ख़लीफ़ये क़ुल्लाबी-6
हमने पिछले कार्यक्रम में बताया कि हारून रशीद ने एक दिन अपने वज़ीर जाफ़र बरमकी के साथ भेस बदल कर नगर घूमने का निर्णय किया ताकि लोगों की स्थिति से अवगत हो सके।
हमने पिछले कार्यक्रम में बताया कि हारून रशीद ने एक दिन अपने वज़ीर जाफ़र बरमकी के साथ भेस बदल कर नगर घूमने का निर्णय किया ताकि लोगों की स्थिति से अवगत हो सके। तलवार चलाने में एक दक्ष व्यक्ति भी उसके साथ था। जब वे तीनों दजला नदी में नौकायन कर रहे थे तो उन्होंने एक व्यक्ति को देखा जिसने स्वयं को ख़लीफ़ा बता रखा था। हारून रशीद जब नकली ख़लीफ़ा को देखने में सफल हो गया तो उसने उसकी नाव का पीछा किया और नकली ख़लीफ़ा की जगह देख ली परंतु नकली ख़लीफा के रक्षकों द्वारा हारून रशीद और उसके साथियों को गिरफ्तार कर लिया गया। हारून रशीद और उसके साथियों ने स्वयं को व्यापारी बताया था। बहरहाल गिरफ्तार हो जाने के बाद नक़ली ख़लीफ़ा, हारून रशीद और उसके साथियों को अपने महल ले गया और वहां उसने शाहाना दस्तरखान लगाने का आदेश दिया। जब खाना- पीना हो गया तो संगीत शुरु हो गया और संगीत के दौरान नक़ली ख़लीफ़ा कई बार बेहोश हो गया और वह अपने वस्त्रों को फाड़ देता था। हारून रशीद ने वस्त्रों को फाड़ने के दौरान नकली खलीफा की भुजाओं पर कोड़े के घाव के चिन्ह देख लिये और यह बात उसने अपने वज़ीर जाफ़र बरमकी के कान में कही। नकली खलीफा ने दोनों को काना- फूसी करते देख लिया और उसने उसका कारण पूछा। हारून रशीद की अनुमति से उसके वज़ीर जाफ़र बरमकी ने नकली ख़लीफ़ा से घाव का कारण पूछा। नकली ख़लीफ़ा ने हारून रशीद और उसके साथियों से कहा कि मैंने आप लोगों को पहचान लिया है। उसके बाद उसने उन लोगों से आपबीती सुनाई और कहा कि मैंने अपने पिता के मरने के बाद अपने पिता के पेशे को अपनाया। पिता एक जौहरी थे। अपने पिता के पेशे को जारी रखा यहां तक कि एक दिन नगर के एक प्रतिष्ठित घर की महिला उसकी दुकान पर आती है और वह जौहरी युवा से सुन्दर हार खरीदती है और पैसा देने के लिए उसे अपने घर बुलाती है। वहां पर सुन्दर महिला अपना परिचय जाफ़र बरमकी की बहन दुनिया के रूप में कराती है और युवा को अपने साथ विवाह करने का प्रस्ताव देती है और वह भी सहर्ष स्वीकार कर लेता है। वह कहता है दुनिया जी यह मेरे लिए बड़े गर्व की बात होगी कि आप जैसी सुन्दर और प्रतिष्ठित घर की महिला मेरी पत्नी बने। बहरहाल दुनिया ने निकाह पढ़ने वाले और निकाह की गवाही देने वालों को बुला लिया। जब वे आ गये तो उसने जो हार मुझसे लिया था उसे गर्दन से उतारा और उसे निकाह पढ़ने वाले के समक्ष रख दिया और कहा मोहम्मद अली, अली जौहरी के बेटे ने मेरा चयन अपने जीवनसाथी के रूप में किया है और इस हार को मेरे मेहर में रखा है। मैंने भी स्वीकार कर लिया। उसके बाद निकाह पढ़ने वाले ने मेरा निकाह पढ़ दिया। उसके तुरंत बाद दुनिया के घर में खुशी का शोर मचा और सब विवाह का जश्न मनाने की तैयारी में जुट गये। दास- दासियां सब खुशी मना रहे थे, फल और मिठाई लोगों में बांटी गयी। मेरे विवाह का जश्न रात तक चला। उसके बाद मेहमानों ने एक- एक करके बधाई दी और हमारे लिए शुभकामनाएं की और सब चले गये। स्वामी जी! इस प्रकार मेरा और दुनिया का संयुक्त जीवन आरंभ हुआ। एक महीना बीत गया और मैं भी उसके घर से बिल्कुल बाहर नहीं गया। यहां तक कि आजीविका के लिए भी मैं घर से बाहर नहीं गया और जब से दुनिया के घर गया था तब से दुकान भी बंद पड़ी थी। मैं उसे बहुत चाहता था इस प्रकार से मैं एक मिनट के लिए भी उससे अलग व दूर नहीं रहना चाहता था। वह भी इसी तरह मुझे चाहती थी और मुझे छोड़कर घर से बाहर नहीं जाती थी क्योंकि वह डरती थी कि ईर्ष्या करने वाली महिलाएं कहीं उससे ईर्ष्या न करें और मुझे रास्ते से हटा न दें। हम दोनों बहुत ही आराम और खुशी से रह रहे थे यहां तक कि एक दिन दुनिया ने वस्त्र और हम्माम की दूसरी आवश्यक वस्तुओं को उठाया और मुझसे कहा मोहम्मद अली मैं दासियों के साथ हम्माम जा रही हूं तुम यहीं रहो और शपथ खाओ कि घर से बाहर नहीं जाओगे ताकि मैं निश्चिंत हो जाऊं। मैंने भी उसे विश्वास दिलाने के लिए शपथ खा ली और कहा कि जब तक तुम वापस नहीं आ जाती तब तक घर से बाहर नहीं जाऊंगा। उसके बाद उसने मुझसे विदा ली और दासियों के साथ हम्माम चली गयी। अभी अधिक समय नहीं गुज़रा था कि अचानक घर का दरवाज़ा खुल गया और एक सफेद बालों वाली बुढ़िया अंदर प्रांगण में आयी। उसने सलाम किया और कहा ख़लीफा के चाचा की बेटी ज़ुबैदा ने तुम्हें अपनी मेहमानी में बुलाया है। मैंने उससे पूछा क्यों? उसने कहा तुम्हारी आवाज़ की प्रसिद्धि उन तक पहुंची है और इसी कारण वह चाहती हैं कि तुम उनकी मेहमानी में भाग लो। मैंने कहा जब तक मेरी पत्नी दुनिया घर वापस नहीं आ जायेगी तब तक मैं कहीं नहीं जाऊंगा। क्योंकि मैंने उसे वचन दिया है और शपथ खाई है। बूढ़ी महिला ने कहा अगर तुम अभी नहीं आये तो संभव है कि ज़ुबैदा नाराज़ हो जायें और उसके बाद पता है कि वह तुम्हारे साथ क्या करेंगी। जब बूढ़ी महिला ने यह कहा तो मैं समझ गया कि बात मानने के लिए अलावा कोई दूसरा चारा नहीं है। यह सोचकर मैं उसके साथ चल पड़ा यहां तक ज़ुबैदा के घर पहुंच गया। ज़ुबैदा ने जैसे ही मुझे देखा कहा अच्छा तो दुनिया के पति तुम हो मैंने कहा कि जी। मैंने तुम्हारे चरित्र और रूप दोनों की सुन्दरता बहुत सुनी है अब जब मैंने तुम्हें देख लिया तो समझ गयी कि लोगों ने तुम्हारे बारे में जो कुछ कहा है वह बिल्कुल सही है। तो अब तुम थोड़ा मेरे लिए कुछ गाओ। मैंने कहा हे मुसलमानों के योग्य शासक की पत्नी आपके आदेश का पालन करता हूं। उसके बाद दासियां मेरे लिए वीणा लेकर आयीं और मैंने भी उसे लिया और गाना गाया और उसे बजाया। एक- दो घंटा गुज़र गया और गाना गाने के बाद ज़ुबैदा ने कहा सचमुच चरित्र और सूरत के सुन्दर होने के अलावा तुम्हारी आवाज़ भी बहुत अच्छी है। ईश्वर तुम्हें सलामत रखे। अब अपनी पत्नी दुनिया के लौटने से पहले तुम घर चले जाओ। मैंने उसके समक्ष आदरभाव प्रकट किया और तुरंत घर लौट आया किन्तु वही हुआ जो नहीं होना चाहिये था। मेरी पत्नी दुनिया हम्माम से वापस आ चुकी थी और वह बहुत परेशान और क्रोधित थी। वह मेरी खोज में थी। जैसे ही उसने मुझे देखा, चिल्लाई और कहा हे बेवफा मैंने नहीं कहा था कि जब तक मैं वापस न आ जाऊं तब तक तुम घर से क़दम बाहर न निकालना? तुमने शपथ नहीं खाई थी? मैं जानती हूं कि तुम्हारा दिल किसी और के पास है जैसे ही तुम मौक़ा पति हो उसके पास चले जाते हो और मुझसे विश्वासघात करते हो। उसने अपनी बातों से मुझे आग की तरह जला दिया और मैंने जो कुछ कहा उस पर उसने विश्वास नहीं किया और मैं अपनी बेगुनाही को सिद्ध नहीं कर सकता था। अंत में उसने अपने एक दास को आदेश दिया कि झूठ बोलने वाले और इस विश्वासघाती व्यक्ति का सिर क़लम कर दे और जो कुछ हमारे और इसके बीच था वह समाप्त हो चुका है।