जेसीपीओए को बचाने के लिए ईयू की जारी कोशिश
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योरोपीय संघ की विदेश नीति प्रभारी फ़ेड्रीका मोग्रीनी ने इस बात पर बल देते हुए कि विश्व समुदाय परमाणु समझौते जेसीपीओए का समर्थन करता है और इसका कोई विकल्प नहीं है, कहा कि जेसीपीओए के संबंध में योरोपीय संघ का दृष्टिकोण बदला नहीं है और यह संघ इस समझौते के पूरी तरह क्रियान्वयन पर कटिबद्ध है।
(last modified 2023-04-09T06:25:50+00:00 )
Jun १३, २०१८ १६:२२ Asia/Kolkata

योरोपीय संघ की विदेश नीति प्रभारी फ़ेड्रीका मोग्रीनी ने इस बात पर बल देते हुए कि विश्व समुदाय परमाणु समझौते जेसीपीओए का समर्थन करता है और इसका कोई विकल्प नहीं है, कहा कि जेसीपीओए के संबंध में योरोपीय संघ का दृष्टिकोण बदला नहीं है और यह संघ इस समझौते के पूरी तरह क्रियान्वयन पर कटिबद्ध है।

अलबत्ता 8 मई को अमरीका के जेसीपीओए से निकलने के समय से योरोपीय अधिकारी ट्रम्प के इस फ़ैसले को एकपक्षवादी नीति के तहत उठाया गया क़दम मानते हैं जो अंतर्राष्ट्रीय क़ानून के ख़िलाफ़ है और उसी समय से योरोपीय अधिकारी जेसीपीओए की रक्षा पर बल दे रहे हैं। लेकिन जबसे अमरीका ने एकपक्षवादी नीति में तेज़ी लाते हुए स्पात और अल्मूनियम की आयात ड्यूटी बढ़ा कर योरोप के आर्थिक हित को ख़तरे में डाला है, योरोप की नज़र में जेसीपीओए की रक्षा की अहमियत बढ़ गयी है। जैसा कि फ़ेड्रीका मोग्रीनी ने साफ़ तौर पर कहा है कि ईरान के साथ परमाणु समझौता 12 साल की कूटनीति का नतीजा है और इसका पूरे अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से संबंध है। ट्रम्प का जेसीपीओए से निकलने का फ़ैसला अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की प्रतिष्ठा, कई पक्षीय व्यवस्था व संयुक्त राष्ट्र संघ पर हमला था।

जैसा कि इस बारे में कैनडा की लेकहेड यूनिवर्सिटी में क़ानून के प्रोफ़ेसर राएन ऐल्फ़र्ड का कहना हैः "अंतर्राष्ट्रीय क़ानून में किसी समझौते के एकपक्षीय रूप से निरस्त होने की कोई अहमियत नहीं है, अमरीका का एकपक्षीय रूप से जेसीपीओए से निकलना अंतर्राष्ट्रीय क़ानून का उल्लंघन है।"

मोग्रेनी के बयान से मुश्किलों के हल में कई पक्षीय नीति व अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति के परिणामजनक होने की पुष्टि होती है। इसीलिए जेसीपीओए की रक्षा के लिए कोशिश जारी है। (MAQ/T)