शुक्रवार - 2 अक्तूबर
दो अक्तूबर सन 1869 को भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्म हुआ।
भारत समेत पूरे विश्व में आज के दिन को अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है। गांधी जी विश्व में सत्य और अहिंसा के प्रेरणास्रोत और भारत में स्वतंत्रता संघर्ष के सूत्रधार के रूप में याद किए जाते हैं।
दो अक्तूबर सन 1492 को ब्रिटेन के किंग हेनरी सप्तम ने फ्रांस पर हमला किया।
दो अक्तूबर सन 1904 को लाल बहादुर शास्त्री का जन्म हुआ था।
दो अक्तूबर सन 1924 को संयुक्त राष्ट्र संघ को शक्तिशाली बनाने के उद्देश्य से लाया गया जेनेवा प्रस्ताव महासभा द्वारा स्वीकृत हुआ लेकिन बाद में उसकी पुष्टि नहीं हुई।
दो अक्तूबर सन 2001 को 19 देशों के संगठन नैटो ने अफ़ग़ानिस्तान पर हमले के लिए हरी झंडी दी।
2 अक्तुबर सन 1187 ईसवी को इस्लामी सेना के सरदार सलाहुददीन अय्यूबी ने सलीबी युद्ध के दौरान बैतुल मुक़ददस को स्वतंत्र कराया। सलीबी युद्ध का पहला चरण वर्ष 1095 ईसवी से आरंभ हुआ और चार वर्ष बाद सलीबी सैनिकों के बैतुल मुक़द्दस पर आक्रमण और नियंत्रण के बाद समाप्त हुआ। इस युद्ध के दूसरे चरण मे सलाहुद्दीन अययूबी ने सीरिया लेबनान और मिस्र पर अधिकार करके बैतुल मुक़द्दस का परिवेषटन कर लिया और वहॉ की ईसाई सरकार को समर्पण के लिए विवश कर दिया। इस पराजय के पश्चात सलीबियों ने बैतुल मुक़दस पर अपना नियंत्रण करने के लिए एक बड़ी सेना तैयार की किंतु इस नगर पर उनका अधिकार न हो सका और बैतुल मुक़द्दस मुसलमानों के ही नियंत्रण में रहा। फिर भी सलीबियों ने तत्कालीन मुसलमानों के केंद्र मिस्र पर अधिकार करने के लिए अपना युद्ध जारी रखा। यह युद्ध वर्ष 1270 ईसवी को सलीबियों को कोई भी सफलता मिले बिना समाप्त हो गया। बैतुल मुक़दद्स मुसलमानों का पवित्र स्थल है। इसी प्रकार यह नगर यहूदियों और ईसाईयों के लिए भी पवित्र है।
2 अक्तूबर सन् 1869 को भारत में ब्रितानी साम्राज्य के विरुद्ध स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से एक मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म हुआ। वे सत्याग्रह अर्थात व्यापक सविनय अवज्ञा के माध्यम से अत्याचार के प्रतिकार के अग्रणी नेता थे, उनकी इस अवधारणा की नींव अहिंसा पर रखी गई थी। वे महात्मा गांधी के नाम से प्रसिद्ध हैं। भारत में उन्हें बापू के नाम से भी याद किया जाता है। 2 अक्तुबर को उनका जन्म दिन भारत में राष्ट्रीय पर्व, गांधी जयंती के नाम से मनाया जाता है और दुनियाभर में यह दिन अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है। 1942 में, ब्रिटिश भारत छोड़ो आन्दोलन छेड़कर उन्होंने बहुत लोक्रप्रियता प्राप्त की। दक्षिण अफ्रीका और भारत में विभिन्न अवसरों पर कई वर्षों तक उन्हें जेल में रहना पड़ा।
30 जनवरी, 1948, को कट्टरपंथी हिंदु महासभा के सदस्य हिन्दू राष्ट्रवादी नाथूराम गौडसे ने महात्मा गांधी की उस समय गोली मारकर हत्या कर दी जब वे नई दिल्ली स्थित बिरला भवन के मैदान में रात के समय चहलक़दमी कर रहे थे।
2 अक्तूबर सन 1904 ईसवी को ब्रिटेन के लेखक ग्रेनी का जन्म हुआ। उनकी पुस्तकों में सदा अच्छाई और बुराई की तुलना दिखाई पड़ती है। उन्होंने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक शक्ति और साहस में धैर्य तथा सहनशीलता को सफलता का गार्ग बताया है। वर्ष 1991 में उनका निधन हुआ।

2 अक्तूबर सन 1941 ईसवी को नाज़ी जर्मनी के नेता एडोल्फ हिटलर ने पूर्व सोवियत संघ पर दोबारा सैनिक आक्रमण का आदेश दिया। जर्मनी ने 22 जून सन 1941 ईसवी को सोवियत संघ पर आक्रमण करके उसके एक भाग पर अधिकार कर लिया था। आज ही के दिन हिटलर ने अपनी सेना को दूसरे आक्रमण का आदेश दिया था।
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11 मेहर सन 1357 हिजरी शमसी को इराक़ में सरकार द्वारा इमाम ख़ुमैनी की धर्मिक तथा राजनैतिक गतिविधियों पर प्रतिबंध लग जाने के बाद इमाम ख़ुमैनी ने कुवैत जाना चाहा। किंतु कुवैती सरकार ने ईरान के अत्याचारी शासक शाह के साथ अपने प्रगाढ़ संबन्धों के दृष्टिगत इमाम ख़ुमैनी को अपने देश में प्रवेश करने से रोक दिया। जिसके कुछ दिन बाद इमाम ख़ुमैनी वहां से पलायन कर गये। इमाम ख़ुमैनी के साथ इराक़ी सरकार के कठोर बरताव पर ईरान की जनता में भारी आक्रोष उत्पन्न हो गया था।

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14 सफ़र सन 632 हिजरी क़मरी को मुसलमान इतिहासकार न्यायाधीश और धर्मगुरू इब्ने शद्दाद का निधन हुआ। उनका पूरा नाम अबुल महासिन बहाउददीन था। वे सन 539 हिजरी क़मरी में इराक़ के मूसिल नगर में जन्मे थे। बचपन में कुरआन का स्मरण करने के पश्चात वे हदीस, तफ़सीर, इतिहास आदि विषयों की शीक्षा में लीन हो गये। शिक्षा प्राप्ति के पश्चात वे बग़दाद के निज़ामिया शिक्षा केंद्र में शिक्षा देने लगे। बाद में उन्होंने अधिक ज्ञान की खोज में बहुत से इस्लामी देशों की यात्राएं कीं। जब वे सीरिया गये तो इस्लामी नियमों और जेहाद से संबंधित एक पुस्तक प्रसिद्ध सेनापति सलाहुद्दीन अययूबी को उपहार स्वरूप दी। उनकी सलाहुद्दीन अययूबी से मित्रता हो गयी और वे सलीबी युद्ध के दौरान इतिहासकार के रूप में सलाहुद्दीन अययूबी के साथ साथ रहे और विश्व विख्यात पुस्तक अन्नवादिरूस्सुलतानिया लिखी।
