रोहिंग्या शरणार्थियों की दुर्दशा पर राष्ट्र संघ की गहरी चिंता
संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव ने म्यांमार के रोहिंग्या शरणार्थियों के संकट को मानवता व मानवाधिकार के लिए एक डरावना सपना बताया है।
अंटोनियो गुटेरस ने रविवार की रात अपने हैंडल से ट्वीट किया कि रोहिंग्या मुसलमानों को सबसे अधिक हिंसा और भेदभाव का सामना करना पड़ा है और उनका संकट मानवता और मानवाधिकार के लिए एक दुःस्वप्न है। ज्ञात रहे कि 25 अगस्त 2017 से म्यांमार के राख़ीन प्रांत में रोहिंग्या मुसलमानों पर इस देश की सेना और चरमपंथी बौद्धों ने पाश्विक हमले शुरू किए थे जिनमें 6 हज़ार से अधिक लोग मारे और 8 हज़ार से अधिक घायल हुए हैं।
दस लाख से अधिक रोहिंग्या मुसलमान म्यांमार से पलायन करके पड़ोसी देशों विशेष कर बांग्लादेश में शरण लेने पर विवश हुए हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ ने हाल ही में घोषणा की है कि म्यांमार की सेना इस देश में जातीय सफ़ाए के प्रयास में है। म्यांमार की सरकार की ओर से बाधाएं डालने के बावजूद ईरान समेत कई देश और अंतर्राष्ट्रीय संगठन रोहिंग्या शरणार्थियों तक मानवता प्रेमी सहायताएं पहुंचाने में सफल हुए हैं। (HN)