Nov ०६, २०१६ १३:५९ Asia/Kolkata

तेहरान के इतिहासिक आकर्षणों के मध्य कुछ इतिहासिक इमारतें हैं जो विशेष महत्व रखती हैं और उन्होंने इस नगर को विशेष महत्व व सुन्दरता प्रदान कर दी है।

यद्यपि इनमें से कुछ की अभी तक न तो सही तरह से पहचान हो सकी है और न ही ईरान की सांस्कृतिक धरोहर के रूप में उनका पंजीकरण हुआ है परंतु कुछ का नाम ईरान की सांस्कृतिक धरोहर के रूप में पंजीकृत किया गया है और साथ ही इन इमारतों का प्रयोग भी अब बदल गया है। उदाहरण स्वरूप मुक़द्दम इमारत।

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तेहरान विश्व विद्यालय की एक इमारत का नाम मुकद्दम संग्रहालय है। वास्तव में यह   संग्रहालय क़ाजारी दौर के भव्य व सुन्दर मकानों में से है। इस मकान का संबंध मोहम्मद तक़ी खान एहतेसाबुल मुल्क से है। एहतेसाबुल मुल्क नासिरुद्दीन शाह काजार के काल में तेहरान के मेयर थे। उनके छोटे बेटे मोहसिन मुकद्दम थे जो कला, कला का इतिहास और पुरातन पहचान के संबंध में वर्ष 1936 में अपनी शिक्षा पूरी करके फ्रांस से स्वदेश लौट आये और अपनी फ्रेंच पत्नी के साथ पिता के मकान में रहने लगे जिसे इस समय मुकद्दम संग्रहालय के नाम से जाना जाता है। मोहसिन मुकद्दम उस्ताद कमालुल मुल्क के शिष्य और आरंभिक ईरानी पुरातन वेत्ताओं में से थे और वह पुरातन वेत्ताओं के साथ मिलकर इतिहासिक स्थलों के बारे में काम करते थे। इसी प्रकार वह तेहरान विश्व विद्यालय में कला फैकल्टी की बुनियाद रखने वाले और इस विश्व विद्यालय के एक बहुत अच्छे प्रध्यापक थे और तेहरान विद्यालय के प्रवेश द्वार पर अब भी जो निशानी बाक़ी है उसकी डिजाइन्ग उस्ताद मोहसिन मुकद्दम ने ईरान के इतिहास और प्राचीन संस्कृति से प्रेरणा लेकर की थी।

मोहसिन मुकद्दम और उनकी पत्नी सुलमा ईरान के राष्ट्रीय संग्रहालय और पुस्तकालय में काम करते थे। इसके साथ ही उन्होंने ईरान की इतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों को सुरक्षित करने के उद्देश्य से बहुत सी मूल्यवान वस्तुओं को एकत्रित किया। उस्ताद मुक़द्दम ने जिन बहुत सी मूल्यवान वस्तुओं को इकट्ठा किया है उनमें सुन्दर टाइल्स और तराशे हुए सुन्दर पत्थर के टुकड़े आदि हैं जिसे उन्होंने ईरान के इतिहास और परम्परा से प्रेरणा लेकर इस पुरानी इमारत के विभिन्न भागों में सजाया है जबकि कुछ को इस इमारत के कुछ भागों में रख रखा है। जिन चीज़ों को उस्ताद मोहसिन मुकद्दम ने इकट्ठा किया है उनमें से कुछ इस प्रकार हैं जैसे कपड़े का कलेक्शन, पारंपरिक व विशेष प्रकार की चिलम, हुक्का, मिट्टी के बर्तन, शीशा, चित्रकारी किये हुए पोस्टर, सिक्के, मुहर और इतिहासिक दस्तावेज़ हैं।

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मुकद्दम संग्रहालय की एक स्पष्ट विशेषता यह है कि उसमें जो चीज़ें रखी गयी हैं उस भाग को अपेक्षाकृत उसी काल की वस्तुओं की तरह सजाया गया है। मुकद्दम संग्रहालय का क्षेत्रफल 2117 वर्गमीटर है और उसमें तीन भाग हैं और हर भाग में कई चीज़ें हैं।

मुकद्दम संग्रहालय का एक भाग बाहरी इमारत है जो बाहरी प्रांगण के दक्षिणी कोण पर है और उसमें कई चीज़ें हैं जिनमें से एक मेहमानों का स्वागत कक्ष है और यह इमारत के दक्षिणी कोण पर है और यहां पर शैक्षिक कार्यों के अतिरिक्त मेहमानों का स्वागत भी किया जाता था। इस समय इस बात की कोशिश की गयी है कि इस भाग में मुकद्दम संग्रहालय की उन चीज़ों को रखा जाये जो विभिन्न कालों में ईरान की विभिन्न संस्कृतियों की सूचक हैं। जैसे मिट्टी के बर्तन, पत्थर के औज़ार, शीशे, मुहर, मुहर के चिन्ह, धातु की वस्तुओं आदि को इस भाग में रखा गया है।

वर्तमान समय में जो कांउटर है उसके एक भाग को उस्ताद मोहसिन मुकद्दम के परिचय से विशेष किया गया है जबकि उस्ताद मोहसिन मुकद्दम के जीवन काल में इसका प्रयोग स्वागत कक्ष के रूप में होता था। इस समय इस भाग को मोहसिन मुकद्दम के परिचय से विषय किया गया है और फ्रेम के रूप में उस्ताद मोहसिन मुकद्दम की शैक्षिक गतिविधियों, उनकी व्यक्तिगत चीज़ों, रसोइघर की वस्तुओं और लकड़ी की वस्तुओं आदि को रखा गया है।

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एहतेसाबुल मुल्क ने जिस समय इस इमारत का निर्माण करवाया था उसी समय मुज़फ्फरूद्दीन काजार के काल का हौज़ भी है जिसे उस्ताद मोहसिन मुकद्दम ने चौथी हिजरी क़मरी से लेकर तेरहवीं हिजरी क़मरी तक मिट्टी के बर्तनों के टुकड़ों और दूसरी मूल्यवान वस्तुओं से सजाया है और यह चीज़ ईरान में मिट्टी के बर्तन और टाइल्स उद्योग में आने वाले परिवर्तन की प्रक्रिया को बयान करती है।

मोहसिन मुकद्दम संग्रहालय का जो पुस्तकालय है वह वास्तव में मोहसिन मुकद्दम का फोटो स्टूडियो था जिसका निर्माण वर्ष 1958 में किया गया था। इस समय इस स्थान पर शोधकर्ताओं और सार्वजनिक प्रयोग के लिए डाक्टर मोहसिन मुकद्दम की पुस्तकों और पुरातन तथा कला से संबंधित दूसरी किताबों की सुरक्षा की जा रही है और यह स्थान पुस्तकाल में परिवर्तित हो गया है।

मोहसिन मुकद्दम संग्रहालय की एक इमारत का नाम अरबाबी है और इसका निर्माण वर्ष 1966 में मोहसिन मुकद्दम के जीवन काल में डाक्टर अबुल कासिम की सहायता से किया गया था। डाक्टर अबुल कासिम तेहरान विश्व विद्यालय में कला फैकल्टी में उस्ताद मोहसिन मुकद्दम के शिष्य थे और इस इमारत को यूरोप के मध्ययुगीन काल के दुर्गों की भांति बनाया गया है। डाक्टर मोहसिन मुकद्दम का प्रयास यह था कि इस स्थान पर ईरानी जनता के कला के एक भाग को प्रदर्शित किया जाये। इस इमारत में विभिन्न भाग हैं जैसे छोटा हम्माम, धूम्रपान और भूमिगत कक्ष और इन सब को काजारी काल की टाइलों आदि से सुसज्जित किया गया है।

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डाक्टर मोहसिन मुकद्दम ने अरबाबी इमारत के उत्तरी कोण में एक दालान का निर्माण किया है और उसमें कई स्तंभ और ताक़ हैं। इस दालान को ज़ंदिया और काजारी काल की टाइलों से सजाया गया है और यह ऐव्वाने काजार के नाम से प्रख्यात है। इस दालान के बीच में मरमर पत्थर का बना हुआ एक छोटा हौज है जिसका संबंध फतह अली शाह के हम्माम से है और उसका पानी एक पतली नाली से होकर हौज़ में गिरता है। यह हौज़ बाहरी प्रांगण के उत्तरी किनारे पर स्थित है। 1335 हिजरी शमसी में दिवंगत डाक्टर मोहसिन मुकद्दम स्पेन गये थे वहां उन्होंने हमरा बाग़ के हौज़ और फव्वारे को देखा था जिसकी नकल उन्होंने तेहरान के अरबाबी दालान में किया।

मोहसिन मुकद्दम के मकान के पश्चिमी कोण के अंत में एक छोटी फुलवारी भी है जिसकी दीवारों को बहुत ही अच्छी और चिकनी टाइलों और तराशे हुए सुन्दर पत्थरों से सजाया गया है।

भीतरी और बाहरी जो दो प्रांगण हैं उनकी दीवारों में कई घुमावदार स्तंभ हैं और इन स्तंभों में कुछ ताक़ हैं जिन्हें टाइलों से सजाया गया है और इन स्तंभों के आधार को तराश कर बनाया गया है और ये स्तंभ इस्फहान नगर में चेहल सुतून भवन में लगे स्तंभों की भांति एक दूसरे से अलग होते हैं। नासिरुद्दीन शाह की बहन का महल जब गिरायागया तो डाक्टर मोहसिन मुकद्दम ने उसके स्तंभों को इस स्थान पर स्थानांतरित कर दिया। इस दीवार का तजद्दुद नाम है और इसकी डिजाइंग और इसका निर्माण इंजीनियर हूशंग सीहून ने किया है।

मोहसिन मुकद्दम इमारत का जब निर्माण हुआ था तभी से इसके भूमिगत भाग का प्रयोग हम्माम और स्टोर के रूप में होता था और जब डाक्टर मोहसिन मुकद्दम ज़िन्दा थे तभी इसकी उपयोगिकता भी समाप्त हो गयी और उसका प्रयोग केवल स्टोर रुम के रूप में होने लगा। इस समय इस स्थान की मरम्मत कर दी गयी और अब उसका प्रयोग संग्रहालय की इतिहासिक धरोहरों को रखने के लिए होता है।

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इमारत का जो आंतरिक भाग है उसमें सहियों के लिए एक कमरा बनाया गया था जिसे ओताके काजार अर्थात काजार कक्ष कहते हैं। डाक्टर मोहसिन मुकद्दम ने इस स्थान को ज़न्दिया और काजारी काल की मूल्यवान धरोहरों से सजाया है। जैसे इस्फहान के पेरिस आफ प्लास्टर के कार्य और फीरोज़ा महल के फायर प्लेस इसी प्रकार डाक्टर मोहसिन मुकद्दम ने इस स्थान को नासिरुद्दीन शाह की दासी के महल में मौजूद मूल्यवान वस्तुओं और दूसरी चीज़ों से सजाया है और इसी कारण उसे ओताक़े काजार अर्थात काजार कक्ष कहते हैं। इस समय भी इस कमरे में काजारी और पहलवी काल की वस्तुओं को प्रदर्शित किया गया है।

 दालान का जो बाहरी रूप है उसे ईरानी चूनाकारी से सजाया गया है और प्रांगण में दो घुमावदार सीढ़ियां हैं जिनके माध्यम से इस दालान तक पहुंचा जा सकता है और यह दालान अभी भी अपने पुराने रूप में बाक़ी है। डाक्टर मोहसिन मुकद्दम ने इस स्थान की सजावट में सफवी, काजारी ,ज़ंदिया और पहलवी काल की टाइलों और इंटों का प्रयोग किया है।

इस इमारत में जो बैठक है वह डाक्टर मोहसिन मुकद्दम और उनकी पत्नी के रहने का अस्ली स्थान था। वहां पर कुछ कलमदान, कला कृतियां बनाने के उपकरण और डाक्टर मोहसिन मुकद्दम द्वारा बनाई गयी कला कृतियां हैं। इमारत के पूर्वी कोण की दीवार इस प्रकार की है कि वहां से संग्रहालय की पुरानी तस्वीरें दिखाई देती हैं। डाक्टर मोहसिन मुकद्दम ने इस दीवार को विभिन्न चरणों में टाइलों और काजारी काल के सुन्दर बर्तनों से सजाया है। इसी प्रकार डाक्टर मोहसिन मुकद्दम ने इस दीवार के मध्य में सुन्दर ताक बनाये हैं। इसी प्रकार डाक्टर मोहसिन मुकद्दम और उनकी पत्नी ने प्रांगण का निर्माण सफवी और काजारी काल के फर्शों से प्रेरणा लेकर बनाया है और उसके बीच में पानी का हौज़ और उसके किनारे एक छोटा सा बगीचा भी है।

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इमारत का एक भाग नौकरों के लिए है। आरंभ में इस स्थान का प्रयोग नौकरों के रहने और रसोईघर के रूप में होता था। संग्रहालय का यह भाग उसके दक्षिण पूर्वी कोण में स्थित है और सीमा से अधिक पुराना होने के कारण थोड़े परिवर्तन के साथ उसकी मरम्मत व पुनर्निर्माण कर दिया गया और इस समय संग्रहालय के कार्यालय के रूप में इसका प्रयोग होता है।

डाक्टर मोहसिन मुकद्दम संग्रहालय की दीवारों को सुन्दर टाइलों से सजाने के साथ- साथ एक छोटा कमरा है, जो तहख़ाने तक जाने का प्रवेश द्वार है और उस भूमिगत भाग की समस्त दीवारों को मूल्यवान पत्थरों और सीपी आदि से सजाया गया है। इस भव्य इमारत में सुनहरी एवं मूल्यवान टाइलों को देखा जा सकता है जिनकी सुरक्षा के लिए डाक्टर मोहसिन मुकद्दम ने दीवार में उचित स्थान को दृष्टि में रखा है ताकि उन्हें कोई क्षति न पहुंचे। इनमें से कुछ टाइलें दुनिया में अद्वितीय हैं।

उस्ताद मोहसिन मुकद्दम ने  वर्ष 1972 में अपने पैतृक मकान और जो कुछ मूल्यवान वस्तुएं उसमें मौजूद हैं उन सबको सबसे पहले तेहरान विश्व विद्यालय और बाद में सार्वजनिक लाभ के लिए वक्फ कर दिया ताकि पुरातन, संस्कृतिक और कला के क्षेत्र में शोध व अध्ययन करने वाले सब उससे लाभ उठा सकें। वर्ष 1987 में उस्ताद मोहसिन मुकद्दम का निधन हो गया और उसके बाद वर्ष 1990 में उनकी पत्नी का निधन हो जाने के बाद संग्रहालय की देखभाल और उसके चलाने की ज़िम्मेदारी सीधे रूप से तेहरान विश्व विद्यालय के हवाले कर दी गयी। अगस्त वर्ष 2009 को इस संग्रहालय में मरम्मत का कार्य पूरा हो जाने के बाद इसे सबके लिए खोल दिया गया और अब इससे सब लाभ उठा सकते हैं।

ईरानी मामलों के अमेरिकी विशेषज्ञ व इतिहासकार आर्थर  अफम पोप ने 50-60 दशक में ईरानी कलाओं की समीक्षा करते हुए उस्ताद मोहसिन मुकद्दम संग्रहालय को दुनिया का सबसे कीमती मकान बताया। अभी भी उस्ताद मोहसिन मुकद्दम का मकान ईरान और विश्व में अद्वितीय है। 20 आज़र 1379 हिजरी शमसी अर्थात 2000 में उसका पंजीकरण ईरान की राष्ट्रीय धरोहर के रूप में कर लिया गया।

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