Aug ०५, २०१५ १६:२५ Asia/Kolkata

कभी हम ऐसी ख़बरें सुनते या पढ़ते हैं कि खेल की अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में जवानों की टीम जीत गयी है।

कभी हम ऐसी ख़बरें सुनते या पढ़ते हैं कि खेल की अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में जवानों की टीम जीत गयी है। जवानों की सफलता देखकर लोगों में उत्साह व प्रफुल्लता उत्पन्न होती है। जवानों के उत्साह के बारे में ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता कहते हैं” हमारे जवान विश्व के विभिन्न खेलों में गर्व का कारण बने हैं और मैं समस्त खिलाड़ियों, पहलवानों और उनके प्रशिक्षकों का आभार प्रकट करता हूं जिन्होंने साम्राज्यवादियों की इच्छाओं के विपरीत ईरान का नाम ऊंचा किया है।”

 

 

व्यायाम एवं खेल समाज की एक महत्वपूर्ण चीज़ है जिसके विभिन्न आयाम हैं। दिन प्रतिदिन खेलों का जटिल होता जाना और उसके विभिन्न प्रयोग हमें अधिक सोचने का आह्वान करते हैं। वर्तमान समय में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेल इस प्रकार हो गये हैं कि उनका बहुत कम शारीरिक लाभ होता है। समाज शात्री आज के मशीनी और आपाधापी के युग में खेल को अत्यधिक महत्वपूर्ण मानते हैं और उनका कहना है कि शरीर को दोबारा ऊर्जावान बनाने के लिए खेल व व्यायाम का प्रयोग बेहतरीन साधन के रूप में किया जा सकता है। व्यायाम व खेल एक ऐसा कार्य है जिसे समाज के लगभग समस्त जवान पसंद करते हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि प्रशिक्षा की बहुत सी चीज़ों को उपयुक्त शारीरिक कार्यों के माध्यम से सिखाया जाता है और इस तरीके से जवान अधिक प्रभावित होते हैं। समाज शास्त्रियों का भी मानना है कि खेल और व्यायाम का सबसे बड़ा लाभ यह है कि वे जवानों को समाज में मौजूद बहुत सी हानियों से बचा सकते हैं।

व्यायाम व खेल वे चीज़ें हैं जो जवानों को स्फूर्ति और तरुणायी प्रदान करते हैं। कुश्ती जैसे कुछ व्यायाम ऐसे हैं जो जवानों के अंदर साहस, सत्य प्रेम और अन्याय के विरुद्ध संघर्ष की भावना को मज़बूत करते हैं। तैराकी, निशानेबाज़ी और सवारी जैसे व्यायाम भी जीवन की कठिन परिस्थिति के मुक़ाबले में जवान को शक्ति प्रदान करते हैं। पैग़म्बरे इस्लाम शरीर को मज़बूत बनाने को सौभाग्य का कारण मानते हैं और जिन व्यायामों का उल्लेख किया गया उसकी उन्होंने सराहना की है। जैसाकि पैग़म्बरे इस्लाम एक स्थान पर फरमाते हैं” निशानेबाज़ी के प्रति कटिबद्ध रहो क्योंकि वह तुम्हारे मनोरंजन का बेहतरीन माध्यम है”

 

 

 

जवानी, इंसान के अस्तित्व में मौजूद योग्यताओं व क्षमताओं के निखरने का काल है और यह वह समय है जब इंसान की क्षमताएं अपनी परिपूर्णता को पहुंचती हैं। जवान की शारीरिक क्षमता का इंकार नहीं किया जा सकता और समस्त परिवार एवं विश्व के लोग देखते व जानते हैं कि जवान/ बच्चों और बड़ी उम्र के लोगों की अपेक्षा अधिक शक्तिशाली होते हैं। इसके साथ ही एक महत्वपूर्ण मामला यह है कि जवानी से किस तरह से लाभ उठाया जाये और जवान अपनी क्षमता का प्रयोग किस मार्ग में करे। ईश्वरीय धर्म इस्लाम ने जवानी से सही ढंग से लाभ उठाये जाने का मार्ग बताया है। महान ईश्वर पवित्र कुरआन के सूरे बक़रा की २४७वीं आयत में कहता है” बेशक ईश्वर ने उसे तुम सब पर श्रेष्ठता प्रदान की है और उसे ज्ञान एवं शारीरिक शक्ति में तुम पर वरियता प्रदान की है”

 

हज़रत तालूत शारीरिक दृष्टि से लंबे और हट्टे कट्टे एवं सुन्दर व्यक्ति थे। उनके शरीर के अंग बहुत मज़बूत थे वे बहुत बुद्धिमान, होशियार और समझदार थे। यही उनकी शारीरिक और आत्मिक विशेषता थी जिसके कारण उन्हें बनी इस्राईल का सेनापित चुना गया और बहुत ही थोड़े समय में उन्होंने अपनी योग्यता दर्शा दी।

बहरहाल शारीरिक क्षमता जवान की स्पष्ट विशेषता है जिसका महत्व समझा और उसका प्रयोग सही मार्ग में किया जाना चाहिये।

पैग़म्बरे इस्लाम ने ओहद नामक युद्ध आरंभ होने से पहले उन जवानों को मदीना वापस जाने का आदेश दिया जिनकी उम्र 15 साल से कम थी। यहां तक समोरा बिन जुन्दब और राफेअ बिन खुदैज की उम्र 15 साल थी फिर भी पैग़म्बरे इस्लाम ने उन्हें मदीना लौट जाने का आदेश दिया किन्तु जब उन्हें यह ज्ञात हुआ कि राफेअ वाण चलाने में माहिर है और समोरा राफेअ से कुश्ती लड़ने में उसे पटक सकता है तो उन्होंने दोनों को युद्ध में भाग लेने की अनुमति दी।

 

 

पैग़म्बरे इस्लाम जवानों की मनोभावना को मज़बूत करने के लिए प्रतिस्पर्धा का आयोजन करते थे। जिस समय पैग़म्बरे इस्लाम तबूक नामक युद्ध से वापस आ रहे थे तो उन्होंने सवारी की प्रतिस्पर्धा आयोजित की और अपना ऊंट ओसामा को दे दिया। ओसामा बिन ज़ैद पैग़म्बरे इस्लाम के ऊंट पर सवार होकर सबसे आगे निकल गए। चूंकि ऊंट पैग़म्बरे इस्लाम का था इसलिए लोगों ने कहा कि पैग़म्बरे इस्लाम की जीत हो गयी परंतु पैग़म्बरे इस्लाम ने कहा कि ओसामा आगे निकल गए और वही जीते हैं।

पैग़म्बरे इस्लाम सकारात्मक कार्यों के लिए पहलवानी को महत्व देते थे और प्रतिस्पर्धाओं में भाग लेने के लिए अपने अनुयाइयों का प्रोत्साहन करते थे। इस्लामी इतिहास में है कि पैग़म्बरे इस्लाम मदीने के एक मोहल्ले से गुज़र रहे थे कि वहां पर उन्होंने देखा कि कुछ जवान एक दूसरे को अपनी शक्ति दिखा रहे हैं। इस प्रकार से कि एक बड़े पत्थर को उठा रहे थे ताकि यह देखा जा सके कि कौन बेहतर ढंग से उठा सकता है। इस प्रतिस्पर्धा के लिए एक फैसला करने वाले की आवश्यकता थी। जब जवानों ने पैग़म्बरे इस्लाम को देखा तो सबने कहा पैग़म्बरे इस्लाम से बेहतर कोई फैसला करने वाला नहीं है। हे ईश्वीय दूत आप यहां खड़े हो जाइये और फैसला कीजिये कि हममें कौन बेहतर ढंग से इस पत्थर को उठाता है। पैग़म्बरे इस्लाम ने उनकी बात स्वीका कर ली और प्रतिस्पर्धा के समापन पर कहा क्या तुम लोग जानना चाहते हो कि तुममें सबसे अधिक शक्तिशाली कौन है? सबसे अधिक शक्तिशाली वह है जिसका क्रोध, क्रोध के समय उस पर हावी न हो जाये बल्कि वह अपने क्रोध पर हावी हो जाये और उसका क्रोध उसे ईश्वर की प्रसन्नता के मार्ग से हटा न दे और वह अपने क्रोध को नियंत्रित कर सके। उस समय उसे जो चीज़ पसंद आये वह उसे ईश्वर की प्रसन्नता से निश्चेत न बना दे और वह अपनी इच्छा व रुझहान को नियंत्रित कर सके।“

अगर व्यायाम का लक्ष्य केवल शारीरिक शक्ति न हो तो व्यायाम करने वाले जवानों को स्वस्थ आत्मा प्राप्त होती है और यह आत्मा उन्हें अनुचित आनंदों व कार्यों से रोकती है। इस प्रकार के जवान आत्मिक दृष्टि से अवसाद का शिकार नहीं होते हैं और वे जवानी की स्फूर्ति व तरुणायी से सम्पन्न होते हैं। यह बड़ा प्रसिद्ध वाक्य है कि अच्छी बुद्धि स्वस्थ शरीर में होती है। ईरान के अनेक प्राचीन व्यायाम हैं जिनसे शरीर शक्तिशाली बनता है।

 

 

ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामनई शारीरिक स्वास्थ्य को आवश्यक मानते हैं और जवानों का आह्वान करते हैं कि जो जवान व्यायाम में रुचि रखते हैं, व्यायाम की तत्परता रखते हैं और वे गम्भीर रूप से अपने अंदर इस क्षमता को व्यवहारिक बनाना चाहते हैं उन्हें चाहिये कि वे इसे अमली बनायें। हमारी युवा पीढ़ी आध्यात्मिक एवं वैचारिक प्रगति के साथ साथ अपनी शारीरिक आवश्यकता की पूर्ति करना चाहती है। शारीरिक स्वास्थ्य और शारीरिक क्षमता उन लोगों के लिए आवश्यक चीज़ है, बहुत लाभदायक है और उनके कार्यों में सहायता करने वाली है जो अध्यात्म को पसंद करते हैं सोच विचार करते हैं और उच्च उददेश्य रखते हैं।“