ज़िन्दगी की बहार-6
इंसान की समस्त उम्र में जवानी का एक विशेष महत्व है।
पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहि व आलेहि व सल्लम अपने एक प्रसिद्ध व प्रतिष्ठित अनुयाई अबूज़र गफ़ारी से सिफारिश करते हुए कहते हैं” हे अबूज़र अपनी उम्र के समय को ख़र्च करने में दिरहम और दीनार से भी अधिक कंजूसी से काम लो और उसे व्यर्थ न करो”
इंसान की समस्त उम्र में जवानी का एक विशेष महत्व है। ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता के अनुसार जवानी एक बहुत बड़ी नेअमत है जो हर इंसान को जीवन में एक बार दी जाती है। उसका एक निर्धारित समय है उसका जो समय आपने बिता दिया है उसकी विभूतियों व अनुकंपाओं से लाभ उठा सकते हैं।
उन बड़ों की आत्मा शांत है, उनके विचार स्पष्ट हैं, व्यवहार व्यस्थित और कार्यक्रमानुसार है, जिन्होंने जवानी को इन विशेषताओं के साथ व्यतीत किया है। सुस्त, परेशान, मनोहतोत्साह और जीवन से ऊब व थक चुके वे बूढ़े हैं जिन्होंने जवानी से सही तरह से लाभ नहीं उठाया है”
जवानी के दौरान जवान की बहुत अधिक आवश्यकताओं एवं आकांक्षाओं के दृष्टिगत जवान को यह जानना आवश्यक है कि वह अपनी उम्र को कहां और किस कार्य में ख़र्च कर रहा है ताकि उसके जीवन के समस्त पहलु संतुलित ढंग से प्रगति व उन्नति करें। क्योंकि किसी भी एक पहलू में सीमा से अधिक बढ़ जाना या सीमा से अधिक पीछे रह जाना इस बात का कारण बनेगा कि इंसान परिपूर्णता के मार्ग से पीछे रह जायेगा।
शिक्षा- प्रशिक्षा मामलों के विशेषज्ञों का मानना है कि खाली समय जहां इंसान के अंदर मौजूद बहुत सी क्षमताओं व योग्यताओं के निखरने का कारण है वहीं बहुत सी गुमहारियों का भी मार्ग प्रशस्त करता है।
जो चीज़ विदित में इस विरोधाभास का कारण है वह यह है कि खाली समय का प्रयोग किस प्रकार किया गया है। बड़े खेद के साथ कहना पड़ता है कि आज समाज की परिस्थिति और पहचान ने जवानों को स्वयं से बेगाना बना दिया है और अधिकांश जवान खाली समय को बिताने के लिए ग़लत कार्यों की ओर उन्मुख होते हैं।
खाली समय हर जवान के लिए बेहतरीन समय हो सकता है और इस समय में वह दूसरे समय के विपरीत अधिक प्रसन्न हो सकता है। खाली समय उस समय को कहते हैं जो इंसान के पास अनिवार्य कार्यों से हटकर होता है और उस समय में इंसान अपनी रुचि से अपना मनपसंद कार्य करता है और इससे उसका उद्देश्य मूड फ्रेश करना होता है। फ्रांसीसी समाजशास्त्री Joffre dumazedier खाली समय के तीन मुख्य लाभों का वर्णन करते हैं।
पहला लाभ यह कि खाली समय इंसान को यह अवसर प्रदान करता है कि आवश्यक कार्यों को अंजाम देने से उसे जो थकावट हो गयी है उसे वह अपनी शरीर से दूर करता है।
खाली समय का दूसरा लाभ यह है कि वह इंसान को नया अवसर प्रदान करता है जिसमें इंसान रोज़- रोज़ के कार्यों से मुक्ति पा जाता है ताकि मानसिक दृष्टि से ठहराव एवं थकावट का शिकार न हो जाये।
खाली समय का तीसरा लाभ यह है कि वह इंसान के व्यक्तिव के विकास व प्रगति का मार्ग प्रशस्त करता है और इंसान को इस योग्य बनाता है कि वह प्रतिदिन किये जाने वाले कार्यों से मुक्ति प्राप्त करे और नई चीज़ को ढूंढने व खोजने का प्रयास करे जिससे अपने वातावरण तथा स्वयं से संबंधित व्यक्तियों को परिवर्तित करे।
खाली समय वास्तव में इन तीनों चीज़ों को पूरा करता है और इंसान की ज़रुरत को, जो उससे एक प्रकार से जुड़ी होती है, पूरा करती है। इसी कारण अधिकांश समाजशास्त्री खाली समय को वह समय नहीं मानते कि व्यक्ति किसी कार्य में व्यस्त न रहे बल्कि वह समय है कि इंसान किसी विशेष कार्य को करने के लिए बाध्य नहीं है और जो कार्य इंसान का दिल कहता है उसे अंजाम देता है और वह इंसान की क्षमताओं व योग्यताओं के निखरने और उसकी शांति व प्रसन्नता का कारण बनता है।
इस्लामी संस्कृति में खाली समय को अर्थहीन कार्यों में बिताने से मना किया गया है। खाली समय इंसान को यह अवसर प्रदान करता है कि वह किसी प्रकार के मानसिक दबाव के बिना मन पसंद कार्यों को अंजाम दे और दोबारा अपने दायित्यों के निर्वाह के लिए ऊर्जा संचित करे। खाली समय में वह घूमने- फिरने के लिए यात्राओं पर जाता है और वहां पर वह यादगार के रूप में कुछ चीज़ों को भी खरीदता है जो सप्ताहों, महीनों यहां तक कि वर्षों की यादगार बन जाती हैं। खाली समय के बारे में इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम महान व सर्वसमर्थ ईश्वर से प्रार्थना करते हुए कहते हैं” हे मेरे पालनहार! अगर तूने मुझे खाली समय प्रदान किया तो उसे सुरक्षित करार दे कि उसमें मुझसे पाप न हों और मुझे थकावट न हो”
जवान जब अपने दायित्वों का निर्वाह कर लेता है यानी जो कार्य करने उसे ज़ुरूरी होते हैं उन्हें कर लेने के बाद उसे मनोरंजन करने के लिए खाली समय की आवश्यकता होती है। पर्वतारोहण, तैराकी, और घुड़सवारी जैसे अच्छे व स्वस्थ मनोरंजन वे कार्य हैं जिनकी इस्लाम ने सिफारिश की है। इस प्रकार के कार्यों से जवान जहां मनोरंजन करता है वहीं यह उसकी मज़बूती का कारण बनते हैं।
इसके विपरीत अगर खाली समय से सही तरह से लाभ न उठाया जाये तो जवान के अंदर अपरिपक्वता बाक़ी रहेगी और कभी भी उसे अनुभव प्राप्त करने का अवसर नहीं मिलेगा। परिणाम स्वरूप वह सामाजिक जीवन में सफल नहीं हो सकता। इसलिए समाज के ज़िम्मेदार लोगों को चाहिये कि जवानों के खाली समय के लिए भी कार्यक्रम बनायें अन्यथा वे यह समझेंगे कि समाज उनके प्रति निश्चेत व बेख़बर है।
समाज शास्त्रियों के अनुसार प्रतिदिन कुछ न कुछ समय मनोरंजन के लिए अवश्य विशेष करना चाहिये क्योंकि मनोरंजन, दूसरे कार्यों के लिए ऊर्जा संचित होने का कारण बनता है। मनोरंजन करने का अर्थ केवल घूमना, फिरना या पार्कों में जाना अथवा यात्रा करना नहीं है यद्यपि यह कार्य भी ज़रूरी हैं और इन कार्यों से भी खाली समय भरते हैं परंतु खाली समय में ऐसे भी कार्यों को अवश्य किया जाना चाहिये जो जवानों की मनोभावना के मज़बूत होने और उसके अंदर प्रफुल्लता उत्पन्न होने का कारण बनें। जैसे किताबों का अध्ययन और कला सीखना आदि वे कार्य हैं जिनसे एक संतुलित जीवन के व्यवहारिक होने में जवान को सहायता मिलती है।
खाली समय जहां जवान के व्यक्तित्व पर सकारात्मक प्रभाव डालता है वहीं सामाजिक विकास में भी उसकी सहायता करता है। जब जवान सामाजिक गतिविधियों में भाग लेता है तो समाज के दूसरे लोगों के साथ उसके संबंध मजबूत होते हैं और उसकी सामाजिक प्रगति का कारण बनता है। बहुत सी प्रगतियों का सामाजिक संबंधों से गहरा संपर्क है क्योंकि अगर जवान के पास बेहतरीन क्षमता व योग्यता भी मौजूद रहे परंतु जब तक वह सामाजिक स्तर पर अपनी योग्यताओं को प्रस्तुत न करे वह कोई विशेष सफल नहीं हो सकता।
खाली समय बिताने का एक महत्वपूर्ण कार्य सामूहिक रूप से किया जाने वाला कार्य है। इस प्रकार का कार्य स्वयं सामाजिक प्रगति का कारण बनता है। इस प्रकार के कार्य से जवान नये लोगों से परिचित होता है, दूसरों से मित्रता होती है और अकेलेपन के जीवन से मुक्ति मिलती है और बहुत से क्षेत्रों में दूसरे के अनुभवों से लाभ उठाता है और वह प्रगति करता है।
ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामनेई खाली समय को जवानों और दूसरों की सहायता के लिए मूल्यवान बताते हुए कहते हैं” हमारे बहुत से अच्छे जवान अपने खाली समय को निर्माण कार्यों या प्रतिरोधक कार्यों में बिताते हैं या ज्ञान को अधिक करने और दूसरों की सहायता में बिताते हैं। कुछ लोग अकेले दूसरों की सहायता के लिए परिश्रम करते हैं। कुछ लोग अच्छी तरह से कार्यक्रम बनाकर किताब पढ़ने और अपनी सोच के स्तर को बढ़ाने का प्रयास करते हैं। मोमिन जवान अपने खाली समय को इस प्रकार बिताते हैं। मुझे विभिन्न रिपोर्टें मिली हैं कि गर्मी की छुट्टी बिताने वाले छात्रों ने ग्रामवासियों के लिए मस्जिद, क्लिनिक, इमाम बाड़े, सड़क और पुल का निर्माण किया है। एक इस्लामी रिवायत के अनुसार पैग़म्बरे इस्लाम ने फरमाया है कि हमारे अनुयाई अपने खाली समय को ईश्वर के मार्ग में बितायेंगे” यानी लोगों के लिए कार्य करेंगे। इंसान को चाहिये कि वह अपनी जवानी का मूल्य समझे।