Feb १०, २०१६ १४:५६ Asia/Kolkata

एक रात हारून रशीद ने अपने मंत्री जाफ़र बरमकी और प्रसिद्ध तलवार चलाने वाले मसरूर के साथ वेष बदल कर शहर जाने का फ़ैसला किया ताकि लोगों की स्थिति को निकट से देख सकें।

पुराने समय की बात है, एक रात हारून रशीद ने अपने मंत्री जाफ़र बरमकी और प्रसिद्ध तलवार चलाने वाले मसरूर के साथ वेष बदल कर शहर जाने का फ़ैसला किया ताकि लोगों की स्थिति को निकट से देख सकें। जब वह दजला नदी के किनारे पहुंचे तो उन्होंने नाविकों से कहा कि वे उन्हें दजला नदी में घुमाएं। एक बूढ़े व्यक्ति ने उनसे कहा कि अभी दजला नदी में घूमने फिरने का समय नहीं है क्योंकि हर रात हारून रशीद अपनी नौका पर सवार होकर दजला नदी घूमने निकलता है और उसके पहरेदार यह बांग लगाते हैं कि इस दौरान जो भी नदी में दिखा उसकी गर्दन मार दी जाएगी। हारून रशीद को यह सुन कर बहुत आश्चर्य हुआ। उसने उस ढोंगी ख़लीफ़ा को देखने की ठान ली।

 

उसने कुछ पैसे देकर उस बूढ़े व्यक्ति को नदी में घूमने के लिए तैयार कर लिया और अंततः वह ढोंगी ख़लीफ़ा को देखने में सफल हुआ। उसने ढोंगी ख़लीफ़ा की नौका देखी और उसक पीछा करने लगा और जैसे ही वह ढोंगी ख़लीफ़ा की नौका के निकट पहुंचा उसके सिपाहियों ने उसे गिरफ़्तार कर लिया। हारून रशीद ने स्वयं को व्यापारी बताया। ढोंगी ख़लीफ़ा उन्हें अपने साथ अपने महल में लाया और उसने शाही दस्तरख़ान बिछाने का आदेश दिया। खाना खाने के बाद संगीत का कार्यक्रम था और ढोंगी ख़लीफ़ा संगीत की ताल में आपे से बाहर हो गया और उसने अपने सारे कपड़े फाड़ दिए और उसके बाद सेविकाओं ने उसको नया वस्त्र पहनाया। जब उसे नये वस्त्र पहनाये जा रहे थे तभी ख़लीफ़ा हारून रशीद ने ढोंगी ख़लीफ़ा के शरीर पर कोड़े के घाव देखे और उसने जाफ़र बरमकी को चुपके से यह बात बता दी। ख़लीफ़ा ने उन्हें बात करते देख लिया और उसने पूछा कि तुम लोग क्या बातें कर रहे हो। जाफ़र बरमकी ने कपड़े के फटने को बहाना बनाकर बात टाल दी।

ढोंगी ख़लीफ़ा ने कहा कि यह वे वस्त्र हैं जिन्हे हमने परिश्रम से कमाये पैसे से ख़रीदा है और इसके साथ जो चाहता हूंकरता हूं और उसके बाद उसे दोबारा नहीं पहनता और बैठक में बैठ किसी एक व्यक्ति को पांच सौ सिक्को के साथ भेंट कर देता हूं।

मंत्री ने जब यह देखा कि संभव है कि उस युवा को उसकी बातें बुरी लगी हों, तो उसने कहा कि महाराज, संपत्ति आप की है, आपकी जो इच्छा हो उसे करें, यह कितना अच्छा है कि आपके इस काम का दूसरे लोग भी लाभ उठा रहे हैं।

 

 

ढोंगी ख़लीफ़ा को जाफ़र बरमकी की बात पसंद आई और उसने उन कपड़ों से एक कपड़ा और एक हज़ार सिक्के, उन्हें उपहार स्वरूप दे दिए। हारून रशीद हर क्षण उस युवा के कार्य से आश्चर्य चकित होता जा रहा था। उसने एक बार फिर अपना मुंह अपने मंत्री के कान के निकट किया और कहा कि जाफ़र, अब हमको यह देखना है कि इस युवा का काम क्या है, वह यह काम जो कर रहा है इसका लक्ष्य क्या है? उससे उस कोड़े के निशान के बारे में पूछो जो मैंने उसकी पीठ पर देखा है। मंत्री ने कहा कि महाराज बेहतर है कि जल्दबाज़ी न करें, कहीं मामला बिगड़ न जाए। यदि आप धैर्य करें तो बहुत शीघ्र ही सब कुछ स्पष्ट हो जाएगा। हारून रशीद ने कहा कि मैं सौगंध खाता हूं यदि तुमने नहीं पूछा तो जब महल लौटेंगे तो जल्लादों को तुम्हारी गर्दन मारने का आदेश दे दूंगा।

 

ढोंगी ख़लीफ़ा ने एक बार फिर उनको काना फूसी करते देख लिया। उसने पूछा कि तुम दोनों बहुत अधिक काना फूसी कर रहे, मुझे भी बताओ की तुम क्या बात कर रहे थे। जाफ़र बरमकी ने उत्तर दियाः महाराज आप ही की अच्छी अच्छी बातें हो रही थीं। खलीफ़ा ने कहाः कुछ छिपाओ नहीं, जो बातें कर रहे थे वह खुलकर बताओ। जाफ़र ने कहाः महाराज गुस्ताख़ी माफ़, जब आप पर्दे के पीछे अपना वस्त्र बदल रहे थे, उसी समय कुछ क्षणों के लिए पर्दा हट गया और मेरे मित्र ने आपके शरीर पर कोड़े के निशान देखे, अब इनको जिज्ञासा है कि यह कोड़े के निशान आपके शरीर पर कैसे लगे। युवा ने जब यह सुना तो वह हंसने लगा और उसने कहाः अब मेरी समझ में आया कि तुम लोग काना फूसी क्यों कर रहे थे। उसके बारे में जानने में कोई समस्या नहीं है, काश, शीघ्र मुझसे ही पूछ लिया होता, तो मैं तुम्हें बता देता।

 

मेरी कहानी और इन कोड़ों के निशान की कहानी बहुत लंबी है, यदि तुम चाहो तो मैं तुम्हें बताऊं। जाफ़र बरमकी ने कहा, जी महाराज, हम पूरी तरह सुनने को तैयार हैं। युवा ने कहा, महाराज, जब मामला यहां तक पहुंच गया है तो अब व्यापारियों के रूप से बाहर आएं, मैंने आप लोगों को पहचान लिया है। मैं भलिभांति जानता हूं कि आज मेरे मेहमान, मुसलमानो के कमान्डर, उनके मंत्री जाफ़र बरमकी और प्रसिद्ध तलवार चलाने वाला मसरूर हैं। मैंने आरंभ में ही आप लोगों को पहचान लिया था और यह प्रयास किया कि ऐसी मेहमान नवाज़ी की जाए जो आप के योग्य हो। यह रहस्य न बताने का कारण यह था कि मैंने सोचा कि महान ख़लीफ़ा स्वयं अपनी पहचान गुप्त रखना चाहते हैं, इसीलिए मैं चुप रहा किन्तु अब आप मेरे बारे में जानना चाहते हैं तो मैं आप लोगों से अनुमति लेकर अपनी कहानी सुनाता हूं क्योंकि मेरी कहानी में कुछ बिन्दु हैं जिनसे आपको कष्ट हो सकता है। जाफ़र बरमकी ने एक बार फिर अपनी पहचान छिपाने का प्रयास किया किन्तु अब कोई फ़ायदा नहीं था। हारून ने युवा से कहा कि हे भले मनुष्य, अब तू हमें अपनी कहानी सुना, हम सब सुनने को तैयार हैं।