Aug ०९, २०१५ १६:२७ Asia/Kolkata

दोस्ती एक ऐसी चीज़ है जिसका जवानों के जीवन में बहुत महत्व व प्रभाव है

इंसान को किस वजह से दोस्त की आवश्यकता होती है? क्या इस वजह से कि वह एक सामाजिक प्राणी है या इस वजह से कि ज्ञान प्राप्त करने के लिए उसे दोस्त की आवश्यकता होती है? जवानों को सबसे अधिक दो कारणों से दोस्ती की आवश्यकता होती है। पहला कारण यह है कि वे चाहते हैं कि अपने हमउम्र लोगों के साथ रहें और उनके मध्य उनका कोई स्थान रहे ताकि वह अकेलेपन की भावना पर नियंत्रण करें। जवानों के अंदर दोस्ती की भावना का दूसरा कारण यह है कि वे दोस्ती की छत्रछाया ही में स्वयं को दर्शा सकते हैं। इस्लामी संस्कृति में उचित दोस्त और दोस्ती पर बहुत बल दिया गया है। हकीमों ने कहा है कि दोस्तों को ढूंढ़ो कि वे जीवन के आभूषण हैं और वे समस्याओं के संकटमोचन हैं और जिन लोगों के अधिक मित्र होते हैं वे दुश्मनों की गर्दन पर सवार हो सकते हैं।

 

दोस्ती एक ऐसी चीज़ है जिसका जवानों के जीवन में बहुत महत्व व प्रभाव है और जवान को परिपूर्णता का मार्ग तय करने के लिए दोस्त के चयन में समझदारी व होशियारी से काम लेना चाहिये। जिस तरह इंसान वस्त्र आदि खरीदने में ध्यान से काम लेता है उसी तरह उसे मित्र के चयन में भी ध्यान से काम लेना चाहिये। जिस तरह वस्त्र इंसान के विदित रुप पर प्रभाव डालता है उसी तरह मित्र इंसान के आंतरिक अस्तित्व पर बहुत प्रभाव डालता है और इस्लामी इतिहास में उस पर बहुत ध्यान दिया गया है। दोस्ती करने से पहले दोस्त का इम्तेहान लेना और दोस्ती करने के बाद दोस्ती की सीमा का ध्यान रखना और दोस्त की अच्छी विशेषताओं पर ध्यान रखना उन चीज़ों में से हैं जिन पर इस्लामी रवायतों में बहुत बल दिया गया है। जिन लोगों ने दोस्त के चयन में ध्यान नहीं से काम नहीं लिया महान ईश्वर प्रलय के दिन उनकी दशा के बारे में कहता है” हे काश अमुक व्यक्ति से दोस्ती न किये होता”

 

हर इंसान को जीवन में सदैव दोस्त और दोस्ती की आवश्यकता होती है। जिस तरह जिस इंसान के पास अच्छा दोस्त होता है वह खुशहाली का आभास करता है उसी तरह जो इंसान अकेला होता है और उसके पास बात करने के लिए कोई उपयुक्त दोस्त नहीं होता है उसे कष्ट पहुंचता है। कभी कभी ऐसा होता है कि जो लोग दो राहे पर होते हैं और इस विषय के बारे में आवश्यक सोच विचार से काम नहीं लेते हैं वे अपने पतन की भूमिका प्रशस्त कर लेते हैं। इस आधार पर जीवन में सफल होने के लिए सही चयन आवश्यक चीज़ों में से एक है। तो इंसान को चाहिये कि वह अपने चयन के परिणामों के बारे में भी सोचे। अगर इंसान अपने चयन के परिणामों के बारे में सोचेगा तो ग़लत चयन से दूरी करेगा। हज़रत अली अलैहिस्सलाम हारिस हमदानी के नाम अपने पत्र में फरमाते हैं” उन लोगों की दोस्ती से बचो जिनकी सोच अप्रिय और कार्य अच्छे नहीं हैं क्योंकि इंसान अपने मित्र की प्रवृत्ति और उसकी सोचों से प्रभावित होता और उसके रास्ते पर चलता है।“

ईरानी समाजशास्त्री डाक्टर अकबरियान कहते हैं” आज जवानों की अनुचित अपेक्षाएं, पारिवारिक मतभेद, सामाजिक एवं व्यक्तिगत हताशा, समय से पहले बालिग़ हो जाना, इंटरनेट और सेटेलाइट तक पहुंच ने विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में जवानों के लिए बहुत सी हानियों व कुप्रभावों की भूमि प्रशस्त कर दी है। जवान जहां स्वयं को स्वतंत्र समझते हैं वहीं वे अपनी आयु के लोगों के साथ संबंध स्थापित करने के प्रयास में रहते हैं और अपनी उम्र के जवानों के साथ रहकर वे प्रसन्नता का आभास करते हैं और अगर अपनी उम्र के लोगों के चयन में ध्यान से काम नहीं लिया गया तो उसका नुकसान बहुत अधिक होगा।“

 

 

जवान बड़ी आसानी से अपने दोस्तों की आदतों से प्रभावित होते हैं और उनके अंदर दूसरों से दोस्ती करने की भावना अधिक होती है। इस आधार पर दोस्त के चयन में ध्यान से काम लिया जाना चाहिये अन्यथा उसके गम्भीर परिणाम सामने आयेंगे। अधिकांश लोग सही पहचान और किसी प्रकार का ध्यान दिये बिना दूसरों के दोस्त बन जाते हैं जिसका परिणाम बाद में भुगतना पड़ता है और कुछ लोग तो ऐसे हो जाते हैं जो दोस्ती के योग्य होते हैं परंतु लोग उनसे भी दोस्ती नहीं करते हैं। हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम फरमाते हैं पहले पहचानो फिर दोस्ती करो।“

हमारे समाज में आम तौर पर इसका उल्टा होता है पहले दोस्ती होती है फिर पहचाना जाता है। हज़रत अली अलैहिस्सलाम फरमाते हैं जो व्यक्ति पहचाने बिना किसी से दोस्ती कर लेता है वह भ्रष्ठ व बुरे लोगों के साथ उठने बैठने पर बाध्य होता है।“ हज़रत अली अलैहिस्सलाम इंसान पर बुरे दोस्त के प्रभाव के बारे में फरमाते हैं” ग़लत आचरण वालों से दोस्ती न करो क्योंकि रहस्यमयी ढंग से तुम्हारी प्रवृत्ति उससे प्रभावित होगी इसके बिना कि तुम उसे जानो।“

 

 

बहरहाल इस बात को ध्यान में रखना चाहिये कि दोस्ती इंसान के भविष्य निर्धारण और सामाजिक जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका रखती है।

प्राकृतिक रूप से जवान दूसरों को अपना दोस्त बनाने की इच्छा रखते हैं। वे एक या एक से अधिक लोगों के साथ दोस्ती करने एवं संबंध रखने के प्रयास में होते हैं। जवान को जानना चाहिये कि दोस्त, दोस्त का आइना होता है और अच्छे लोगों का चयन एवं बुरे लोगों से दूरी इतनी महत्वपूर्ण है कि अच्छे दोस्त के चयन को इंसान के लिए एक मूल्य समझा जाता है। वास्तव में दोस्त के साथ उठना बैठना इंसान की एक आदत है और दोस्त की बहुत सी आदतें रहस्यमयी ढंग से अपने दोस्त में स्थानांतरित हो जाती हैं। इस आधार पर जो किसी प्रकार की पहचान के बिना दूसरों से दोस्ती कर लेता है वह ग़लत लोगों के साथ उठने बैठने पर बाध्य होता है। पैग़म्बरे इस्लाम एक स्थान पर फरमाते हैं इंसान अपने दोस्त के धर्म पर चलता है। तो तुममें से हर एक को चाहिये कि वह देखे कि किस के साथ दोस्ती कर रहा है।“

 

 

पैग़म्बरे इस्लाम बेहतरीन दोस्त उस इंसान को बताते हैं जो इंसान को महान ईश्वर की याद एवं अध्यात्म से निकट करता हो। एक दिन इब्ने अब्बास ने पैग़म्बरे इस्लाम से पूछा बेहतरीन दोस्त कौन है? आपने जवाब में फरमाया जिसे देखकर तुम्हें ईश्वर की याद आ जाये और उसकी बात तुम्हारे ज्ञान में वृद्धि करे और उसके कर्म तुम्हें परलोक के प्रति प्रोत्साहित करें।“

पैग़म्बरे इस्लाम की दृष्टि में अच्छा दोस्त इत्र बेचने वाले की भांति है अगर इत्र नहीं देगा तो उसकी सुगंध तुम तक पहुंचेगी और बुरा दोस्त लोहार की भांति है कि अगर वह तुम्हारा कपड़ा न भी जलाये तो उसकी बुरी गंध तुम तक पहुंचेगी।

दोस्ती को मज़बूत व स्थाई बनाना जवान की कला है और दोस्ती को मज़बूत बनाकर उसे टिकाऊ बनाया जा सकता है। अलबत्ता दोस्ती को मज़बूत करने के लिए कुछ चीज़ों की आवश्यकता है। उसमें से एक दोस्ती की घोषणा है। यानी इंसान अपने दोस्त के प्रति दोस्ती दिखाये। पैग़म्बरे इस्लाम के एक स्थान पर फरमाते हैं जब तुममें से कोई अपने भाई को दोस्त रखे तो उसे बता दे क्योंकि यह कार्य प्रेम व दोस्ती को मज़बूत बनाता है।“

 

 

दोस्ती को मज़बूत करने का एक तरीका दोस्त की आवश्यकताओं को पूरा करना है और उसके लिए लाभप्रद होना है। विशेषकर मुश्किल के समय जब दोस्ती की बुनियाद पड़ती है। पैग़म्बरे इस्लाम इस बारे में भी फरमाते हैं” जो अपने दोस्त की आवश्यकताओं को पूरा करने का प्रयास करता है ईश्वर उसकी आवश्कताओं को पूरा करता है। अगर कोई किसी मुसलमान की समस्या का समाधान कर देता है तो ईश्वर प्रलय के दिन उसकी कठिनाइयों को दूर कर देगा।“

दोस्ती का आनंद कठिनाइयों में उसकी सहायता करने में है। अलबत्ता वह सहायता जो इमाम जाफर सादिक़ अलैहिस्सलाम के कथनानुसार बिना अनुरोध के हो उसका मूल्य अधिक है और जब तुम यह समझ जाओ कि तुम्हारे दोस्त को तुम्हारी ज़रूरत है तो तुम उसके कहने से पहले उसे अंजाम दे दो और उसे स्वयं से कहने के लिए मजबूर न करो”

 

 

इमाम जाफर सादिक़ अलैहिस्सलाम से अच्छे दोस्त की विशेषताओं के बारे में आया है। आप फरमाते हैं दोस्ती की कुछ विशेषताएं हैं जिसके अंदर यह विशेषताएं पूरी तरह न हों उसे संपूर्ण दोस्त न समझो और जिसके अंदर उसमें से कोई भी न हो उससे किसी प्रकार की दोस्ती न करो। इमाम के शब्दों में दोस्त की पहली विशेषता है कि वह अंदर और बाहर दोनों से तुम्हारे साथ एक जैसा हो।

दोस्त की दूसरी विशेषता यह है कि वह तुम्हारी अच्छाई को अपनी अच्छाई और तुम्हारी बुराई को अपनी बुराई समझे। तीसरी विशेषता यह है कि धन और पद तुम्हारी दोस्ती में प्रभावी न हों चौथी विशेषता यह है कि तुम्हारी सहायता करने में अपनी क्षमता में संकोच से काम न ले और पांचवी विशेषता यह है कि कठिनाइयों में वह तुम्हें अकेला न छोड़े।