Feb ०२, २०१६ १६:३८ Asia/Kolkata

तेहरान के राजधानी होने तथा इसकी स्ट्रेटिजिक स्थिति के कारण इस शहर में औद्योगिक, आर्थिक, सामाजिक, वाणिज्यिकि व व्यापारिक गतिविधियों में बहुत तेज़ी से विस्तार हुआ और आज तेहरान का बाज़ार ईरान का सबसे बड़ा बाज़ार बन चुका है।

तेहरान के राजधानी होने तथा इसकी स्ट्रेटिजिक स्थिति के कारण इस शहर में औद्योगिक, आर्थिक, सामाजिक, वाणिज्यिकि व व्यापारिक गतिविधियों में बहुत तेज़ी से विस्तार हुआ और आज तेहरान का बाज़ार ईरान का सबसे बड़ा बाज़ार बन चुका है।

ईरान के विभिन्न शहरों में बाज़ार अपनी आर्थिक-सामाजिक गतिविधियों और विशेष वास्तुकला से संपन्न होने के कारण सांस्कृतिक दृष्टि से भी मुख्य आकर्षण समझे जाते हैं और हर शहर के अन्य दर्शनीय स्थलों के साथ साथ इनका भी विशेष स्थान होता है। चूंकि तेहरान का बाज़ार भी ईरान के महत्वपूर्ण बाज़ारों में गिना जाता है इसलिए आपको तेहरान के बाज़ार के बारे में बताने जा रहे हैं। कृपया हमारे साथ रहें।

ईरान भ्रमण करने वाले ज़्यादातर सैलानियों ने जिन्होंने तेहरान के बाज़ार का भ्रमण किया है, तेहरान के बाज़ार के किसी न किसी भाग का उल्लेख किया है और वहां की चहल-पहल की प्रशंसा की है।

 

 

फ़्रांसीसी पर्यटक अर्नेस्ट ओर्सेल ने 1882 में अपने यात्रावृत्तांत में तेहरान के बाज़ार की इस प्रकार तारीफ़ की है, “तेहरान का बाज़ार अपने आप में एक शहर जैसा है। इस बाज़ार में प्रतिदिन 2 से ढाई लाख लोगों का आना जाना लगा रहता है। तेहरान के बाज़ार में गलियां, गलियारे, चौराहे, मेहमानख़ाने और मस्जिदें सुनियोजित रूप से बनी हुयी हैं। इसमें छतदार व घुमावदार गलियारे हैं। यह गलियारे गुंबददार छत के नीचे बने हुए हैं। इन गुबंदो में रौशनदान बने हुए हैं। इन रौशनदानों को इस तरह बनाया गया है कि बाज़ार के भीतर रौशनी और हवा रहे ताकि बाज़ार में काम करने वालों और गुज़रने वालों को तेहरान की गर्मी का बहुत एहसास न होने पाए। बाज़ार ईरानियों के लिए लेन-देन के सबसे बड़े स्थान होने के अलावा लोगों के टहलने और विभिन्न प्रकार के लोगों के मिलने की जगह भी है जहां वे एक दूसरे से मिल कर काम की समीक्षा करते हैं और दैनिक सूचनाएं हासिल करते हैं।” अलबत्ता अर्नेस्ट ओर्सेल के नज़दीक उस समय बाज़ार का स्थान मध्य तेहरान था।

लॉर्ड कर्ज़न ने 1889 में तेहरान के बाज़ार का इन शब्दों में उल्लेख किया है, “तेहरान का बाज़ार पूर्वी देशों के बहुत से बाज़ारों से सुदंर तथा शीराज़, इस्फ़हान और तबरीज़ के बाज़ार से बहुत बेहतर है।”

 

 

 

ईरान के हर शहर के अपने विशेष बाज़ार हैं। ईरान के शहरों में बाज़ारों की संरचना विभिन्न प्रकार की गतिविधियों से विशेष इमारतों पर आधारित है और यह संरचना काफ़ी हद तक एक दूसरे से मिलती जुलती है। बाज़ार की संरचना की पहचान इस बाज़ार यहां तक कि शहर की पहचान में अहमियत रखती है। तेहरान के बाज़ार क़ाजारी शासक फ़त्हअली शाह के दौर में बने। आज यह बाज़ार गलि में गलि दुकानों और गलियारों का ख़त्म न होने वाला सिलसिला दिखाई देता है। हालांकि कुछ दशक पहले से तेहरान में अनेक स्थान पर नए व्यापारिक केन्द्र बन गए हैं किन्तु तेहरान का असली बाज़ार आज भी तेहरान यहां तक कि पूरे ईरान के लिए लेन-देन का मुख्य केन्द्र समझा जाता है। तेहरान के बाज़ार की मुख्य वास्तुकला ईरान के अन्य पारंपरिक बाज़ार की तरह छतदार गुंबद वाली है। इसके बनाने में ईंट का इस्तेमाल हुआ है। बाज़ार का रूप तेहरान की गर्म व शुष्क जलवायु के मद्देनज़र बनाया गया है।

तेहरान के बाज़ार के मुख्य प्रवेश द्वार के पास एक बड़ा सा हरा-भरा मैदान है। इस मैदान के चारों ओर दुकानें हैं। प्राचीन समय में इस मैदान में विभिन्न प्रकार के उत्पाद वितरित किए जाते थे।

 

 

तेहरान के बाज़ार के प्रवेश द्वार पर इमाम ख़ुमैनी मस्जिद है। यह बहुत मशहूर मस्जिद है। इसे क़ाजारी शासक फ़त्हअली शाह क़ाजार ने बनवाया था। मस्जिद 1824 हिजरी में बन कर तय्यार हुयी थी। मस्जिद के मेहराब की ओर बड़े दालान के ऊपर दीवार पर नसतालीक़ लीपि में फ़त्हअली शाह का नाम लिखा हुआ है। इस मस्जिद का प्रांगण बहुत बड़ा है। इसके हाल बहुत सुंदर हैं। मस्जिद के गुंबद पर टाइल का काम है। मस्जिद के ताक़ और उसके फ़्रेम बहुत ही ख़ूबसूरत हैं। इस मस्जिद में क़ाजारी शासन काल में प्रचलित टाइल का काम बहुत की सुंदर व आकर्षक लगता है।

इमाम ख़ुमैनी मस्जिद बहुत बड़े क्षेत्रफल पर बनी होने के कारण, बाज़ार के विभिन्न भागों को जोड़ने वाली कड़ी के समान है। बहुत से लोग इस मस्जिद से गुज़र कर बाज़ार के दूसरे भाग में आसानी से पहुंच सकते हैं।

तेहरान के बाज़ार में प्राचीन समय से कई सड़कें और एक मुख्य सड़क थी जिसे स्थानीय बोली में ‘रास्ता’ कहा जाता है। बाज़ार में उप गलियां बहुत ज़्यादा हैं जिन्हें ‘दालान’ कहा जाता है। आम तौर से यह गलियां अलग अलग उत्पादों और व्यवसाय के कारण वजूद में आयी हैं और इनमें से हर गली एक विशेष उत्पाद के लेन-देन के लिए विशेष है। आज तेहरान के पुराने बाज़ार के बहुत से भाग जैसे लोहारी, टोपी और तंबाकू के भाग में स्थित दुकानें विलासिता के उत्पादों से भरी हुयी हैं।

 

 

सोनार, रत्न, कपड़े, क़ालीन, शीशे व बिल्लौर तथा घरेलू इस्तेमाल की चीज़ों के बाज़ार, तेहरान बाज़ार के सबसे मशहूर हिस्से हैं। जहां सबसे ज़्यादा रौनक़ रहती है। बहुत से शादी का इरादा करने वाले जवान जोड़े, अपने परिजनों के साथ बाज़ार जाते हैं और बाज़ार के विभिन्न भाग से अपनी ज़रूरत की चीज़ें ख़रीदते हैं।

तेहरान के बाज़ार में बहुत से छोटे बाज़ार भी हैं। इनमें से कुछ अभी भी बाक़ी हैं। इन छोटे बाज़ारों में आर्थिक व व्यापारिक लेन-देन के अलावा दूसरी गतिविधियां भी अंजाम दी जाती हैं। इन छोटे बाज़ार में एक बाज़ार बैनुल हरमैन कहलाता है। चूंकि यह छोटा बाज़ार इमाम ख़ुमैनी मस्जिद और जामा मस्जिद के बीच में स्थित है इसलिए इसे बैनुल हरमैन कहा जाता है। कुछ समय तक यह बाज़ार दारुल उलूम के नाम से भी मशहूर था। क्योंकि इस छोटे बाज़ार के एक भाग में किताबें बिकती थीं। आज इस बाज़ार में क़ाग़ज़, क़लम, कॉपी सहित लिखने की ज़रूरी चीज़ें बिकती हैं।

आपको यह भी बताते चलें कि बाज़ार में दो मुख्य सड़कों के संगम को, जिसे हम चौराहा कहते हैं, उसे चहार सू या चहार सूक़ कहा जाता है। विगत में इस प्रकार के चौराहे की सामाजिक व राजनैतिक दृष्टि से बहुत अहमियत थी। चौराहे की इमारत अन्य भाग से अलग नज़र आती हैं और इन चौराहों की छतें गुंबददार हैं। इन गुंबदों को बहुत ही सुंदर टाइलों से सजाया गया है।

 

 

तेहरान के बाज़ार में व्यापारिक गतिविधियों के एक विशेष भाग को तीमचे कहा जाता है। तीमचे उस छतदार अहाते को कहते हैं जिसके चारों ओर कमरे बने होते हैं। इस अहाते के बीच में एक हौज़ होता है जिसके ठीक ऊपर रौशनदान बना होता है।

तीमचे आम तौर पर 2 या 3 मंज़िला होता है। हर तीमचे में कुछ दुकाने होती हैं जो किसी न किसी व्यापारी की होती हैं।

आपको बताते चलें कि तेहरान के बाज़ार का सबसे सुंदर तीमचे का नाम हाजिबुद दौला है। इस तीमचे में चीनी और बिल्लौरी बर्तनों तथा घरेलू ज़रूरत की चीज़ों की बिकती हैं। हाजिबुद दौला तीमचे में 20 दरवाज़े हैं। इसमें बिल्लौरी मॉल, अनेक दालानें और बड़ा सा हौज़ है। ज़्यादातर ईरानी परिवार अपनी बेटियों के जहेज़ का सामना हाजिबुद दौला तीमचे से ख़रीदते हैं इसलिए इस तीमचे में बहुत रौनक़ रहती है।

तेहरान के बाज़ार में अनेक सराय भी हैं जिनमें बहुत से कमरे बने होते हैं। इन कमरों में आम तौर पर बिकने वाली वस्तुएं रखी जाती हैं। तेहरान के बाज़ार की एक महत्वपूर्ण सराय का नाम मीरज़ा तक़ी ख़ान अमीर अताबक है जिसे संक्षेप में अताबकिया भी कहा जाता है।

विगत में तेहरान के बाज़ार में अनेक कारवांसराय भी मौजूद थीं। फ़्रांसीसी पर्यटक ओर्सेल ने अपने यात्रा वृत्तांत में एक स्थान पर तेहरान के बाज़ार में स्थित कारवांसराय के भीतरी हिस्से का यूं उल्लेख किया है, ज़्यादातर कारवांसराय वक़्फ़ की हुयी हैं। इन कारवांसरायों में लोग फ़्री में ठहरते हैं। आम तौर पर बहुत ही सज्जन लोग इन कारवांसरायों की रक्षा व देखभाल करते हैं।

 

 

 

तेहरान के बाज़ार में कमरों, तीमचों, सरायों और कारवांसरायों ने इस बाज़ार की संरचना को विशेष रूप प्रदान किया है। इन तीमचों, सरायों और कारवांसरायों के आस-पास सार्वजनिक हम्माम, स्कूल, मस्जिद, इमामज़ादों के रौज़े, पियाऊ, चाय, काफ़ी और खाने के होटल भी हैं। यह सब मिल कर एक संपूर्ण संरचना को वजूद देते हैं। यह कॉम्पलेक्स जीवन के विभिन्न भागों को जोड़ने तथा सामाजिक-आर्थिक, राजनैतिक व धार्मिक गतिविधियों की नज़र से जनता की ज़रूरत को पूरा करता है।

हालांकि अभी भी तेहरान के पुराने बाज़ार में आर्थिक दृष्टि से अहम बहुत सी सराय, कमरे, तीमचे और मैदान मौजूद हैं लेकिन इस बात को क़ुबूल करना होगा कि इन स्थानों की बाज़ार में विगत की स्थिति उस समय की आर्थिक-सामाजिक परिस्थितियों के अनुरूप थी। स्पष्ट सी बात है कि इन स्थानों की उपयोगिता इस वक़्त बदल गयी है। यही कारण है कि तेहरान के पुराने बाज़ार में विगत के कुछ भाग सुरक्षित हैं लेकिन आज इस बाज़ार में बहुत बदलाव आ चुका है। अब व्यापारिक लेन-देन का बड़ा हिस्सा इस बाज़ार से बाहर अंजाम पाता है। इस वक़्त तेहरान की मुख्य सड़कों, बाज़ारों, मॉल, और सिलसिलेवार सुपरमार्केटों में लोगों की ज़रूरत की चीज़ें मिल रही हैं।