Aug २१, २०१६ १४:२८ Asia/Kolkata
  • शनिवार- 22 अगस्त

22 अगस्त सन 1320 में नसीरूद्दीन खुसरो को गाजी मलिक ने हराया।

22 अगस्त सन 1320 में नसीरूद्दीन खुसरो को गाजी मलिक ने हराया।

22 अगस्त सन 1639  में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई  की स्थापना की जो उस समय मद्रास कहा जाता था।

22 अगस्त सन 1762 में एन फ्रेंकलिन अमरीकी अखबार न्यूपोर्ट आरआई मर्कर की पहली महिला संपादक बनीं।

22 अगस्त सन 1851  में ऑस्ट्रेलिया में सोने के क्षेत्रों की खोज हुई।

22 अगस्त सन 1915 को एशिया की पहली पी.एच.डी. महिला और नेता डाक्टर शाइस्ता इकरामुल्लाह का कोलकाता में जन्म हुआ।

22 अगस्त सन 1918 भारत के पहले पायलट इन्द्रलाल राय, प्रथम विश्व युद्ध के दौरान लंदन में जर्मनी के साथ हवाई लड़ाई में मारे गये।

22 अगस्त सन 1921 में महात्मा गांधी ने विदेशी वस्त्रों को जला दिया।

22 अगस्त सन 1962 में विश्व के पहले परमाणु समुद्री जहाज़ ने वर्जीनिया से जार्जिया तक की यात्रा पूरी की।

22 अगस्त सन 2003 ईसवी को इराक़ के शहर मूसिल में अमरीका के हवाई हमले में तानशाह सद्दाम के दोनों बेटे उदै, क़ुसै तथा एक पोता मारा गया। 

 22 अगस्त 1994 को गाम्बिया में सेना ने सरकार का तख़्ता उलट दिया और राष्ट्रपति दोदा जवारा को देश से बाहर निकाल दिया गया। 

 

22 अगस्त सन 1627 ईसवी को फ़्रांस के कैथोलिक और प्रोटेस्टेन्ट ईसाइयों के बीच अंतिम युद्ध हुआ।

यह युद्ध ब्रिटेन द्वारा फ्रांस के प्रोटेस्टेन्ट ईसाइयों को भड़काए जाने से छिड़ा। कैथौलिक इसाइयों ने फ़्रांस की सरकारी सेना की सहायता से प्रोटेस्टेंट ईसाइयों पर आक्रमण किया। फ़्रांस के महामंत्री रेशलीव कैथोलिक ईसाइयों की ओर से आगे आगे थे। उनके आदेश पर लारौशल स्थित प्रोटेस्टेन्ट ईसाइयों के केंद्रों पर आक्रमण किया गया तथा एक वर्ष तक युद्ध जारी रहने के बाद अंतत: प्रोटेस्टेन्ट ईसाइयों को पराजय हुई।

 

22 अगस्त सन 1698 ईसवी को रुस डेनमार्क और पोलैंड के बीच त्रिकोणीय संधि हुई जो स्वीडन के विरोध में थी। इन तीनों देशों के शासक, स्वीडन के युवा नरेश चार्ल्स बारहवें को पराजित करके इस देश पर अधिकार करना चाह रहे थे। इसी उद्देश्य से दो वर्ष पश्चात अप्रैल सन 1700 इसवी को त्रिकोणीय संधि के सदस्य तीनों देशों ने स्वीडन पर आक्रमण किया किंतु चार्ल्स की सेना ने अतिक्रमणकारियों का बड़ी वीरता से सामना किया और उन्हें पराजय का मज़ा चखाया। चार्ल्स ने इसके बाद डेनमार्क से संधि कर ली और फिर 1704 ईसवी में पोलैंड पर आकर्मण करके उसे अपने नियंत्रण में कर लिया। उसके बाद चार्ल्स ने रूस पर भी आक्रमण किया किंतु इसमें उन्हें असफलता का सामना करना पड़ा।

 

22 अगस्त सन 1864 ईसवी को जेनेवा में योरोप, अमरीका और एशिया महाद्वीप के कुछ देशों के प्रतिनिधियों ने एक ऐतिहसिक समझौते पर हस्ताक्षर किये। इस समझौते का लक्ष्य युद्ध के मैदानों में घायलों को चिकित्सा सहायता पहुँचाना था। इस समझौते के अनुसार समस्त युद्ध मैदानों में उपचारिक सहायता दल के सदस्यों और उनके सहायकों व उपकरणों आदि को निष्पक्ष समझा जाना आवश्यक है और उनकी सुरक्षा का ध्यान रखना सबका कर्तव्य है। इस प्रसताव को पेश करने वाले व्यक्ति का नाम हेनरी डोनेन था वे स्वीट्ज़रलैंड के नागरिक थे।

22 अगस्त सन 1962 ईसवी को विश्व के पहले परमाणु सम्पन्न समुद्री जहाज़ ने वर्जीनिया से जॉर्जिया तक की यात्रा पूरी की।

 

22 अगस्त सन 1971 ईसवी को बोलीविया के राष्ट्रपति जनरल जुआन जोस टोरेस गोनज़ालेज़ एक सैनिक विद्रोह में अपदस्थ कर दिए गये। यह विद्रोह वरिष्ठ सेनाधिकारी हयूगो बैन्ज़र स्वेरेज़ ने किया था उन्हें कुछ राजनैतिक हल्कों और सेना का भरपूर समर्थन प्राप्त था।

 

22 अगस्त सन 1996 ईसवी को जेनेवा में निरस्त्रीकरण के विषय में आयोजित सम्मेलन विफलता के साथ समाप्त हो गया। पश्चिमी देशों की चालों के दृष्टिगत कुछ देशों ने परमाणु परीक्षण निषेध संधि से अपनी असहमति व्यक्त कर दी थी जिससे यह सम्मेलन विफल हो गया।

 

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पहली शहरीवर को ईरान में चिकित्सा दिवस के रूप में मनाया जाता है। 3 सफ़र 370 हिजरी क़मरी को बल्ख़ में प्रसिद्ध ईरानी विद्वान और चिकित्सक इब्ने सीना पैदा हुए थे। उनका पूरा नाम हुसैन बिन अब्दुल्लाह है। उनकी उपाधि हुज्जतुल हक़ है और शैख़ुर्रईस के नाम से वह प्रसिद्ध हैं। छोटी उम्र से ही उन्होंने अपने समय के ज्ञानों को अर्जित करना आरंभ कर दिया यहां तक कि वह जवानी में बहुत बड़े विद्वान बन गये। अबू अली सीना इस्लामी जगत और ईरान के बहुत बड़े दर्शनशास्त्री और चिकित्सक हैं। दर्शनशास्त्र और चिकित्सा के क्षेत्र में उन्होंने जो किताबें लिखी हैं वे बहुत महत्वपूर्ण हैं। अमीर नूह बिन मंसूर सामानी की बीमार का उपचार करने के कारण वह शासक के नज़दीक हो गये और उन्हें सरकारी पुस्तकालय से लाभ उठाने की अनुमति मिल गयी। इब्ने सीना ने इस अवसर का लाभ उठाया, किताबों का अध्ययन किया और किताबें लिखीं। इब्ने सीना ने विभिन्न विषयों के बारे में अरबी और फारसी में 450 किताबें लिखी हैं जिनमें अधिकांश का संबंध चिकित्सा और दर्शनशास्त्र से है। उन्होंने दर्शनशास्त्र के बारे में शिफा नाम की एक बहुत प्रसिद्ध पुस्तक लिखी है। इसी प्रकार चिकित्सा के क्षेत्र में उन्होंने एक बहुत प्रसिद्ध पुस्तक अलक़ानून लिखी है। जार्ज सार्टन अपनी किताब में उन्हें बहुत बड़ा विद्वान और चिकित्सक मानता है। इसी प्रकार वह इब्ने सीना को ईरान का सबसे प्रसिद्ध विद्वान मानता है। उसका मानना है कि इब्ने सीना हर समय में, हर स्थान पर और समस्त जातियों में एक सबसे प्रसिद्ध विद्वान हैं। इब्ने सीना के काल में विभिन्न घटनायें घटी हैं। वह मंत्री भी रहे और कुछ समय तक जेल में भी रहना पड़ा। अंततः इस महान व प्रसिद्ध ईरानी विद्वान और चिकित्सक का 58 साल की उम्र में ईरान के हमदान नगर में निधन हो गया और वहीं पर उनको दफ्न कर दिया गया। इब्ने सीना की याद और उनके सम्मान में इस्लामी गणतंत्र ईरान में पहली शहरीवर को चिकित्सा दिवस के रूप में मनाया जाता है।

 

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2 मोहर्रम सन 61 हिजरी क़मरी को पैगम्बरे इस्लाम के पौत्र हज़रत इमाम हुसैन अ अपने परिवार जनों और साथियों के साथ इराक़ के कर्बला क्षेत्र पहुचे। उन्होंने इससे कुछ महीने पूर्व भ्रष्ट व अत्याचारी उमवी शासक यज़ीद की बैअत अर्थात आझापालन का वचन देने से इंकार कर दिया था। जिसके बाद उन्हे मदीना नगर छोड़ना पड़ा इमाम हुसैन अ मदीना से मक्का गये और फिर  इराक़ के कूफ़ा नगर की ओर रवाना हुए। कूफ़ा वासियों ने इमाम हुसैन के उक्त क़दम का समर्थन करते हुए उन्हें कूफ़ा आने के लिए आमत्रित किया था किंतु यज़ीद की सरकार से भयभीत होकर उन्होंने पैग़म्बरे इस्लाम के पौत्र हज़रत इमाम हुसैन अ की ओर से मुंह मोड़ लिया।

इमाम हुसैन (अ) कूफ़े की ओर बढ़ रहे थे कि हुर बिन यज़ीद रेयाही नामक सेनापति के नेतृत्व में यज़ीद की सेना ने इमाम हुसैन अ का रास्ता रोक दिया। अब इमाम हुसैन अ कर्बला की ओर गये और वही पर उन्होंने ख़ैमे लगाए। उल्लेखनीय है कि हुर को कर्बला की घटना के दौरान अपने किये पर बहुत पछतावा हुआ। उन्होंने प्रायाश्चित किया और यज़ीद की सेना को छोड़कर इमाम हुसैन के साथियों में शामिल हो गये। उन्होंने दस मोहर्रम को इमाम हुसैन अ की ओर से युद्ध किया और अंतत: शहीद हुए।