May ३०, २०१६ १६:१० Asia/Kolkata

हमने बताया कि एक रात ख़लीफ़ा हारून रशीद अपने मंत्री जाफ़र बरमकी के साथ भेस बदल कर बग़दाद में घूम रहा था कि उसका सामना एक बूढ़े मछुआरे से हुआ। उसे उस दिन एक भी मछली नहीं मिली थी।

हमने बताया कि एक रात ख़लीफ़ा हारून रशीद अपने मंत्री जाफ़र बरमकी के साथ भेस बदल कर बग़दाद में घूम रहा था कि उसका सामना एक बूढ़े मछुआरे से हुआ। उसे उस दिन एक भी मछली नहीं मिली थी। हारून रशीद ने उससे कहा कि वह जाल दजला नदी में डाले और जो कुछ भी उसे शिकार स्वरूप मिलेगा उसे वह सौ दीनार में ख़रीद लेगा। मछुआरे ने ऐसा ही किया और उसके जाल में एक भारी बक्सा फंस गया जिस पर ताला लगा हुआ था। ख़लीफ़ा ने मछुआरे को सौ दीनार दिए और बक्से को उठवा कर महल ले आया। बक्से में एक लड़की का ख़ून में डूबा हुआ शव रखा था।

 ख़लीफ़ा को बहुत ग़ुस्सा आया और उसने अपने मंत्री जाफ़र बरमकी को तीन दिन की मोहलत दी कि वह लड़की के हत्यारे को पकड़ कर उसके सामने ले आए वरना वह उसे और उसके भतीजों को फांसी पर लटका देगा।

जिस दिन सज़ा दी जाने वाले थी, उस दिन दो लोगों ने अपने आपको उस लड़की के हत्यारे के रूप में पेश किया। एक लड़की का पिता और दूसरा उसका पति था। युवा मर्द ने ख़लीफ़ा के सामने पूरी घटना सुनाई और कहा कि उसकी पत्नी बहुत बीमार थी और वह उसके लिए सेब ख़रीदने को बसरा गया था जहां उसने तीन सेब ख़रीदे। एक दिन वह अपनी दुकान में बैठा हुआ था कि उसने एक दास को देखा जिसके हाथ में एक सेब था और वह कह रहा था कि यह सेब उसने एक ऐसी महिला से लिया है जो उसे बहुत चाहती है और अपने पति की दुश्मन है। उसने उस महिला को कुछ समय से नहीं देखा था और आज जब उसके पास गया तो देखा कि वह बीमार है और उसके बिस्तर के पास तीन सेब रखे हुए हैं। उसने बताया कि उसका पति इन्हीं सेबों के लिए बसरा गया था और उसने तीन दीनार में इन्हें ख़रीदा है। यह सुन कर वह व्यक्ति अत्यधिक क्रोधित हो उठा और उसने घर जा कर अपनी पत्नी की हत्या कर दी। बाद में उसे पता चला कि एक सेब उसका बेटा उठा कर गली में ले गया था जिसे एक दास ने उसके हाथ से छीन लिया था। अब आगे की कहानी सुनिए।

उस युवा व्यक्ति ने ख़लीफ़ा हारून रशीद से कहा कि जब मैंने अपने बेटे से यह बात सुनी तब मेरी समझ में आया कि वह दास झूठ बोल रहा था और मैंने अपनी पत्नी की अन्यायपूर्वक हत्या कर दी है। मैं बहुत अधिक रोया और मेरी हिचकी बंध गई। इसी दौरान यह व्यक्ति जो मेरे चाचा और ससुर हैं, वहां पहुंच गए। मैंने इन्हें पूरी घटना जस की तस सुना दी। ये भी मेरे साथ बैठ कर रोने लगे। हम आधी रात तक रोते रहे और कोशिश के बावजूद अपने आपको रोने से नहीं रोक पा रहे थे। इसके बाद हमने पांच दिन तक शोक मनाया और यह शोक आज तक जारी था। मैं इस बेगुनाह औरत की हत्या पर अत्यधिक दुखी हूं और पछता रहा हूं। हे ख़लीफ़ा! मैं आपको आपके पूर्वजों की क़सम देता हूं कि जितनी जल्दी संभव हो मुझे इस अपराध के दोष में फ़ांसी पर लटका दें।

ख़लीफ़ा को ये बातें सुन कर बहुत आश्चर्य हुआ और उसने कहाः ईश्वर की सौगंध! लड़की का हत्यारा उस दुष्ट ग़ुलाम के अतिरिक्त कोई नहीं है। उसने कहा उस दास ने अपनी बातों से लड़की को मरवाया है और वास्तविक हत्यारा वही है। यद्यपि इस युवा ने जल्दबाज़ी में अपनी पत्नी की हत्या की है लेकिन वह क्रोध और अपमान से पागल हो गया था और इस लिए उसने इतना बड़ा क़दम उठाया है, अतः उसका पाप क्षमा योग्य है। इसके बाद ख़लीफ़ा अपने मंत्री जाफ़र बरमकी की ओर मुड़ा और उससे कहाः उस दुष्ट दास को जो इस औरत की हत्या का कारण बना है जल्द से जल्द ढूंढ कर मेरे पास लाओ वरना उसके बजाए मैं तुम्हारी हत्या कर दूंगा।

जाफ़र बरमकी रोता हुआ ख़लीफ़ा के दरबार से घर लौटा। उसने अपने आपसे कहा कि मैं किस प्रकार उसे खोजूं। डोल हमेशा तो कुएं से भरा हुआ नहीं निकलता। इस बार मेरे दिमाग़ में कोई उपाय और युक्ति नहीं है और पहली बार मुझ पर जो विपदा पड़ने वाली थी वही इस बार भी आने वाली है। ईश्वर की सौगंध! इस बार मैं तीन दिन तक घर से निकलूंगा ही नहीं, ईश्वर की जो इच्छा होगी वही होगा। यह सोच कर वह तीन दिन तक घर से नहीं निकला। चौथे दिन उसने क़ाज़ी या पंच को अपने पास बुलाया और अपनी वसीयत लिखवाई। इसके बाद वह अपने बाल बच्चों से विदा हुआ और उन्हें गले लगा कर बहुत रोया। तभी ख़लीफ़ा का हरकारा आ पहुंचा और उसने कहा कि मंत्री महोदय! ख़लीफ़ा क्रोध से पागल हुए जा रहे हैं और उन्हों ने क़सम खाई है कि अगर आपने सूरज डूबने से पहले ग़ुलाम को पकड़ कर उन तक नहीं पहुंचाया तो वे आपको मरवा देंगे।

यह सुन कर जाफ़र रोने लगा और उसके बच्चे भी उसके साथ रोने लगे। जब वह सबसे मिल चुका तो उसकी सबसे छोटी बेटी आई, जिसे वह बहुत ज़्यादा चाहता था। उसने उसे गले लगाया और हमेशा की दूरी के बारे में सोच कर रोने लगा। अचानक उसे उसकी जेब में किसी चीज़ का आभास हुआ। उसने पूछा तुम्हारी जेब में क्या है? बेटी ने जवाब दियाः एक सेब है जो हमारे दास रैहान ने मुझे दिया है। चार दिन से यह सेब उसके पास था, मैंने उससे जितना भी मांगा उसने नहीं दिया, आख़िरकार उसने दो दीनार लेकर मुझे यह सेब दिया है। जाफ़र बेटी की यह बात सुन कर ख़ुश हो गया और ईश्वर का आभार प्रकट करते हुए बोलाः हे महान ईश्वर! वास्तव में तू अपने बंदों से सबसे निकट है और परेशान व संकट ग्रस्त लोगों की समस्याओं को दूर करता है।

इसके बाद उसने किसी को भेज कर ग़ुलाम को बुलवाया और उससे पूछा कि उसे यह सेब कहां से मिला? दास ने उत्तर दिया कि मैं गली से गुज़र रहा का तो मैंने देखा कि कुछ बच्चे खेल रहे हैं और उनमें से एक के हाथ में एक सेब है। मैंने वह सेब उससे छीन लिया। वह रोते हुए कहने लगा, मैंने यह सेब अपनी मां के बिस्तर पर से उठाया है और मेरे पिता इसे और दो अन्य सेबों को ख़रीदने के लिए बसरा गए थे क्योंकि मेरी मां बीमार है। पिता ने ये सेब तीन दीनार में ख़रीदे हैं। वह बच्चा रो रहा था और मुझ से सेब वापस मांग रहा था लेकिन मैंने उसकी बात नहीं मानी और उसकी पिटाई करके वहां से चला आया। मैं उस सेब से खेलता हुआ वहां से बाज़ार पहुंचा और फिर वापस घर आ गया। आपकी छोटी बेटी ने मुझसे वह सेब मांगा और मैंने दो दीनार में उसे सेब बेच दिया।

जाफ़र ने जब यह सुना तो ईश्वर की परीक्षा पर हतप्रभ रह गया और उस ग़ुलाम की धूर्तता और संगदिली पर, जिसके कारण एक बेगुनाह औरत मारी गई थी, उसे बहुत दुख हुआ। उसने आदेश दिया कि दास को पकड़ कर जेल में डाल दिया जाए। जाफ़र अपनी जान बच जाने से बहुत ख़ुश था और सोच रहा था कि ऐसे ग़ुलाम का मर जाना ही उचित है। इसके बाद वह दास के हाथ-पैर बंधवा कर ख़लीफ़ा के दरबार में पहुंचा और उसे पूरी बात कह सुनाई। ख़लीफ़ा ने कहा कि इस पूरी घटना को लिख कर सुरक्षित कर लिया जाए ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए शिक्षा सामग्री रहे। इसके बाद उसने आदेश दिया कि इस पाप के कारण ग़ुलाम को फांसी पर लटका दिया जाए।

 जाफ़र बरमकी ने ख़लीफ़ा से कहा कि ग़ुलाम को उसकी मूर्खता के कारण क्षमा कर दिया जाए क्योंकि उसने अपनी मूर्खता के चलते ही ऐसा झूठ बोला था और उसे पता नहीं था कि उसके झूठ से एक पूरा परिवार तबाह हो जाएगा। ख़लीफ़ा ने कहा कि मैं तुम्हारे कहने पर दास की जान माफ़ करता हूं लेकिन उसे कड़ी से कड़ी सज़ा दो ताकि उसके लिए पाठ बन जाए। जाफ़र ने वादा किया कि वह उस ग़ुलाम को अत्यंत कड़ी सज़ा देगा।


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