़ब्ज़ा कर लिया उसकी रोक थाम के लिए ठोस रणनीति का अभाव है। हाल ही में फ़राह प्रांत के गवर्नर ने घोषणा की थी कि शीब कूह इलाक़े पर तालेबान का नियंत्रण हो गया है। ग़ज़्नी प्रांत में शूलगिरह और वरदक प्रांत में चुग़तू इलाक़ा भी तालेबान के भीषण हमलों का निशाना बना है।
मंगलवार को तालेबान ने पकतिया प्रांत के केन्द्रीय शहर गरदीज़ में पुलिस ट्रेनिंग सेंटर पर हमला किया था जिसमें 40 से अधिक सुरक्षा कर्मी हताहत और 200 अन्य घायल हो गए थे। फ़राह, वरदक और पकतिया की भी सुरक्षा स्थिति का जायज़ा लिया जाए तो साबित होता है कि संसद सभापति ने ज़मीनी तथ्यों को नज़र में रखते हुए अपनी चिंता जताई है। उन्होंने नेतृत्व के भीतर मतभेद की जो बात कही है उस पर देश के राजनैतिक व प्रचारिक गलियारों ने विशेष रूप से ध्यान केन्द्रित किया है। इस ज़रूरत का आभास सभी गलियारे कर रहे हैं कि अफ़ग़ानिस्तान की सरकार को एकता के मुद्दे पर व्यापक रूप से ध्यान देने की ज़रूरत है।