पांच लाख रोहिंग्या बच्चे ख़तरनाक स्थिति मेंः यूनीसेफ
यूनीसेफ ने घोषणा की है कि पांच लाख रोहिंग्या बच्चे बहुत ही ख़तरनाक स्थिति में जीवन गुज़ार रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र संघ के अंतर्राष्ट्रीय बाल आपातकालीन कोष यूनिसेफ ने चेतावनी दी है कि बांग्लादेश में विस्थापन के बाद लगभग 5 लाख रोहिंग्या बच्चों के हालात बहुत ही ख़तरनाक हैं।
बांग्लादेश में यूनिसेफ कार्यक्रम के प्रमुख एडॉरड बैगबेदर ने मानसून और चक्रवाती तूफान के प्रभावों पर चेतावनी देते हुए कहा कि हजारों बच्चे पहले से ही भयावह हालात में जीने पर मजबूर हैं जिनको बीमारी, बाढ़, भूस्खलन और फिर से विस्थापन जैसी समस्याएं झेलनी पड़ सकती हैं। यूनिसेफ़ का कहना है कि यहां पर पहले से ही मानवता के लिए हालात भयावह हैं।
यूनीसेफ के अनुसार बांग्लादेश में शरणार्थी शिविरों में डिप्थीरिया फैलने से दसियों लोगों की जानें गई हैं। मृतकों में कम से कम 24 बच्चे शामिल हैं। रोहिंग्या शरणार्थी शिविरों में डिप्थीरिया के लगभग चार हज़ार संदिग्ध मामले सामने आये हैं।
डिप्थीरिया एक संक्रामक रोग है। इस बीमारी से ग्रस्त होने पर छोटे बच्चों की मृत्यु होने की आशंका सबसे ज्यादा रहती है। बैगबेदर ने कहा कि असुरक्षित पानी, अपर्याप्त सफाई और स्वच्छता की खराब स्थिति से हैजा तथा हेपेटाइटिस-ई फैलने का ख़तरा बना रहता है। डिप्थीरिया, गर्भवती महिलाओं और उनके बच्चों के लिए भी जानलेवा बीमारी है। वहीं जलभराव से मलेरिया फैलने का ख़तरा है।
उल्लेखनीय है कि गत साल अगस्त माह में म्यांमार की सेना और वहां के बौद्ध चरमपंथियों द्वारा रोहिंग्या मुसलमानों के दमन की वजह से लगभग साढ़े छह लाख रोहिंग्या मुसलमानों को म्यांमार के रखाइन प्रांत से विस्थापित होकर सीमा पार करके बांग्लादेश में शरण लेने को विवश होना पड़ा था।