पश्चिम के अपराधों का इतिहास/ न्यूज़ीलैंड में ब्रिटेन के अपराध
-
ब्रिटिश साम्राज्यवादियों का न्यूज़ीलैंड के उन मूल निवासियों के सिरों का संग्रह, जो ब्रिटिश आक्रमणकारियों के ख़िलाफ़ लड़ाई में मारे गए थे। न्यूज़ीलैंड; 1895
पार्स टुडे - न्यूज़ीलैंड पर औपनिवेशिक कब्ज़े के दौरान ब्रिटेन ने ऐसे अपराध किए, जिनके निशान आज भी माओरी समाज और इस देश की राजनीतिक संरचना में मौजूद हैं।
पार्स टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, उन्नीसवीं सदी में, प्रशांत क्षेत्र में ब्रिटिश साम्राज्य के प्रभाव के विस्तार के साथ, न्यूज़ीलैंड ब्रिटिश साम्राज्यवादियों का एक प्रमुख लक्ष्य बन गया। यूरोपीय प्रवासियों का आगमन और 1840 में ब्रिटिश प्रतिनिधियों और कुछ माओरी जनजातियों के बीच वैतांगी संधि पर हस्ताक्षर ने खूनी संघर्षों और व्यापक अन्याय के एक दौर की शुरुआत की। यह संधि माओरी लोगों के अधिकारों की रक्षा करने वाली थी, लेकिन व्यवहार में यह ब्रिटेन के पूर्ण वर्चस्व का एक उपकरण बन गई।
माओरी जनजातियों के ख़िलाफ़ औपनिवेशिक युद्ध:
संधि पर हस्ताक्षर के बाद, इसकी शर्तों की व्याख्या को लेकर मतभेद शुरू हो गए। मूल निवासियों के अधिकारों को सुरक्षित रखने के शुरुआती वादों के बावजूद, ब्रिटिश सरकार ने तेजी से ऐसी नीतियां अपनाईं, जिनके कारण जनजातीय भूमि का जब्तीकरण हुआ और माओरी सामाजिक ढांचा कमजोर हुआ। इन कार्यवाहियों के जवाब में, माओरी जनजातियों ने प्रतिरोध किया और उनके और ब्रिटिश सेनाओं के बीच युद्ध छिड़ गए, जो "न्यूज़ीलैंड के युद्धों" के नाम से प्रसिद्ध हैं। ये युद्ध, जो 1845 से 1872 तक चले, भारी हिंसा के साथ जुड़े थे और हजारों मूल निवासी मारे गए, घायल हुए या विस्थापित हुए और गांवों तथा कृषि भूमि को आग के हवाले कर दिया गया। इन संघर्षों के दौरान, ब्रिटिश सेना ने गांवों को जलाने, खाद्य संसाधनों को नष्ट करने जैसी रणनीतियों का इस्तेमाल किया और कई माओरी नेताओं को कैद कर लिया गया या फांसी दे दी गई। साथ ही, युद्धों की समाप्ति के बाद, माओरी लोगों की विशाल भूमि को जब्त करके यूरोपीय प्रवासियों को दे दिया गया, जिसके कारण व्यापक गरीबी फैली और मूल निवासियों की पारंपरिक अर्थव्यवस्था नष्ट हो गई।
ऐतिहासिक आंकड़े "न्यूज़ीलैंड के युद्धों" के दौरान मूल निवासियों की जनसंख्या के हिसाब से भारी जानहानि को दर्शाते हैं।
उत्तरी युद्ध (1845–1846)
स्थान: बे ऑफ आइलैंड्स क्षेत्र
वजह: वैतांगी संधि पर हस्ताक्षर के बाद अपनी बढ़ती राजनीतिक और आर्थिक शक्ति के विरोध में माओरी लोगों का विरोध
हताहत: ओहाएवाऊई (Ohaeawai) की लड़ाई में ब्रिटिश सेना के लगभग 94 और माओरी लोगों के लगभग 28 लोग मारे गए।
दक्षिणी युद्ध (1847–1848)
स्थान: वेलिंगटन क्षेत्र
वजह: जनजातीय भूमि के स्वामित्व को लेकर विवाद
हताहत: माओरी लोगों के लगभग 15 और ब्रिटिश सेना के लगभग 11 लोग मारे गए।
तारानाकी युद्ध (1860–1861)
स्थान: नॉर्थ आइलैंड का तारानाकी क्षेत्र
वजह: भूमि जब्ती के खिलाफ जनजातीय प्रतिरोध
हताहत: माओरी लोगों के 200 से अधिक, और ब्रिटिश सेना तथा यूरोपीय प्रवासियों के लगभग 100 लोग मारे गए।
वाइकाटो युद्ध (1863–1864)
स्थान: वाइकाटो क्षेत्र
वजह: माओरी राजतंत्र आंदोलन का दमन
हताहत: माओरी लोगों के लगभग 500, और ब्रिटिश सेना एवं उनके सहयोगियों के लगभग 230 लोग मारे गए।
पूर्वी युद्ध (1865–1872)
स्थान: नॉर्थ आइलैंड के पूर्वी क्षेत्र
वजह: माओरी धार्मिक और राजनीतिक आंदोलनों जैसे पाई मारिरे (Pai Mārire) आंदोलन का दमन
हताहत: माओरी लोगों के 300 से अधिक, और सरकारी बलों के लगभग 100 लोग मारे गए।
ऐतिहासिक अनुमानों के आधार पर, न्यूजीलैंड के युद्धों में कुल हताहतों की संख्या इस प्रकार है: माओरी लोगों के 2000 से अधिक और ब्रिटिश सेना तथा प्रवासियों के लगभग 800 लोग मारे गए। बेशक, ये आंकड़े सीधे लड़ाई में मारे गए लोगों को शामिल करते हैं, इनमें विस्थापन, बीमारी और अकाल के कारण हुई अप्रत्यक्ष मौतें शामिल नहीं हैं।
भूमि का जब्तीकरण और मूल अर्थव्यवस्था का विनाश:
न्यूजीलैंड में ब्रिटेन का एक बड़ा अपराध माओरी लोगों की भूमि का बड़े पैमाने पर जब्तीकरण था। औपनिवेशिक कानूनों को पारित करके, जनजातीय भूमि ब्रिटिश सरकार के स्वामित्व में आ गई और यूरोपीय प्रवासियों को दे दी गई। इस कार्यवाही के निम्नलिखित परिणाम हुए:
माओरी लोगों की पारंपरिक अर्थव्यवस्था नष्ट हो गई।
मूल निवासियों में व्यापक गरीबी और बेघरहोना फैल गया।
जनजातियों की सामाजिक संरचना बिखर गई।
सांस्कृतिक और पहचान के विनाश के प्रयास:
ब्रिटिश उपनिवेशवाद केवल सैन्य और आर्थिक पहलुओं तक सीमित नहीं था। सांस्कृतिक उपनिवेशवाद भी पूरी ताकत से लागू किया गया था। माओरी लोगों को ब्रिटिश संस्कृति में विलय करने के उद्देश्य से सांस्कृतिक नीतियां लागू की गईं:
स्कूलों में माओरी भाषा के बजाय अंग्रेजी भाषा सीखना अनिवार्य कर दिया गया।
मूल रीति-रिवाजों और परंपराओं पर प्रतिबंध लगा दिया गया या उनका अपमान किया गया।
माओरी बच्चों को उनके परिवारों से अलग करके ब्रिटिश बोर्डिंग स्कूलों में पाला-पोसा गया। (कनाडा के मूल निवासियों के साथ भी ऐसा ही हुआ)।
इन कार्यवाहियों ने माओरी लोगों की पीढ़ियों को उनकी सांस्कृतिक जड़ों से अलग कर दिया, जिससे पहचान का संकट पैदा हो गया और गहरे मनोवैज्ञानिक और सामाजिक प्रभाव छोड़े। आज भी, कई माओरी लोग इन अपराधों के परिणामों से जूझ रहे हैं और ऐतिहासिक न्याय और मुआवजे की मांग कर रहे हैं।
न्यायिक अन्याय और संस्थागत भेदभाव:
औपनिवेशिक काल के दौरान, न्यूजीलैंड की न्यायिक प्रणाली अत्यधिक भेदभावपूर्ण थी:
माओरी लोगों की अदालतों में कोई प्रतिनिधित्व नहीं था।
भूमि और संपत्ति के कानून यूरोपीय प्रवासियों के पक्ष में बनाए गए थे।
मूल निवासियों के विरोध पर कठोर दंड लगाए जाते थे।
इन अन्यायों ने माओरी लोगों की सरकारी संस्थाओं में विश्वास समाप्त कर दिया और एक गहरी सामाजिक खाई पैदा कर दी।
उपनिवेशवाद के मनोवैज्ञानिक और सामाजिक परिणाम:
न्यूजीलैंड में ब्रिटेन के अपराधों के दीर्घकालिक परिणाम हुए:
माओरी समुदायों में आत्महत्या और नशीली दवाओं की लत की उच्च दर
मूल निवासियों के बीच शिक्षा और स्वास्थ्य के स्तर में कमी
बाद की पीढ़ियों में अस्वीकृति और पहचानहीनता की भावना
ये परिणाम आज भी न्यूजीलैंड के सामाजिक आंकड़ों में देखे जा सकते हैं और उपनिवेशवाद के गहरे घावों को दर्शाते हैं। (AK)
हमारा व्हाट्सएप ग्रुप ज्वाइन करने के लिए क्लिक कीजिए
हमारा टेलीग्राम चैनल ज्वाइन कीजिए