मंगलवार- 13 अक्तूबर
13 अक्तूबर 539 वर्ष ईसापूर्व को ईरान में हख़ामनेशी शासन श्रंखला की स्थापना करने वाले शासक कोरूश ने एतिहासिक नगर बाबिल पर विजय प्राप्त की।
बाबिल पर क़ब्ज़ा करने के लिए कोरूश ने आदेश दिया कि दजला नदी के बहाव का मार्ग बदल दिया जाए जो नगर के बीच से बहती थी। नदी का मार्ग बदल दिया गया तथा पुराने मार्ग से सैनिक नगर के भीतर पहुंच गए और नगर पर उनका क़ब्ज़ा हो गया। यह नगर उस समय क्षेत्र का बहुत महत्वपूर्ण नगर समझा जाता था।
13 अक्तूबर सन 1882 ईसवी को फ़्रांसीसी लेखक जोज़फ़ आर्थर गोबीनियो का निधन हुआ। वह वर्ष 1916 में पेरिस में जन्मे। वह कुछ समय तक ईरान में फ़्रांस के राजदूत के रूप में तैनात रहे और इस अवधि में उन्होंने फ़ारसी और अरबी भाषाएं सीखीं। उनका मानना था कि गोरे लोग दूसरो से श्रेष्ठ हैं। उन्होंने अपनी दो पुस्तकों में इस अपने इस विचार को प्रमाणित करने का प्रयास किया है। ईरान का इतिहास और एशिया में तीन वर्ष उनकी महत्वपूर्ण पुस्तकों में हैं।
13 अक्तूबर सन 1944 ईसवी को दूसरे विश्व युद्ध के दौरान पूर्व योगोस्लाविया की राजधानी बेलग्राड पर टीटो के नेतृत्व में और पूर्व सोवियत संघ की लाल सेना के समर्थन से योगोस्लाविया के राष्ट्रवादियों का नियंत्रण हो गया और यह क्षेत्र जर्मनी के नियंत्रण से निकल गया। इस नगर पर 1941 में जर्मनी का अधिकार हो गया था।
13 अक्तूबर वर्ष 1900 को पाकिस्तान से संबंध रखने वाले ऊर्दू भाषा के प्रसिद्ध साहिथकार और ड्रामा लेखक इमतियाज़ अली ताज का लाहौर में जन्म हुआ। उनके पिता का संबंध भारत के सहारनपुर ज़िले के देवबंद से था। ड्रामा लिखने का शौक़ कालेज में पैदा हुआ। उन्होंने ड्रामा लेखन की कला में इतनी प्रगति की कि केवल बाईस वर्ष की आयु में अनार कली नामक ड्रामा लिखा जो ऊर्दू ड्रामे के इतिहास में मील का पत्थर समझा जाता है। उसके बाद उन्होंने बच्चों के लिए कई पुस्तकें लिखीं।
कई ड्रामे स्टेज, फ़िल्म और रेडियो के लिए लिखे। इसी के साथ उन्होंने बहुत से अंग्रेज़ी और फ़्रांसीसी भाषा के ड्रामों का अनुवाद किया और स्थानीय वातावरण के अनुसार ढाला। उन्हें पाकिस्तान सरकार सितारये इतियाज़ और ड्रामे के राष्ट्रपति सम्मान से सम्मानित किया ।
13 अक्तूबर वर्ष 1925 को ब्रिटेन की राजनेता और प्रधानमंत्री मार्गेट हिल्डा थैचर का ग्रांथम लिंकन शायर में जन्म हुआ। उन्होंने आक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त की। उसके बाद क़ानून की शिक्षा प्राप्त की और वर्ष 1952 से 1957 तक वकालत के पेश से जुड़ी रहीं। वर्ष 1979 में पार्टी के विजयी होने के बाद वे प्रधानमंत्री बनी और वर्ष 1990 तक इस पद पर रहीं। वह ब्रिटेन की पहली महिला थीं जो इस पद पर असीन हुईं। वे लार्ड सालेस्बेरी के बाद सबसे अधिक समय तक सत्ता में रहीं। अर्थात वे बीसवीं शताब्दी में सबसे अधिक समय तक ब्रिटेन की प्रधानमंत्री रहीं। वे ब्रिटेन में किसी महत्वपूर्ण पार्टी का नेतृत्व करने वाली पहली महिला थीं और देश की पहली महिला थीं जो चार महत्त्वपूर्ण पदों पर असीन रही। वे सोवियत संघ की कड़ी आलोचना करती थीं और वर्ष 1976 में सोवियत नेतृत्व के विरुद्ध एक जोशीले भाषण के बाद उन्हें लौह महिला की उपाधि दी गयी।
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22 मेहर 1374 हिजरी शम्सी को वरिष्ठ धर्मगुरु आयतुल्लाह मोहम्मद बाक़िर मोहसिनी मलायरी का 89 साल की उम्र में निधन हुआ। वे 1285 हिजरी शम्सी में पवित्र नगर नजफ़ में एक शिक्षित परिवार में पैदा हुए। वे बचपन में अपने पिता के साथ मलायर गए और वहां पर आरंभिक शिक्षा लेने के बाद पवित्र नगर मशहद के धार्मिक केन्द्र गए।
आयतुल्लाह मोहसिनी पवित्र नगर क़ुम में धारमिक केन्द्र की स्थापना होते ही क़ुम नगर चले गए और वहां पर उन्होंने आयतुल्लाह शैख़ अब्दुल करीम हायरी यज़्दी और फिर आयतुल्लाह सय्यद हुसैन बुरुजर्दी जैसे बड़े धर्मगुरुओं से शिक्षा हासिल की। वे इस्लामी ज्ञात की विभिन्न शाख़ाओं में दक्ष थे।
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25 सफ़र सन 1340 हिजरी क़मरी को अहमद रज़ा शाह बरेलवी का निधन हुआ। उन्होंने बहुत सी पुस्तकें लिखीं जिनमें 12 बारह खण्डों पर आधारित उनकी विख्यात पुस्तक फ़तावाये रिज़विया का उल्लेख किया जा सकता है। अहमद रजा शाह ने बरेली नगर में एक धार्मिक संस्थान खोला जो "जामेए मंज़रूल इस्लाम के नाम से जाना जाता है। अहमद रजा शाह बरेलवी पर उनके विरोधियों का आरोप है कि उन्होंने इस्लाम में एक नए पंथ की आधारशिला रखी जो उचित बात नहीं है।