मंगलवार - 6 अक्तूबर
1762, ब्रिटेन और स्पेन के बीच चल रहे सप्तवर्षीय युद्ध का अंत हुआ।
6 अक्तूबर सन 1768 ईसवी को रुस की ज़ारीना साम्राज्ञी कैथरिन द्वितीय ने अन्य देशों पर अधिकार करने के अभियान के अंतर्गत अपनी सेनाएं पोलैंड भेजीं जिसके बाद उस्मानी शासन ने रूस के साथ युद्ध की घोषणा कर दी। 18वीं शताब्दी में रूस और उस्मानी शासन के बीच कई युद्ध हुए किंतु पोलैंड पर अधिकार के लिए दोनों पक्षों की लड़ाई सबसे महत्वपूर्ण कही जा सकती है। इस युद्ध में आंतरिक समस्याओं के कारण उस्मानी शासन की थल तथा जल सेनाओं को पराजय का सामना हुआ यहॉ तक कि वर्ष 1774 में दोनों पक्षों के बीच युद्ध विराम के समझौते पर हस्ताक्षर हुए जिसके बाद यह लड़ाई समाप्त हो गयी।
6 अक्तूबर वर्ष 1896 को जनरल सर जेम्स एबोट का निधन हुआ वह एक ब्रिटिश सैनिक थे जो ब्रिटिश साम्राज्य के काल में भारत में तैनात थे। वे भारत के विभिन्न स्थानों पर तैनात रहे किन्तु उनकी यादगार सेवाएं भारत के पश्चिमोत्तरी सीमावर्ती क्षेत्रों में हैं जो उन्होंने उन्नीसवीं शताब्दी के मध्य अंजाम दी। वे हेनरी लारसन के सलाहकारों में से थे और उन्होंने ब्रिटिश सेना के सिखों के विरुद्ध युद्ध में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई और उसे सफलता दिलाई। लाहौर में हुए समझौते के तहत जो सिखों के विरुद्ध अंग्रेज़ों के प्रथम युद्ध के बाद हुआ था, हज़ारा और कश्मीर का क्षेत्र गुलाब सिंह के हवाले कर दिया गया। हज़ारा लाहौर के अंतर्गत रहा और जेम्स एबोट ने इसका नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया और केवल एक वर्ष के भीतर पूरी सरकार को अपने हाथ में ले लिया। पाकिस्तान का एब्टाबाद जो कि हज़ारा डिविजन का मुख्य स्थान है, उन्हीं के नाम पर है।
6 अक्तूबर सन 1973 ईसवी को अरबों और इस्राईल का चौथा युद्ध आरंभ हुआ। आज के दिन मिस्र की सेना ने स्वेज़ नहर के उस पार ज़ायोनी शासन की सेना पर अचानक आक्रमण कर दिया। इस युद्ध में मिस्र और सीरिया की सेनाओं ने ज़ायोनी शासन को भारी क्षति पहुँचाई। और ज़ायोनी शासन के कई युद्धक विमानों को मार गिराया किंतु अमरीका की त्वरित और व्यापक सहायता से इस्राईल को अत्याधुनिक हथियार मिल गये। इस प्रकार से अरबों की जीत पर पानी फिर गया। बाद में अमरीका और सोवियत संघ के हस्तक्षेप से यह युद्ध रुका और क्षेत्र के संकट के समाधान का दायित्व संयुक्त राष्ट्र संघ को सौंपा गया। इस युद्ध में इस्राईल के अजेय होने का दावा खोखला साबित हुआ।

6 अक्तूबर वर्ष 1977 को रूसी युद्धक विमान मैक्वियान मिग-29 ने पहली उड़ान भरी और यह अगस्त वर्ष 1983 में सोवियन वायु सेना का भाग बन गया। यह एक युद्धक विमान है जिसे सोवियत संघ ने तैयार किया। मैक्वियान डिज़ाइन ब्यूरो की ओर से वर्ष 1970 में तैयार किया गया यह विमान वर्ष 1983 में सोवियत संघ की सेना का भाग बना और अब भी रूस सहित दुनिया के कई देशों की वायु सेनाएं इसका प्रयोग करती है। मिग-29 और सुखोई-27 शीत युद्ध के दौरान अमरीका द्वारा तैयार किए गये एफ़-15 और एफ़-16 का मुक़ाबला करने के लिए बनाए गये थे। मिग-29 में एक पायलट बैठ सकता है और 2.25 मैक की रफ़्तार से उड़ने की क्षमता रखता है। समुद्र की सतह पर जब तापमान 15 डिग्री सेल्सियस हो तो एक मैक 340.3 मीटर प्रति सेकेन्ड, 1225 किलोमीटर प्रतिघंटा या 761.6 मील प्रतिघंटा होता है।
6 अक्तूबर सन 1981 ईसवी को मिस्र के तत्कालीन राष्ट्रपति अनवर सादात की कुछ सैनिक अधिकारियों ने हत्या कर दी। उन्हें वर्ष 1978 ईसवी में इस्राईल के साथ लज्जानक कैम्प डेविड समझौते पर हस्ताक्षर के कारण यह दंड दिया गया क्योंकि इस समझौते पर हस्ताक्षर से अतिग्रहणकारी अवैध ज़ायोनी शासन को औपचारिकता मिल गयी और मुसलमानों की भावनाओं को भारी धचका लगा तथा मिस्र अलग थलग पड़ गया। इसी कारण मिस्र के कुछ गुटों ने, जो इस्राईल के साथ संधि को सादात का विश्वासघात समझते थे, सादात की हत्या कर दी। उनकी हत्या की कार्रवाई में ख़ालिद इस्तांबूली नामक सैनिक अधिकारी आगे आगे रहे। उन्होंने परेड के दौरान सादात को गोली मार दी। इस हत्या के बाद 300 से अधिक लोगों को गिरफ़तार किया गया तथा ख़ालिद इस्तामबूली और उनके साथियों को एक सैनिक न्यायालय ने मृत्युदंड दे दिया।

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15 मेहर सन 1307 हिजरी शम्सी को ईरान के प्रसिद्ध चित्रकार और कवि सोहराब सेपहरी का जनम हुआ। वे ईरान के काशान नगर में जन्मे। उन्होंने अपनी कविताओं का पहला संकलन वर्ष 1330 में मर्गे रंग अर्थात रंग की मौत के नाम से प्रकाशित किया। उन्हें चित्रकारी से गहरा लगाव था। उनकी शायरी में बहुत ही सादे किंतु रोचक शब्दों का प्रयोग हुआ है। ईरान में उनके शेरों को विशेष महत्व प्राप्त है। वर्ष 1359 हिजरी शम्सी में उनका निधन हुआ। उन्हें उनकी मातृभूमि काशान में दफ़न किया गया।

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18 सफ़र सन 37 हिजरी क़मरी को पैग़म्बरे इस्लाम और हज़रत अली अलैहिमस्सलाम के श्रद्धालु उवैस क़रनी सिफ़्फ़ीन के युद्ध में शहीद हुए। उनका जन्म यमन के क़रन नामक क्षेत्र में हुआ। वह एक सदाचारी मनुष्य थे। उनको पैग़म्बरे इस्लाम से गहरी श्रद्धा थी किंतु वह अपनी बीमार माता की सेवा में व्यस्त रहने के कारण पैग़म्बरे इस्लाम के दर्शन को न जा सके किंतु पैग़म्बरे इस्लाम ने सदैव उवैस क़रनी की सराहना की।
