शुक्रवार - 9 अक्तूबर
9 अकतूबर सन 1876 को पहली बार टेलीफोन पर आउट वायर के जरिए दो तरफा बातचीत हुई थी।
9 अक्तूबर सन 1547 ईसवी को स्पेन के लेखक मिगेल सेरवान्तेस का जन्म हुआ। वे युवाकाल में वे स्पेन की नौसेना में भर्ती हो गए। इस प्रकार बहुत सी समुद्री यात्राएं कीं। धीरे धीरे साहित्य में उनकी रुचि बढ़ती गई। अंतत: वे डॉन किशोट नामक महत्वपूर्ण साहित्यिक पुस्तक लिखने में सफल हुए।
9 अक्तूबर सन 1708 ईसवी को स्वीडन और रूस की विश्व विख्यात लड़ाई जिसे डिनाइपर के नाम से जाना जाता है स्वीडन की पराजय के साथ समाप्त हुई। यह युद्ध इसी वर्ष के जनवरी महीने में रूस पर स्वीडन के आक्रमण के साथ आरंभ हुआ। इस लड़ाई के दौरान स्वीडन की सेना के बहुत सारे जवान रसद न पहुँचने के कारण मारे गये। इस युद्ध के बाद वर्ष 1709 में स्वीडन को रूस से दोबारा भारी पराजय हुई। और स्वीडन के जीवित बचे सैनिक भागकर उस्मानी सेना से जा मिले।
9 अक्तूबर सन् 1962 ईसवी को युगांडा ब्रिटेन से स्वाधीन होने में सफल हुआ। इस लिए इस दिन को इस देश का राष्ट्रीय दिवस घोषित किया गया है। वर्ष 1890 में युगांडा, ब्रिटेन की अफ़्रीक़ी कम्पनियों के नियंत्रण में आ गया और कुछ ही समय बाद इसे औपचारिक रुप से ब्रिटेन का उपनिवेश घोषित कर दिया गया। जिसके बाद इस देश में ब्रिटेन के विरुद्ध विद्रोह तेज़ हो गया जो वर्ष 1962 में युगांडा की स्वाधीनता के बाद रुका। इस देश में प्रजातांत्रिक शासन व्यवस्था है। इसका क्षेत्रफल 2 लाख 35 हज़ार 880 वर्ग किलोमीटर है। यह अफ़्रीक़ा महाद्वीप का देश है। इसके पड़ोसी देशों में सूडान, केनिया, तनज़ानिया, रवांडा और कोंगो हैं।

9 अक्तूबर सन् 1967 ईसवी को लैटिन अमरीका के प्रसिद्ध क्रांतिकारी एर्नेस्तो चे ग्वारा को उनके कुछ साथियों के साथ मृत्युदड दे दिया गया। चे ग्वारा का जन्म सन् 1928 में अर्जेंटीइना में हुआ था। अमरीका द्वारा लैटिन अमरीकी राष्ट्रों के शोषण से उत्पन्न होने वाले भेदभाव और दरिद्रता को उन्होंने देखा तो साम्रज्यवाद विरोधी विचारधारा उनके मन में बस गयी। मेक्सिको में वे फ़ीडेल कास्त्रो से परिचित हुए और इन दोनों ने सफ़लता मिलने तक क्यूबा की क्रान्ति का नेतृत्व किया। क्यूबा की क्रान्ति की सफलता के बाद चे ग्वारा 1959 में बोलीविया चले गये और वहॉ एक छापामार गुट बनाकर इस देश में अमरीका की पिटठू सरकार के विरुद्ध संघर्ष में लग गये किंतु वर्ष 1967 में आज ही के दिन सी आई ए की सहायता से बोलीविया के सैनिकों ने चे ग्वारा को उनके गुप्त ठिकाने से ढूँढ कर मार दिया।

9 अक्तूबर सन् 1981 ईसवी को फ़िलिस्तीन के एक नेता माजिद अबू शरार की ज़ायोनी शासन ने इटली में हत्या कर दी। वे फिलिस्तीन के स्वतंत्रता संगठन पी एल ओ के प्रचारिक विभाग के प्रमुख थे। ज़ायोनी शासन की गुप्तचर सेवा मोसाद ने उन्हें इटली के रोम नगर में मार दिया। उल्लेखनीय है कि फ़िलिसतीन के अंदर और बाहर फ़िलिस्तीनी नेताओं की हत्या फ़िलिस्तीनियों के दमन हेतु ज़ायोनी शासन की मुख्य नीति है।

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18 मेहर सन 1350 हिजरी शम्सी को सुल्तानुलवाएज़ीन सैयद मुहम्मद शीराज़ी का निधन हुआ। वे वर्ष 1275 हिजरी शम्सी में तेहरान में पैदा हुए। उन्होंने आरंभिक शिक्षा तेहरान में ग्रहण की और इसके बाद वे अपने पिता के साथ इराक़ चले गए और कर्बला में कई वर्षों तक शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद धर्म का प्रचार आरम्भ किया। उन्होंने फ़िलिस्तीन, जार्डन, मिस्र, भारत और पाकिस्तान की यात्रा की और यहूदियों तथा ईसाइयों के अतिरिक्त सुन्नी धर्मगुरुओं से शास्त्रार्थ किये, पकिस्तान के पेशावर नगर में सुन्नी धर्मगुरुओं के साथ उन का शास्त्रार्थ बहुत प्रसिद्ध है जो दस रातों तक जारी रहा और हर रात आठ घण्टे से अधिक चर्चाएं होती रहीं इस शास्त्रार्थ की घटना को उस समय के समाचारपत्रों ने प्रतिदिन विस्तृत ढंग से प्रकाशित किया, इस के अतिरिक्त यह शास्त्रार्थ फ़ार्सी भाषा में शबहाए पिशावर के नाम से प्रकाशित हुआ। इस का उर्दू रुपांतर ख़ुरशीदे ख़ावर के नाम से प्रकाशित हो चुका है।
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21 सफ़र सन 1051 हिजरी क़मरी को मुस्लिम विद्वान शैख़ बहाई की पुस्तक मिफ़ताहुल फ़लाह पूरी हुई। यह पुस्तक क़फ़क़ाज़ के गन्जे नगर में संकलित की गयी और सदराए तबरेज़ी नामक ईरानी विद्वान ने पहली बार इस पुस्तक का फ़ार्सी भाषा में अनुवाद किया और अनुवाद हो जाने के पश्चात इसका नाम आदाबे अब्बासी रखा।
यह पुस्तक प्रतिदिन की दुआओं पर आधारित है। 1317 हिजरी क़मरी में यह पुस्तक ईरान में और फिर मिस्र में प्रकाशित हुई।