क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-967
सूरए क़ाफ़, आयतें 1से 8
तो आइये सबसे पहले सूरए क़ाफ़ की पहली और दूसरी आयतों की तिलावत सुनते हैं,
بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَنِ الرَّحِيمِ
ق وَالْقُرْآَنِ الْمَجِيدِ (1) بَلْ عَجِبُوا أَنْ جَاءَهُمْ مُنْذِرٌ مِنْهُمْ فَقَالَ الْكَافِرُونَ هَذَا شَيْءٌ عَجِيبٌ (2)
इन आयतों का अनुवाद हैः
अल्लाह के नाम से बड़ा मेहरबान रहम करने वाला है।
क़ाफ़ क़ुरान मजीद की क़सम (आपकी पैग़म्बरी और क़यामत हक़ है)। [50:1] लेकिन इन (काफिरों) को ताज्जुब है कि उन ही में एक (अज़ाब से) डराने वाला (पैग़म्बर) उनके पास आ गया तो कुफ़्फ़ार कहने लगे ये तो एक अजीब बात है। [50:2]
यह सूरा भी पवित्र क़ुरआन के दूसरे 28 सूरों की भांति हुरूफ़े मुक़त्तेआ से आरंभ हुआ है और उसके बाद इस सूरए में अल्लाह पवित्र क़ुरआन की क़सम खाता है। क्योंकि क़ुरआन उन्हीं अक्षरों से बना है जो हमारे पास हैं मगर कोई भी उस जैसा नहीं ला सकता और यही क़ुरआन के चमत्कार होने की दलील है।
पवित्र क़ुरआन के सूरए क़ाफ़ी की ये आयतें क़यामत का इंकार करने वालों की ओर संकेत करती और कहती हैं कि वे लोग इस बात पर ताअज्जुब व आश्चर्य करते हैं कि उन्हीं में से एक व्यक्ति पैग़म्बर होने का दावा करता और मौत के बाद लोगों को क़यामत व प्रलय से डराता है और ये लोग उसके दावे को असंभव मानते हैं जबकि वह पहला व्यक्ति नहीं था जिसे अल्लाह ने पैग़म्बर अर्थात अपना संदेशक बनाकर भेजा था और वह लोगों को क़यामत की सूचना देता है। तो उनका आश्चर्य अज्ञानता के कारण नहीं था बल्कि हठधर्मिता और इंकार की वजह से था। वास्तव में पैग़म्बरे इस्लाम की बातों को स्वीकार न करने का बहाना था।
इन आयतों से हमने सीखाः
क़ुरआन अल्लाह का कलाम है जो बहुत महान व अत्यंत प्रतिष्ठित है और जो इंसान महान बनना या महानता चाहता है उसे चाहिये कि वह पवित्र क़ुरआन पर ध्यान दे और उस पर अमल करे।
पैग़म्बरों का इंसान होना और लोगों में से होना एक तार्किक बात है और यह उनके लिए एक सकारात्मक बिन्दु है मगर बुद्धिहीन और इंकार करने वाले लोग उसे पैग़म्बरों को नीचा दिखाने का बहाना क़रार देते हैं।
काफ़िरों के पास पैग़म्बरी और क़यामत को इंकार करने के लिए कोई तार्किक प्रमाण नहीं है अतः वे इंकार के लिए आश्चर्य करते और उसे असंभव मानते हैं।
आइये अब सूरए क़ाफ़ की तीसरी से पांचवीं तक की आयतों की तिलावत सुनते हैं,
أَئِذَا مِتْنَا وَكُنَّا تُرَابًا ذَلِكَ رَجْعٌ بَعِيدٌ (3) قَدْ عَلِمْنَا مَا تَنْقُصُ الْأَرْضُ مِنْهُمْ وَعِنْدَنَا كِتَابٌ حَفِيظٌ (4) بَلْ كَذَّبُوا بِالْحَقِّ لَمَّا جَاءَهُمْ فَهُمْ فِي أَمْرٍ مَرِيجٍ (5)
इन आयतों का अनुवाद हैः
भला जब हम मर जाएँगे और (सड़ गल कर) मिटटी हो जाएँगे तो फिर ये दोबारा ज़िन्दा होना (अक़्ल से) दुर्लभ (बात) है। [50:3] उनके जिस्मों से ज़मीन जिस चीज़ को (खा खा कर) कम करती है वह हमको मालूम है और हमारे पास तो तहरीरी याददाश्त किताब लौहे महफूज़ मौजूद है। [50:4] मगर जब उनके पास दीन (हक़) आ पहुँचा तो उन्होंने उसे झुठलाया तो वे लोग एक ऐसी बात में उलझे हुए हैं जिसे चैन व क़रार नहीं। [50:5]
इससे पहली वाली आयत में कहा गया कि क़यामत का इंकार करने वालों के पास उसके इंकार के लिए कोई दलील नहीं है। ये आयतें क़यामत का इंकार करने वालों के उन सवालों को बयान करती हैं जो वे हमेशा करते हैं और आश्चर्य से कहते हैं कि यह कैसे संभव है कि हमारे शरीर को दोबारा ज़िन्दा किया जायेगा जबकि वह सड़-गल कर मिट्टी हो गया है। क़ुरआन उनके इस सवाल के जवाब में कहता है कि अल्लाह जानता है कि मरने के बाद इंसान के शरीर के अंगों में क्या परिवर्तन हुआ है और क़यामत के दिन उसे उसके अस्ली रूप में पलटा देगा। इन समस्त चीज़ों को अल्लाह के निकट लिख लिया गया है। उसके बाद अल्लाह कहता है अलबत्ता क़यामत का इंकार करने वालों का जो गिरोह हक़ को समझ गया है उसके बावजूद क़यामत का इंकार करता है तो इस इंकार की वजह जेहालत व अज्ञानता नहीं है।
इन आयतों से हमने सीखाः
पवित्र क़ुरआन का एक रोचक तरीक़ा यह है कि जब उचित व ज़रूरी होता है तो सबसे पहले वह काफ़िरों और विरोधियों के तर्कों को बयान करता है उसके बाद तर्कसंगत दलीलों व प्रमाणों के ज़रिये उनके दावों का जवाब देता है।
समूची सृष्टि की रचना का आधार सर्वज्ञाता महान ईश्वर का असीम ज्ञान है और वही उसे चला रहा है और हर चीज़ का हिसाब- किताब है।
परेशानी व व्याकुलता का कारण हक़ का इंकार और कुफ़्र है जिस तरह से आराम व शांति का स्रोत अल्लाह की याद और हक़ को स्वीकार करना है। इसी वजह से जो लोग बेईमान हैं अर्थात अल्लाह और हक़ को नहीं मानते हैं वे हमेशा व्याकुल व परेशान रहते हैं।
आइये अब सूरए क़ाफ़ की 6ठी से लेकर 8वीं तक की आयतों की तिलावत सुनते हैं,
أَفَلَمْ يَنْظُرُوا إِلَى السَّمَاءِ فَوْقَهُمْ كَيْفَ بَنَيْنَاهَا وَزَيَّنَّاهَا وَمَا لَهَا مِنْ فُرُوجٍ (6) وَالْأَرْضَ مَدَدْنَاهَا وَأَلْقَيْنَا فِيهَا رَوَاسِيَ وَأَنْبَتْنَا فِيهَا مِنْ كُلِّ زَوْجٍ بَهِيجٍ (7) تَبْصِرَةً وَذِكْرَى لِكُلِّ عَبْدٍ مُنِيبٍ (8)
इन आयतों का अनुवाद हैः
तो क्या इन लोगों ने अपने ऊपर आसमान पर नज़र नहीं की कि हमने उसको क्यों कर बनाया और उसको कैसे (सितारों से) सजाया और उनमें कहीं शिगाफ़ तक नहीं। [50:6] और ज़मीन को हमने फैलाया और उस पर भारी बोझ वाले पहाड़ रख दिये और इसमें हर तरह की ख़ुशनुमा चीज़ें उगाईं[50:7] ताकि (हक़ की तरफ़) पलटने वाले बन्दे के लिए हिदायत और इबरत हो। [50:8]
क़यामत के इंकार की अस्ल वजह महान ईश्वर की असीम शक्ति के बारे में असमंजस और संदेह है। इससे पहली वाली आयतें महान ईश्वर की असीम शक्ति के बारे में थीं। ये आयतें महान ईश्वर की कभी भी समाप्त न होने वाली शक्ति के बारे में बात करती हैं। अगर इंसान अपने उपर सूरज, चांद और तारों आदि को देखे तो वह महान ईश्वर की असीम शक्ति को समझ जायेगा और फ़िर वह किसी से नहीं पूछेगा कि महान व सर्वशक्तिमान ईश्वर मुर्दों को कैसे ज़िन्दा करेगा? इसी तरह इंसान अगर अपने आसपास और इधर- उधर देखे तो पहाड़, मरुस्थल, जंगल, विभिन्न प्रकार की वनस्पतियों और पेड़ों को देखेगा और इन चीज़ों के अस्तित्व में आने में इंसानों की कोई भूमिका नहीं है और ये सब चीज़ें महान ईश्वर की असीम शक्ति से अस्तित्व में आयी हैं और इन सब चीज़ों को देखकर इंसान इस बात को समझ सकता है कि महान ईश्वर सर्वसमर्थ और सर्वशक्तिमान है। अलबत्ता उन लोगों के लिए जो महान ईश्वर को जानना व पहचानना और उसका सामिप्य प्राप्त करना चाहते हैं।
इन आयतों से हमने सीखाः
ज़मीन, आसमान और समूचा ब्रह्मांड महान ईश्वर को पहचाने की पाठशाला है, अलबत्ता उन लोगों के लिए जो महान ईश्वर और क़यामत को समझना चाहते हैं।
समूचे ब्रह्मांड में सूक्ष्म व्यवस्था व क़ानून मौजूद है।
समूचे ब्रह्मांड की मज़बूती, सुन्दरता और उसमें सूक्ष्म व्यवस्था व क़ानून का मौजूद होना इन सब चीज़ों की रचना करने वाले की विशेषता है इस प्रकार से कि समूचे ब्रह्मांड की रचना में किसी प्रकार की कमी या विघ्न को कभी भी नहीं देखा जा सकता जो अपने रचयिता के असीमित ज्ञान और शक्ति के परिचायक हैं।
सूखी और मुर्दा ज़मीनों से घासों और वनस्पतियों का उगना महान ईश्वर की असीम शक्ति की बेहतरीन दलील है और इन चीज़ों को देखकर इंसान भलीभांति समझ सकता है कि महान व सर्वसमर्थ ईश्वर क़यामत के दिन इसी तरह मुर्दों को ज़िन्दा करेगा।