रविवार- 25 अक्तूबर
1924, भारत में ब्रिटिश अधिकारियों ने सुभाषचंद्र बोस को गिरफ्तार कर 2 साल के लिए जेल भेज दिया।
25 अक्तूबर सन 1711 ईसवी को इटली के दो प्राचीन ऐतिहासिक नगरों पॉम्पी तथा हरकुलेनम के अवशेषों का एक ग्रामवासी ने पता लगाया। पॉम्पी नगर 6 शताब्दी ईसापूर्व के आरंभ में बसाया गया जो पहली शताब्दी ईसवी तक बहुत महत्वपूर्ण बंदरगाह माना जाता था पॉम्पी और हरकुलेनम नगर वर्ष 79 ईसवी में एक ज्वालामुखी के लावे के नीचे दब कर समाप्त हो गए थे। इन नगरों के अवशेष मिलने के बाद पुरातनविदों ने खुदाई करके इन नगरों को भूगर्भ से बाहर निकाला।
25 अक्तूबर सन 1881 ईसवी को स्पेन के पैब्लो पीकासो नामक चित्रकार का जन्म हुआ। उन्होंने चित्रकारी में क्यूबिज़्म नामक नई शैली का आविष्कार किया। उनकी यह शैली बहुत तीव्र गति से फ़्रांसीसी कलाकारों के मध्य भी लोकप्रिय हो गई। उनकी कई कलाकृतियों को विश्व ख्याति प्राप्त हुई। उन्होंने अपनी कलाकृति गोयरनीको में स्पेन के गृह युद्ध में गोयरनीका नगर पर बम्बारी के कारण उत्पन्न होने वाले भय और आंतक को प्रतिबिंबित किया है। यह कलाकृति बहुत अधिक विख्यात हुई। वर्ष 1973 में पीकासो का निधन हुआ।

25 अक्तूबर सन 1917 ईसवी को रुस की ज़ार सरकार के विरुद्ध जनता के लम्बे संघर्ष के बाद कम्युनिस्ट विचारधारा के लोग सत्ता में पहुँचे। रूसी जनता ने ज़ार शासकों के अत्याचारों और अन्याय से ऊब कर विद्रोह आरंभ कर दिया था। यह व्रिदोह धीरे धीरे समस्त वंचित वर्गों विशेषकर मज़दूरों और किसानों में फैल गया और अंतत: कम्युनिस्टों ने सरकारी संस्थानों पर क़ब्ज़ा करके सत्ता अपने हाथ में ले ली। उल्लेखनीय है कि सोवियत संघ में कम्युनिस्टों की विजय के सात दशकों के उपरांत 90 के दशक में इस देश में कम्युनिस्ट व्यवस्था का अंत हो गया तथा रूस के अधीन समस्त गणराज्य स्वतंत्र हो गए।

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8 रबीउल औवल सन 260 हिजरी क़मरी को पैग़म्बरे इस्लाम के पौत्र हज़रत इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम इराक़ के सामर्रा नगर में शहीद हुए।
वे सन 232 हिजरी क़मरी में मदीना नगर में जन्मे। उनके पिता हज़रत इमाम अली नक़ी अलैहिस्सलाम थे जो समस्त मानवीय विशेषताओं और ईश्वरीय विभूतियों के स्वामी थे। उनकी माता भी एक विद्वान महिला थीं।
अपने पिता इमाम अली नक़ी अलैहिस्सलाम की शहादत के बाद इमाम हसन असक़री अलैहिस्सलाम ने इमामत अर्थात समाज के मार्गदर्शन का ईश्वरीय दायित्व संभाला। उन्हें इस मार्ग में बहुत सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा विशेषकर उस समय जब उनके पुत्र इमाम मेहदी का जन्म हुआ क्योंकि तत्कालीन अब्बासी शासकों ने इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम के घर पर कड़ा पहरा लगा दिया था ताकि इमाम मेहदी अलैहिस्सलाम को जिनके बारे में पैग़म्बरे इस्लाम ने पहले ही शुभसूना दे दी थी कि वे विश्व में अत्याचार को मिटाकर न्याय की स्थापना करने वाले होंगे जन्म लेते ही शहीद कर दें किंतु इमाम मेहदी अलैहिस्सलाम ईश्वर की कृपा और इच्छा से जन्में और अपने पिता इमाम हसन अलैहिस्सलाम की शहादत के बाद उन्होंने इमामत का दायित्व संभाला।
वे आज भी जीवित हैं किंतु लोगों की नज़रों से दूर ईश्वर की आज्ञा पाकर वे प्रकट होंगे और पूरे विश्व को न्याय से भर देंगे।
