ऑस्ट्रेलिया भी चल पड़ा अमरीका के नक़्शे क़दम पर
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ऑस्ट्रेलिया के प्रधान मंत्री स्कटा मोरिसन (फ़ाइल फ़ोटो)
ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने इस देश के दूतावास को तेल अविव से बैतुल मुक़द्दस स्थानांतरित करने का आधिकारिक रूप से एलान किया है।
ऑस्ट्रलिया के प्रधान मंत्री ने अमरीकी राष्ट्रपति का अनुसरण करते हुए शनिवार को ऑस्ट्रेलिया के दूतावास को तेल अविव से बैतुल मुक़द्दस स्थानांतरित करने का आधिकारिक रूप से एलान किया है, हालांकि ऑस्ट्रेलियाई प्रधान मंत्री स्कॉट मोरिसन के इस फ़ैसले का इस देश के बहुत से राजनेताओं और हस्तियों ने विरोध किया है। मोरिसन के इस फ़ैसले का न सिर्फ़ ऑस्ट्रेलिया के भीतर बल्कि बाहर भी कड़ाई से विरोध हो रहा है।
ऑस्ट्रेलिया में विपक्ष के नेता बिल शॉर्टेन भी उन लोगों में शामिल हैं जिन्होंने इस देश के प्रधान मंत्री के इस फ़ैसले को ऑस्ट्रेलिया के लिए लज्जाजनक रूप से पीछे हटने की संज्ञा दी कि जिसका लक्ष्य देश में चुनावी हित साधना है। शॉर्टेन ने कहा कि मोरिसन ने अपने इस क़दम से ऑस्ट्रेलिया के राष्ट्रीय हित को अपने दलीय राजनैतिक हित पर क़ुर्बान कर दिया।
ऑस्ट्रेलिया में फ़िलिस्तीनियों के अधिकार के समर्थक चैनल के प्रमुख जॉर्ज ब्राउनिंग ने भी मोरिसन सरकार के इस क़दम को इस देश के लिए त्रासदी की संज्ञा दी। ऑस्ट्रेलिया में अनेक विपक्षी नेताओं ने विभिन्न सोशल साइटों के ज़रिए इस देश के प्रधान मंत्री मोरिसन के इस फ़ैसले की निंदा की। मलेशिया और इंडोनेशिया के साथ साथ ऑस्ट्रेलिय में पश्चिम एशिया और उत्तरी अफ़्रीक़ा सहित 13 से ज़्यादा देशों के राजनैतिक प्रतिनिधियों ने कैंबरा के दूतावास को बैतुल मुक़द्दस स्थानांतरित करने के घोषित फ़ैसले पर आपत्ति जतायी।
ग़ौरतलब है कि "डील ऑफ़ द सेन्चुरी" के तहत अमरीकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प ने 6 दिसंबर 2017 को इस देश के दूतावास को अतिग्रहित क़ुद्स स्थानांतरित करने का एलान किया और इस शहर को अतिग्रहणकारी ज़ायोनी शासन की राजधानी के रूप में मान्यता दी। ट्रम्प ने इस एलान को 14 मई 2018 को व्यवहारिक किया।
अमरीका की "डील ऑफ़ द सेन्चुरी" में, क़ुद्स को ज़ायोनी शासन को दिए जाने, दूसरे देशों में शरणार्थी के तौर पर रहने वाले फ़िलिस्तीनियों को वतन वापसी से वंचित किए जाने और फ़िलिस्तीनियों को पश्चिमी तट और ग़ज़्ज़ा पट्टी के इलाक़े में सीमित स्वामित्व का अधिकार देने की योजना है। (MAQ/N)