Dec १०, २०१६ १२:२७ Asia/Kolkata
  • शनिवार- 12 दिसम्बर

12 दिसम्बर सन 1800 ईसवी को वाशिंग्टन डीसी अमरीका की राजधानी घोषित किया गया।

12 दिसम्बर सन 1323 ईसवी को इटली के पर्यटक मार्कों पोलो का 69 वर्ष की आयु में निधन हुआ। वे वेनिस में जन्में थे और उन्होंने 17 वर्ष की आयु में अपने पिता के साथ लम्बी यात्रा आरंभ की। उन्होंने अपनी बीस वर्ष की यात्राओं में कई एशियायी देशों विशेषकर चीन की यात्रा की 1291 में वे अपनी मात्रृभूमि वेनिस लौट गये। वहॉ पहुँच कर उन्होंने एक पुस्तक लिखी जिसमें उन शहरों विशेष कर चीन के मंगोल शासकों के दरबार का शब्दों में चित्रण किया जिन्हें वे इस यात्रा में देख कर आए थे। अपनी इस पुस्तक से वे विश्व भर में प्रसिद्ध हो गये।

 

 

12 दिसम्बर सन 1901 ईसवी को सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक बड़ी सफलता मिली आज के दिन बिना किसी तार का प्रयोग किए रेडियायी लहरों द्वारा एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में एक वाक्य प्रसारित किया गया। उस यंत्र के अविषकारक मारकोनी थे जिससे यह वाक्य प्रसारित किया गया। इटली के भौतिक शास्त्री मारकोनी ने बाद में रेडियो का अविष्कार किया।

 

12 दिसम्बर सन 1963 ईसवी को अफ़्रीक़ा महाद्वीप के देश कीनिया ने ब्रिटेन से स्वतंत्रता प्राप्त की और इस दिन को इस देश का राष्ट्रीय दिवस घोषित किया गया। यह देश 20वीं शताब्दी के आरंभ से ब्रिटेन के अधिकार में चला गया और 1920 ईसवी से औपचारिक  रुप से ब्रिटेन का उपनिवेश बन गया। कीनिया के उपनिवेश बनते ही इस देश में जोमे किन्याता के नेतृत्व में ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध जनान्दोलन आरंभ हो गया। ब्रिटेन के श्वेतों की एकाधिकार की प्रवृत्ति और जातीय भेदभाव पर आधारित नीति ने वर्ष 1950 में इस देश को युद्ध के मुहाने तक पहुँचा दिया। श्यामवर्ण वालो के संघर्ष के अत्यंत भयंकर रुप ले लेने के बाद इस देश का संविधान पारित हुआ। जिसमें समस्त जातियों के एक समान होने को सुनिश्चित किया गया था। 1961 के चुनावों में स्थानीय लोगों ने संसद में बहुमत प्राप्त कर लिया और आज के दिन यह देश पूर्ण रुप से स्वतंत्र हुआ और एक वर्ष पश्चात इस देश में लोकतंत्रिक सरकार की स्थापना हुई तथा किन्याता राष्ट्रपति चुने गये।

 

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22 आज़र सन 1283 हिजरी शम्सी को मोहम्मद अली शाह क़ाजार नामक तत्कालीन शासक के अत्याचार के विरुद्ध तेहरान के धर्मगुरुओं और स्वतंत्रताप्रेमियों का पलायन आरंभ हुआ। यह लोग तेहरान से पलायन करके पवित्र नगर क़ुम चले गये। इसका उद्देश्य सैनिकों और जनता में टकराव को रोकना था। पलायनकर्ताओं ने तेहरान वापसी के लिए ईरान में इस्लामी क़ानून लागू करने की शर्त रखी थी।

 

22 आज़र सन 1304 हिजरी शम्सी को ईरान की संसद ने जो क़ाजार शासन श्रृंखला से पहलवी शासकों को सत्ता हस्तांतरित करने के लिए बनायी गयी थी, संविधान के एक क़ानून को बदल कर अपना कार्य आरंभ किया। इस प्रकार से ईरान में 153 वर्षीय क़ाजारी शासन का अंत और 53 वर्षीय पहलवी शासन शासन का आरंभ हुआ। दोनों ही शासन श्रृंखलाएं में आंतरिक अत्याचार और बाहरी शक्तियों के मुकाबले में अक्षमता की द्रष्टि से बहुत हद तक एक जैसी थीं।

 

22 आज़र सन 1367 हिजरी शमसी को ईरान के शोधकर्ता, अनुवादक और लेखक उस्ताद ग़ुलाम रज़ा सईदी का निधन हुआ।  उन्होंने अपने काल के प्रचलित ज्ञानों को सीखने के पश्चात अरबी, अंग्रेज़ी और फ़्रांसीसी भाषाएं सीखीं।  उसके पश्चात उन्होंने पढ़ाने का कार्य आरंभ किया।  उस्ताद सईदी ने भारत तथा पाकिस्तान की कई यात्राएं कीं।  अपनी इन यात्राओं के दौरान वे अल्लामा इक़बाल के विचारों से बहुत प्रभावित हुए।  उन्होंने अल्लामा इक़बाल की कुछ रचनाओं का अनुवाद भी किया।  उस्ताद सईदी की रचनाओं में पैग़म्बरे इस्लाम की जीवनी पर आधारित पुस्तक और अम्मार यासिर नामक पुस्तक का उल्लेख किया जा सकता है।

 

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26 रबीउस्सानी सन 465 हिजरी क़मरी को विख्यात दार्शनिक चिकित्सक और गणितज्ञ ऐनुज्ज़मान क़तान मर्वज़ी का ईरान के ख़ुरासान प्रांत के मर्व नगर में जन्म हुआ। उन्हें गणित दर्शनशास्त्र साहित्य और धार्मिक विषयों में विशेष दक्षता प्राप्त थी। किंतु उन्हें सबसे ज़्यादा लगाव चिकित्सा विज्ञान से था। वे मर्व में लोगों का इलाज करते थे उन्होंने इस विषय से संबंधित कई पुस्तकें लिखी हैं। जिनमें कैहान शिनाख़्त सबसे महत्वपूर्ण है। यह पुस्तक गणित के विषय में लिखी गयी है। सन 548 हिजरी क़मरी में उनका निधन हुआ।

 

26 रबीउस्सानी वर्ष 1363 हिजरी क़मरी को प्रसिद्ध ईरानी बुद्धिजीवी, मुजतहिद, और साहित्यकार आग़ा नजफ़ी क़ूचानी का पूर्वी नगर क़ूचान में देहान्त हुआ। आरंभिक शिक्षा के पश्चात वे उच्च धार्मिक शिक्षा के लिए पवित्र नगर नजफ़ गए और वहां के वरिष्ठ धर्मगुरुओं व बड़े शिक्षकों से ज्ञान अर्जित कर इज्तेहाद के दर्जे तक पहुंचे। फिर वह ईरान वापस आ गए। आग़ा नजफ़ी क़ूचानी ईरान में संविधान क्रान्ति के दौरान दूसरे नेताओं व धर्मगुरुओं के साथ राजनैतिक प्रक्रिया में सक्रिय थे। उसी दौरान उन्होंने पूरब की सैर नामक किताब  लिखी। इसके अतिरिक्त आग़ा नजफ़ी ने अनेक किताबें यादगार छोड़ीं जिनमें पश्चिम की सैर और पाप से बुरा बहाना उल्लेखनीय हैं।

 

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