दुनिया भर में डॉलर की फीकी पड़ती चमक!
(last modified Tue, 03 Jul 2018 12:08:46 GMT )
Jul ०३, २०१८ १७:३८ Asia/Kolkata

अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष ने दुनिया के अनेक देशों के विदेशी मुद्रा भंडार में डॉलर की भागीदारी कम होने की सूचना दी है।

इस अंतर्राष्ट्रीय संगठन ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 2018 की पहली तिमाही में दुनिया के अनेक देशों के विदेशी मुद्रा भंडार में डॉलर की भागीदारी कम हुयी है और बहुत से देशों में यूरो, युवान और पाउंड स्टर्लिंग को विदेशी मुद्रा के भंडार के रूप में जगह देने का रुझान बढ़ा है।

ऐसा लगता है कि विदेशी मुद्रा भंडार में पहली मुद्रा के रूप में डॉलर अपनी चमक निरंतर खोता जा रहा है। आंकड़े दर्शाते हैं कि देशों के विदेशी मुद्रा भंडार में डॉलर का स्थान लगातार पांचवी तिमाही गिरा है और पिछले 4 साल में सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की अपने मुद्रा भंडार के बारे में रिपोर्ट यह दर्शाती है कि 2018 की पहली तिमाही में दुनिया में विदेशी मुद्रा में डॉलर की भागीदारी 62 फ़ीसद है और उसके बाद यूरो है जिसकी भागीदारी 20 फ़ीसद पहुंच गयी है।

अमरीकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प की एकपक्षीय नीतियां जिसमें आर्थिक समझौतों और अपने व्यापारिक भागीदारों व प्रतिस्पर्धियों के ख़िलाफ़ अमरीका का व्यापारिक जंग छेड़ना शामिल है, इस बात का सबब बनी हैं कि बहुत से देश अपनी राष्ट्रीय मुद्रा में आपस में लेन-देन करें। इसकी स्पष्ट मिसाल अमरीका के अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर दो प्रतिस्पर्धी रूस और चीन ने आपस में रूबल और युवान में व्यापारिक लेन-देन करने का फ़ैसला किया है। दूसरे देश भी यहां तक कि अमरीका के भागीदारों ने भी दूसरी मुद्राओं में ख़ास तौर पर यूरो के इस्तेमाल का फ़ैसला किया है। मौजूदा प्रक्रिया के जारी रहने से डॉलर के इस्तेमाल में कमी आएगी और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में उसका स्थान कमज़ोर होगा। आर्थिक मामलों के टीकाकार मेहरदाद एमादी का मानना है कि केन्द्रीय बैंकों में यूरो को विदेशी मुद्रा के रूप में स्थान देने से डॉलर की मांग गिरेगी जिसके नतीजे में उसका मूल्य भी गिरेगा।(MAQ/T)

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