सोमवार - 24 अगस्त
24 अगस्त वर्ष 1945 ईसवी को भारत के विख्यात उद्यमी और वाइप्रो टेक्नालोजीज़ के मालिक अज़ीम प्रेमजी का जन्म हुआ।
- 24 अगस्त सन 1206 ईसवी को क़ुत्बुद्दीन एबक का लाहौर में राज्याभिषेक हुआ।
- 24 अगस्त सन 1859 ईसवी को फ़्रांस के प्रसिद्ध वैज्ञानिक पीयर क्यूरी का जन्म हुआ। उन्होंने विश्व विख्यात अविष्कारक मैडम क्यूरी की सहायता से रेडियम की खोज की जो उनकी बीवी थी।
- 24 अगस्त 1945 ईसवी को पाकिस्तान के विश्व विख्यात क्रिकेटर ज़हीर अब्बास का सियालकोट में जन्म हुआ।
24 अगस्त सन 1821 ईसवी को मैक्सिको स्पेन के अधिकार से स्वतंत्र हुआ। मेक्सिको पॉच हज़ार वर्ष पुराना इतिहास रखता है यह प्राचीन सभ्यताओं और संस्कृतियों का केंद्र रहा है। वर्ष 1518 ईसवी में स्पेन के लोग मैक्सिको पहुंचे और उन्होंने इस देश में आंतरिक मतभेद का लाभ उठाते हुए अपना अधिकार जमा लिया तथा बहुत से स्थानीय लोगों को मार डाला। वस्तुत: मैक्सिको अमरीका में स्पेन के प्रवेश का द्वार सिद्ध हुआ। लगभग तीन शताब्दियों तक मैक्सिको पर स्पेन का अधिकार रहा। 19वीं शताब्दी में स्पेन की शक्ति में कमी आने के साथ ही मैक्सिको की जनता का विद्रोह आरंभ हो गया और अंतत: 1821 ईसवी में आज के दिन यह देश स्वतंत्र हो गया।
24 अगस्त सन 1929 ईसवी को फ़िलिस्तीन के बैतुल मुक़ददस नगर में नुदबा दीवार आंदोलन आरंभ हुआ। यह दीवार बैतुल मुक़द्दस नगर के पश्चिमी भाग में है और मुसलमानों के निकट पवित्र स्थल है। फ़िलिस्तीनियों ने जायोनी शासन के अतिग्रहण के विरुद्ध यहीं से आंदोलन आरंभ किया जो पूरे फ़िलिस्तीन में फैल गया किंतु ब्रिटेन की भरपूर सहायता से जायोनी शासन ने सैनिक कार्यवाई करके क्रान्तिकारियों का दमन आरंभ कर दिया और एक सप्ताह बाद यह आंदोलन अस्थायी रुप से शांत हो गया।
24 अगस्त वर्ष 1974 को फ़ख़रूद्दीन अली अहमद भारत के पांचवें राष्ट्रपति बने। उनका राष्ट्रपति काल 11 फ़रवरी वर्ष 1977 तक चला। उनका जन्म 13 मई वर्ष 1905 को दिल्ली में हुआ था। उनके पिता का नाम कर्नल ज़ुन्नूर अली था और उनकी मां दिल्ली के लोहारी के नवाब की बेथी थीं। उन्होंने गोंडा ज़िले के सरकारी हाई-स्कूल और दिल्ली सरकारी हाई-स्कूल में शिक्षा ग्रहण की। उच्च शिक्षा के लिए वे 1923 में इंग्लैंड गए, जहां उन्होंनें सेंट कैथरीन कालेज कैम्ब्रिज में अध्ययन किया. 1928 में उन्होंने लाहौर उच्च न्यायालय में वकालत वर्ष 1925 में नेहरू से इंग्लैन्ड में भेंट के बाद वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए. उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया। 1974 में प्रधानमंत्री इन्दिरा गान्धी ने फ़ख़रुद्दीन अली को राष्ट्रपति पद के लिए चुना और वे भारत के दूसरे मुस्लिम राष्ट्रपति बन गए। इन्दिरा गांन्धी की अनुशंसा पर उन्होंने 1975 में अपने संवैधानिक अधिकार का प्रयोग करके आंतरिक आपातकाल की घोषणा कर दी। वर्ष 1977 में हृदयगति रुक जाने से फ़ख़रुद्दीन अली अहमद का कार्यालय में निधन हो गया।
24 अगस्त वर्ष 1991 को यूक्रेन सोवियत संघ से अलग होकर स्वतंत्र देश बना। युक्रेन पूर्वी यूरोप में स्थित है। इसकी सीमा पूर्व में रूस, उत्तर में बेलारूस, पोलैंड, स्लोवाकिया, पश्चिम में हंग्री और दक्षिणपश्चिम में रोमानिया व माल्दोवा और दक्षिण में काला सागर और अजोव सागर से मिलती है। देश की राजधानी होने के साथ-साथ सबसे बड़े नगर का नाम कीव है। युक्रेन का आधुनिक इतिहास 9वीं शताब्दी से शुरू होता है, जब कीवियन रुस के नाम से एक बड़ा और शक्तिशाली राज्य बनकर खड़ा हुआ, लेकिन 12 वीं शताब्दी में यह महान उत्तरी लड़ाई के बाद क्षेत्रीय शक्तियों में विभाजित हो गया। 19वीं शताब्दी में इसका बड़ा हिस्सा रूसी साम्राज्य का और शेष भाग आस्ट्रो-हंगेरियन नियंत्रण में आ गया। बीच के कुछ वर्षों के उथल-पुथल के बाद 1922 में सोवियत संघ के संस्थापक सदस्यों में से एक बना। 1945 में यूक्रेनियाई एसएसआर, संयुक्त राष्ट्र संघ का सह-संस्थापक सदस्य बना। सोवियत संघ के विघटन के बाद युक्रेन फिर से स्वतंत्र देश बना।
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3 शहरीवर सन 1320 हिजरी शम्सी को द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान संयुक्त सेना ने ईरान का अतिग्रहण कर लिया। उस समय सोवियत संघ के क्षेत्र में जर्मनी की सेना को तेज़ी से आगे घुसते देखकर अमरीका फ़्रांस और ब्रिटेन चिंतित हो गये। क्योंकि सोवियत संघ पर जर्मनी का अधिकार स्थापित हो जाने की स्थिति में मध्यपूर्व और सुदूर पूर्व के क्षेत्र में उक्त देशों के हित समाप्त हो जाते। इसी लिए इन तीनों देशों ने ईरान के मार्ग से सोवियत संघ को हथियार पहुँचाने की योजना बनाई। तीसरी शहरीवर वर्ष 1320 हिजरी शम्सी को तड़के, ईरान द्वारा पहले ही निष्पक्षता की घोषणा के बावजूद सोवियत संघ की सेना ने ईरान के उत्तर पश्चिमी और पूर्वी तथा ब्रिटेन की सेना ने दक्षिणी भाग पर व्यापक आक्रमण कर दिया। तत्कालीन ईरानी शासक रज़ाख़ान की आयोग्यता के कारण ईरान की सेना पराजित हुई और बीस दिन के अंदर ईरान पर ब्रिटेन और सोवियत संघ की सेनाओं का अधिकार हो गया जिसके बाद मॉस्को और लंदन ने रज़ाख़ान को देशनिकाला देकर उसके बेटे मोहम्मद रज़ा को सत्ता सौंप दी।
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4 मोहर्रम सन 1264 हिजरी क़मरी को मोरक्को के मुसलमान शायर और मंत्री अबू अब्दुल्ला मोहम्मद अमरावी फ़ार्सी का निधन हुआ। वे इब्ने इदरीस के नाम से प्रसिद्ध थे। उन्होंने कुरआन के स्मरण के साथ अपनी शिक्षा आरंभ की। उन्होंने अपने जीवन का एक बड़ा भाग प्रसिद्ध इतिहासकारों की सेवा में रहकर उनकी पुस्तकों को लिखने और इतिहास के विभिन्न पहलुओं का परिचय प्राप्त करने में बिताया। अलजीरिया पर फ़्रांस के आक्रमण के बारे में उन्होंने 111 शेर लिखे, जिनमें उन्होंने मुसलमानों को फ़्रासीसी अतिक्रमणकारियों के विरुद्ध संघर्ष के लिए प्रेरित किया। उनके शत्रुओं ने उनके विरुद्ध षंडयंत्र रचे जिसके परिणाम स्वरुप मोरक्को के नरेश ने उन्हें जेल में डालकर बुरी तरह प्रताड़ित किया। जेल से छूटने के बाद वे अलग थलग रहकर जीवन बिताने लगे और केवल शायरी में व्यस्त रहने लगे। उन्होंने पैग़म्बरे इस्लाम स की प्रशंसा में बड़े ही सुंदर शेर लिखे हैं।