ईरान की सांस्कृतिक धरोहर-48
वेशभूषा किसी भी समुदाय का सबसे स्पष्ट एवं महत्वपूर्ण सांस्कृतिक प्रतीक है, जो तेज़ी से दूसरे समुदायों की संस्कृति से प्रभावित होता है।
यहां तक कि कुछ लोगों का मानना है कि किसी भी संस्कृति पर सर्वप्रथम वस्त्रों द्वारा ही प्रभाव डाला जाता है। इस प्रकार से कि किसी एक समाज की वेशभूषा बदलकर उस समाज की जीवन शैली में परिवर्तन किया जा सकता है। इसका उदाहरण बीसवीं सदी के शुरू में ईरान में रज़ा ख़ान और तुर्की में कमाल अतातूर्क द्वारा वेशभूषा को थोपना है।
ईरान में प्राचीन काल से ही महिला और पुरुष वेशभूषा का काफ़ी महत्व रहा है और इस्लाम में भी इस पर काफ़ी बल दिया गया है। ईरानी वेशभूषा में आरम्भिक काल से लेकर अब तक कोई ख़ास बदलाव नहीं आया है और इस वेशभूषा का प्रारूप आरम्भ से लेकर आज तक ईरानी संस्कृति के रूप में सुरक्षित है।
वेशभूषा का इसलिए भी महत्व है कि उसके अध्ययन से सामाजिक वर्गों के विश्वासों और विशेष रूप से इतिहास के विभिन्न चरणों में समुदाय विशेष की कपड़ा बुनने की कला और उसके इतिहास के विभिन्न चरणों का ज्ञान प्राप्त हो जाता है।
मोटे तौर पर किसी भी समाज की वेशभूषा का स्वरूप कुछ कारणों से प्रभावित होता है, जैसे भौगोलिक परिस्थितियां, मौसम, सामाजिक स्थिति और जीवन शैली, युद्ध, राजनीतिक स्थिति, शासन का प्रारूप, आर्थिक स्थिति और तकनीकी विकास। इसके अलावा धार्मिक विश्वास, रस्मो रिवाज, समाज में जातिवाद और पड़ोसी राष्ट्रों से सांस्कृतिक, आर्थिक एवं रीजनीतिक संबंध भी वेशभूषा को प्रभावित करते हैं।
इसके बावजूद यह नहीं भूलना चाहिए कि ईरानियों की वेशभूषा में ऐसी संयुक्त विशेषताएं पाई जाती हैं, जो अन्य समाजों से अलग हैं। उदाहरण स्वपरूप, ईरानी महिलाओं के बीच विभिन्न तरीक़ों से सिर ढकने का चलन है। उत्तरी तुर्कमन महिलाएं मक़ना पहनती हैं, जबकि पारसी महिलाएं जालीदार चारक़द, कुर्द महिलाओं के बीच रंगबिरंगी पगड़ी का प्रचलन है तो गीलक महिलाएं शाल या स्कार्फ़ पहनती हैं।
स्पष्ट रूप से वस्त्र धारण करने का मक़सद गर्मी और सर्दी से बचना और शरीर को ढांपना है, लेकिन कुछ संस्कृतियों में रंगों का चयन और कपड़ों पर बने डिज़ाइन सामुदायिक निशानी और सामाजिक स्थिति का प्रतीक होते हैं। वर्तमान ईरान में विभिन्न समुदाय अपनी विशेष संस्कृति एवं रस्मो रिवाज के लिहाज़ से विशेष वस्त्र धारण करते हैं। गांवों और क़बीलों की महिलाएं, सुन्दरता में अपनी रूची और प्रकृति एवं ख़ुद के बीच समन्वय स्थापित करने के लिए रंगबिरंगे और सुन्दर वस्त्रों का चयन करती हैं।
इसी प्रकार, गांवों और क़बीलों की अधिकांश महिलाएं अपने वस्त्रों में ज़रदोज़ी का काम पसंद करती हैं। उनके कपड़े आभूषणों, मोतियों और सिक्कों से सजे होते हैं।
ईरान के विभिन्न इलाक़ों में रहने वाले विभिन्न समुदाय, अपनी सामुदायिक विशेषताएं एवं पहचान रखते हैं, जो विभिन्न कारणों से प्रभावित हैं। इनमें से कुछ प्रसिद्ध समुदाय इस प्रकार हैं, आज़रबाइजानी, बलोची, बख़्तियारी, तुर्कमन, ख़ुरासानी, क़शक़ायी, कुर्द, गीलानी, लोर, माज़ेन्द्रानी और दक्षिणी।
ईरानी समुदायों के बीच कपड़ों को सजाने का काफ़ी प्रचलन रहा है। इसी कारण, इस क्षेत्र में दस्तकारी ने काफ़ी विकास किया है। कपड़े पर चित्रकारी और डिज़ाइनिंग को कुछ महत्वपूर्ण भागों में बांटा जा सकता है, स्टाइलाइज़्ड डिज़ाइन, पैस्ले डिज़ाइन, ज्यामितीय डिज़ाइन, प्रकृति एवं मानव डिज़ाइन।
इनमें से स्टाइलाइज़्ड डिज़ाइन फूलों और वनस्पतियों से लिया गया है और इसे हर इलाक़े के लोगों की रूची के अनुसार डिज़ाइन किया जाता है। इन डिज़ाइनों को तुर्कमन और बलोच समुदायों की वेशभूषा में इस्तेमाल किया जाता है, जिसे सूज़न दोज़ी या कढ़ाई-बुनाई कहते हैं। सूज़न दोज़ी में कॉलर, आस्तीन का छोर और कपड़े के किनारे और कभी कपड़े के ऊपर डिज़ाइन बनाए जाते हैं।
ईरान में एक महत्वपूर्ण डिज़ाइन, पैस्ले डिज़ाइन है, जिसे विभिन्न तरीक़ों से इस्तेमाल किया जाता है। पैस्ले डिज़ाइन हाथों से बुने जाने वाले कपड़ों और अन्य चीज़ों पर जैसे कि क़ालीन, चटाई, मिट्टी के बर्तन और टाइलों पर विभिन्न रूपों में बनाया जाता है। पैस्ले ईरानी देवदार का एक चित्र है। देवदार, ईरानियों की आज़ादी का प्रतीक है, जिसने आदर में अपना सिर झुकाया हुआ है। पैस्ले झुके हुए देवदार का छोटा चित्र है, जो ईरानी आदर की एक निशानी है।
पैस्ले डिज़ाइन का आधार, वह लकीर है जो झुके हुए भाग से शुरू होती है और एक वक्र चक्र के साथ उसी बिंदु पर पहुंच जाती है, जहां से शुरू हुई थी। इस चक्र से ऐसा डिज़ाइन बनता है, जिसका सिर पतला और बीच का भाग पेट की तरह होता है। ईरान में कपड़ो पर यह डिज़ाइन तीन तरह से सूज़नदोज़ी, बुनाई और छपाई द्वारा बनाया जाता है, हालांकि ईरान के कुछ भागों में ज्यामितीय चित्रों के साथ भी बनाया जाता है।
ईरान के स्थानीय कपड़ों पर बनाया जाने वाला एक दूसरा डिज़ाइन ज्यामितीय है। ईरानी कपड़ों पर बनाए जाने वाले ज्यामितीय डिज़ाइन बहुत सादे और सुन्दर होते हैं। सीस्तान व ब्लूचिस्तान के लोगों के कपड़ों पर इसे चार ख़ानों के रूप में देखा जा सकता है। ज्यामितीय डिज़ाइन प्राचीन ईरानी वस्त्रों पर भी देखा जा सकता है, लेकिन इस्लामी काल में इस कला को अहम स्थान प्राप्त हुआ।
ईरान में कपड़ों पर बनने वाले चित्रों और डिज़ाइनों में से एक प्राकृतिक डिज़ाइन हैं, उदाहरण स्वरूप, मानव, जानवरों और वनस्पतियों के चित्र। जैसा कि ईरान के सबसे पुराने बुने हुए क़ालीन पाज़ीरीक पर एक घुड़ सवारों को दिखाया गया है। ईरान में समस्त कलाओं में डिज़ाइन क़रीब एक जैसे ही हैं, यही कारण है कि कपड़ों पर भी जानवरों और इंसानों के चित्रों का इस्तेमाल किया जाता है। इसी प्रकार सासानी काल के कपड़ों पर इंसानों, पंछियों और जानवरों के चित्र देखे जा सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि ईरान में कपड़ों पर मिश्रित डिज़ाइन का भी प्रयोग होता है। इन डिज़ाइनों में फूल, काल्पनिक जानवर जैसे कि परों वाला शेर, सीमुर्ग़ और ड्रैगन हैं। परों वाला शेर कपड़ों पर बनाया जाने वाला सबसे पुराना चित्र है, जिसके नमूने सासानी काल के कपड़ों पर देखे जा सकते हैं। ईलख़ानी काल में ड्रैगन के चित्र को चीनी कला से लिया गया।
ईरानी कलाकार कपड़ों की डिज़ाइनिंग और उन्हें सजाने के लिए विभिन्न तकनीकों का इस्तेमाल करते हैं। इनका चयन कपड़ो की क़िस्म, उसका इस्तेमाल और हर इलाक़े की जीवन शैली के आधार पर किया जाता है। कढ़ाई, छपाई, नक़्क़ाशी और कपड़े के छोटे छोटे टुकड़ों से कपड़ों को सजाया जाता है। इसी प्रकार ईरान के विभिन्न इलाक़ों विशेष रूप से देहाती इलाक़ों में रेडिमेड चीज़ों जैसे कि सिक्कों, मोतियों, दानों और कपड़े की पट्टियों से कपड़ों को सजाया जाता है। इस कला का इतिहास माद काल और उससे भी पुराना है।
इसी प्रकार यात्रा वृतांतों में महिलाओं द्वारा अपने कपड़ों को सिक्कों से सजाने की ओर संकेत मिलता है। ईरान के पठारी इलाक़ों में रहने वाले समुदायों जैसे कि कुर्द, लोर, आज़री, क़शक़ायी, ख़ुरासानी, सेमनानी, गीलानी और तुर्कमन समुदायों की महिलाएं अपने वस्त्रों को सिक्कों से सजाती थीं। कुर्द समुदायों में मोतियों से कपड़ों को सजाने का बहुत रिवाज है। इसी प्रकार, कुर्द और तुर्कमन महिलाएं अपने कपड़ों को सजाने के लिए धातु के टुकड़ों, शीशे और यहां तक कि प्लास्टिक का इस्तेमाल करती हैं।
कपड़े की पट्टियों से भी ईरान में कपड़ों को सजाया जाता है। पुराने समय में यह पट्टियां कपड़े से फाड़ी जाती थीं और उन पर कढ़ाई द्वारा डिज़ाइन बनाए जाते थे। लेकिन वर्तमान समय में रेडिमेड पट्टियों का अधिक रिवाज है। विभिन्न प्रकार के फुंदनों को बनाकर शाल के किनारों या कॉलर पर लगाना भी पारम्परिक वस्त्रों को सजाने की एक शैली है। इसका चलन ज़्यादातर पश्चिमी ईरान और उत्तर पूर्वी ईरान के क़ूचान इलाक़े में है।