बुधवार- 7 अक्तूबर
1806, लंदन में कॉर्बन पेपर के आविष्कारक राल्फ़ वेजवूड ने उसे पेटेंट करवाया।
7 अक्तूबर वर्ष 2008 को जॉर्जिया की सेना ने अमरीकी सरकार की सहायता से इस देश के उत्तर में स्थित पृथकतावादी प्रांत दक्षिणी ओसेशिया पर आक्रमण कर दिया। इस आक्रमण में सैकड़ों आम नागरिक हताहत व घायल हुए। एक दिन बाद ओसेशिया के पृथकतावादियों के समर्थन में रूसी सैनिक मैदान में आ गए और उन्होंने जॉर्जिया की सेना को पीछे धकेल दिया तथा बातोमी की महत्वपूर्ण बंदरगाह पर नियंत्रण करके इस देश की राजधानी तिबलीसी तक पहुंच गए। अंततः फ़्रांस के राष्ट्रपति की मध्यस्थता से रूसी सैनिक बारह अगस्त को जॉर्जिया से बाहर निकले। इसी के साथ रूस ने ओसेशिया और अबख़ाज़िया जैसे पृथकतावादी क्षेत्रों की स्वाधीनता को औपरचारिक रूप से स्वीकार कर लिया। जॉर्जिया के विरुद्ध रूस की सैन्य कार्यवाही को पूर्व सोवियत संघ से पृथक होने वाले देशों की ओर नैटो के प्रसार के संबंध में पश्चिमी सरकारों विशेष कर अमरीका के लिए एक चेतावनी समझा गया।
7 अक्तूबर सन 1940 ईसवी को द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान एक व्यापक सैन्य कार्रवाई में रोमानिया जर्मनी के नियंत्रण में चला गया। इस प्रकार जर्मनी के लिए 22 जून सन 1941 को पूर्व सोवियत संघ पर आक्रमण का अवसर उपलब्ध हो गया। रोमानिया में राजशाही शासन व्यवस्था थी। यह देश जर्मनी के घटकों में था किंतु इस देश की भौगोलिक स्थिति और सोवियत संघ के पड़ोस में होने के कारण जर्मनी ने इस देश पर औपचारिक रुप से नियंत्रण कर लिया।
7 अक्तूबर सन 1949 ईसवी को पूर्वी जर्मनी, डेमोक्रेटिक सरकार के अस्तित्व में आने के साथ एक अलग देश बना। द्वितीय विश्व युद्ध के अंतिम महीनों में सोवियत संघ ने पूर्वी जर्मनी और पश्चिमी देशों ने पश्चिमी जर्मनी पर नियंत्रण कर लिया और दोनों पक्षों के कमांडरों की परिषद ने जर्मनी का प्रशासन संभाला किंतु थोड़ा ही समय बीता था कि सोवियत संघ और पश्चिमी देशों के बीच मतभेद उत्पन्न हो गये और वर्ष 1948 में सोवियत संघ इस परिषद से निकल गया। जिसके बाद पूर्वी और पश्चिमी जर्मनी एक दूसरे से अलग दो देश बन गये। जो वर्ष 1990 में पुन: एक हो गए।
7 अक्तूबर सन 1950 ईसवी को चीन में कम्युनिस्ट शासन की स्थापना के एक वर्ष बाद इस देश की सेना ने तिब्बत पर आक्रमण कर के उसे अपने नियंत्रण में कर लिया। यह देश पहले भी लंबे समय तक चीन के अधिकार में रहा था किंतु 19वीं शताब्दी के अंतिम वर्षों में ब्रिटेन ने इस देश पर अधिकार कर लिया, जिसके बाद चीन ने दोबारा उसे छीन लिया किंतु दलाई लामा के नेतृत्व में तिब्बत की जनता ने चीन का विरोध आरंभ कर दिया जिसे वर्ष 1959 में चीनी सेना ने कुचल दिया और दलाई लामा को देशनिकाला दे दिया। दलाई लामा जिन्हें पश्चिम का समर्थन प्राप्त है निरंतर चीन का विरोध कर रहे हैं। तिब्बत समुद्र तल से बहुत उँचाई पर स्थित होने के कारण विश्व की छत कहलाता है। यह चीन में एक स्वायत्त क्षेत्र के रुप में है।
7 अक्तूबर सन 2001 को अमरीका ने अफ़ग़ानिस्तान के विरुद्ध सैन्य अतिक्रमण आरंभ किया। यह कार्यवाही अलक़ायदा गुट का दमन करने के बहाने आरंभ हुई जिसपर वाशिंगटन ने न्यूयार्क में 11 सितम्बर की आतंकवादी घटना का आरोप लगाया था। अमरीकी युद्धक विमानों ने तालेबान के ठिकानों पर आक्रमण किया जिनके अधिकार में अफ़ग़ानिस्तान का अधिकांश भाग था जो अलक़ायदा का समर्थन कर रहे थे। अमरीका के इस आक्रमण में भारी संख्या में निर्दोष लोग मारे गये।
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16 मेहर सन 1304 हिजरी शम्सी को ईरान में अत्याचारी शासक रज़ाखान पहलवी की तानाशाही का निरंतर विरोध करने के कारण मुसलमान धर्म गुरु और संघर्षकर्ता आयतुल्ला सैयद हसन मुदर्रिस के घर पर शाह के सुरक्षा बलों ने आक्रमण किया और उन्हें यातनाएं देकर तेहरान स्थित उनके घर से बाहर निकाल दिया। इसी प्रकार उनके परिवार वालों और संबंधियों को गिरफ़तार कर लिया। इसके कुछ समय बाद आयतुल्ला मुदर्रिस को ईरान के पूर्वोत्तरी नगर काश्मर की ओर निर्वासित कर दिया गया। इसी शहर में वर्ष 1316 हिजरी शम्सी में शाह के कारिंदों ने उन्हें विष देकर शहीद कर दिया।
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19 सफर सन 171 हिजरी क़मारी को ईरान खगोल शास्त्री अबू माशर बलख़ी का जन्म हुआ। उन्होंने खगोल शास्त्र के अपने गहरे के कारण ईरान से इराक़ की यात्रा की और वहां बग़दाद जाकर खगोल शास्त्र की शिक्षा लेनी आरंभ कर दी। उन्होंने इस विषय की विभिन्न भाषाओं जैसे अरबी, फार्सी हिंदी, यूनानी सरयानी आदी में लिखी गयी पुस्तकों से लाभ उठया। यहां तक कि वे अपने समय के विख्यात खगोल शास्त्रियों में गिने जाने लगे। उनके खोज कार्य उनकी मृत्यु के वर्षों तक इस्लामी जगत और पश्चिमी देशों में लाभ का स्रोत रहे। अलमदख़ल कबीर और अलमवालीदुस्सगीरा उनकी मुख्य पुस्तकों में हैं।
19 सफ़र वर्ष 1383 हिजरी क़मरी को प्रसिद्ध धर्मगुरू और उपदेशक सैयद मुर्तज़ा लंगरूदी का स्वर्गवास हो गया। वह वर्ष 1306 हिजरी क़मरी को ईरान के उत्तर में स्थित लंगरूद नगर में पैदा हुए थे। वह युवावस्था में शिक्षा के लिए क़ज़वीन गये। आयतुल्लाह लंगरूदी ने उसके बाद तेहरान में आयतुल्लाह तुनेकाबुनी जैसे महान धर्मगरूओं से शिक्षा प्राप्त की । वह वर्ष 1338 हिजरी क़मरी को इराक़ के नजफ़ नगर की यात्रा की और वर्षों तक आयतुल्लाह नाईनी जैसे प्रतिष्ठित धर्मगुरूओं से शिक्षा प्राप्त की और इस्लाम धर्म के वरिष्ठ धर्मगुरू बने और साथ ही वह इराक़ के धार्मिक शिक्षा केन्द्र में शिक्षा भी देने लगे। उन्होंने शिक्षा देने के साथ साथ बहुत ही पुस्तकें भी लिखी हैं।