Jan १७, २०१७ १४:०७ Asia/Kolkata

प्रकृति ने हमें बेहतर जीवन जीने के लिए हमारे आसपास बड़ी संख्या में संसाधन उपलब्ध कराए हैं। 

यह संसाधन, मानव संसाधनों और पूंजी के साथ राष्ट्रीय उत्पादन का विस्तार करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।  प्रकृति द्वारा उपलब्ध कराए गए संसाधनों में से एक, आर्द्रभूमि या वेटलैण्ड भी है।  आर्द्रभूमि का अर्थ है नमी या दलदली क्षेत्र।  आर्द्रभूमि की मिट्टी झील, नदी या विशाल तालाब के किनारे का हिस्सा होती है जहाँ भरपूर नमी पाई जाती है। इसके बहुत से लाभ हैं।

आर्द्रभूमियां या वेटलैण्ड, वास्तव में जल के महत्वपूर्ण स्रोत होने के साथ ही साथ पृथ्वी पर रहने वाले बहुत से जीवधारियों एवं वनस्पतियों के खाद्य भण्डार भी हैं जिनकी सुरक्षा की जानी चाहिए।  यह महान प्राकृतिक स्रोत, उतने ही प्राचीन है जितनी हमारी सृष्टि।  इनसे नाना प्रकार के जीव-जंतुओं का पोषण होता है।  आर्द्रभूमियां धरती के हर क्षेत्र में पाई जाती हैं।  प्रकृति के अन्य अंगों की भांति वेटलैण्ड भी धरती के संतुलन को बनाए रखने में अति महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।  इनमें नम और शुष्क दोनों वातावरण की विशेषताएं पाई जाती हैं।  यह अपनी उत्पत्ति, भौगोलिक स्थिति, जल वैज्ञानिक व्यवस्थाओं आदि के आधार पर व्यापक विविधता दर्शाती हैं। वेटलैंड, प्राकृतिक जैव-विविधता के अस्तित्व के लिए अति महत्वपूर्ण हैं।  यह प्रकृति के अत्यंत सुन्दर क्षेत्रों में से एक हैं जो शताब्दियों से कलाकारों, चित्रकारों और कवियों के लिए प्रेरणादायक रहे हैं।  आर्द्रभूमियां या वेटलैण्ड, न केवल महत्वपूर्ण जलस्रोत हैं बल्कि पानी में रहने वाले बहुत से जीवों का शरणस्थल भी हैं।

Image Caption

 

लंबाई और चौड़ाई के हिसाब से आर्द्रभूमियों, के क्षेत्रफल कम और ज़्यादा हो सकते हैं किंतु अपनी उपयोगिता के हिसाब से उनमें कोई अंतर नहीं होता।  विश्व में जहां मात्र कुछ हेक्टर के वेटलैण्ड भी पाए जाते हैं वहीं कनाडा में दस मिलयन हेक्टर के क्षेत्रफल वाले वेटलैण्ड भी मौजूद हैं।  उपयोगिता की दृष्टि से थोड़े बहुत अंतर के साथ उनमें कोई भारी अंतर नहीं पाया जाता।  खाद्ध सामग्री और ईंधन उपलब्ध कराने के साथ ही यह सैर-सपाटे का एक आकर्षक केन्द्र हैं।  इसके अतिरिक्त बहुत से लोगों की आजीविका इसपर निर्भर है।  विलुप्त होने वाले कई प्राणियों का भी यह शरणस्थल है और तूफ़ान तथा बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं को रोकने में वेटलैण्ड प्रभावी भूमिका निभाते हैं।  बहुत से विशेषज्ञों का कहना है कि आर्द्रभूमियों के बिना संसार की कल्पना भी नहीं की जा सकती।

आर्द्रभूमि ण्ड को यदि हम परिभाषित करना चाहे तो यह कह सकते हैं कि पानी से डूबा हुआ क्षेत्र।  इनमें से कुछ क्षेत्र एसे हैं जो पूरे साल पानी में डूबे रहते हैं जबकि कुछ विशेष मौसम में पानी में डूब जाते हैं।  जैव विविधता की दृष्टि से आर्द्रभूमियां विशेष महत्व की स्वामी होती हैं क्योंकि यहां की भूमि और वातावरण, विशेष प्रकार की वनस्पतियों के उगने तथा प्राणियों के जीवन व्यतीत करने में अनुकूल होते हैं।

इसकी परिभाषा के हिसाब से आर्द्रभूमियों के असंख्य लाभों के कारण यह मानव के लिये अत्यन्त महत्त्वपूर्ण हैं।  वास्तव में आर्द्रभूमियों की मिट्टी, झील, नदी, विशाल तालाब या किसी नमीयुक्त किनारे का हिस्सा होती है जहांपर भरपूर नमी पाई जाती है। भूजल स्तर को बढ़ाने में भी आर्द्रभूमियों की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। इसके अलावा आर्द्रभूमियां जल को प्रदूषण से मुक्त बनाती हैं।  बाढ़ नियंत्रण में भी इनकी भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है।

Image Caption

 

ईश्वर द्वारा प्रदान की गई आर्द्रभूमि जैसी सुनदर एवं आकर्षक विभूति, आर्थिक दृष्टि से भी विशेष महत्व रखती है।  उदाहरण स्वरूप चावल की खेती इसी प्रकार के भू-क्षेत्रों में होती है।  चावल एसा अनाज है जो विश्व की लगभग आधी जनसंख्या का भोजन है। आर्द्रभूमियाँ, जैव विविधता संरक्षण के लिये अति महत्त्वपूर्ण हैं। आर्द्रभूमियाँ बहुत सारे जीव-जंतुओं का ठिकाना और नाना प्रकार की वनस्पतियों के उगने का स्थल हैं।  विशेष बात यह है कि आर्द्रभूमियों में लगभग पांच हज़ार प्रकार की प्रजातियों की मछलियां वास करती हैं।

आर्द्रभूमियों जैसे प्राकृतिक एको सिस्सटेम के महत्व और उसके उपयोग के बारे में विशेषज्ञ और अर्थशास्त्री अध्ययन करते रहे हैं।  इन विशेषज्ञों का मानना है कि एकोसिस्टेम के माध्यम से की जाने वाली सेवाओं का मूल्य लगभग 33 ट्रिलियन डालर है जिसमें 4.9 ट्रिलियन डालर, आर्दभूमियों से की जाने वाली सेवाओं से विशेष है।  मिट्टी, पानी, वनस्पति और जीव-जंतुओं जैसी किसी वेटलैंड की रासायनिक, भौतिकी और बयोलौजिकल चीज़ें एक-दूसरे को प्रभावित करती हैं जिनसे आर्द्रभूमियों के महत्व में बढ़ोतरी होती रहती है।  आर्द्रभूमियां, बाढ़ नियंत्रण में भी विशेष भूमिका निभाती हैं।  बाढ़ के समय आर्द्रभूमि तलछट का काम करती है जिससे बाढ़ जैसी विपदा में कमी आती है। आर्द्रभूमि, पानी को सहेजे रखती है।  बाढ़ के दौरान आर्द्रभूमियां पानी का स्तर कम बनाए रखने में बहुत सहायक सिद्ध होती हैं। इसके अलावा आर्द्रभूमि, पानी में मौजूद तलछट और पोषक तत्वों को सोख लेती हैं और उन्हें सीधे नदी में जाने से रोकती हैं।

इस प्रकार से झील, तालाब या नदी के पानी की गुणवत्ता बनी रहती है। समुद्री तटरेखा को स्थिर बनाए रखने में भी आर्द्रभूमियों का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है। यह समुद्र द्वारा होने वाले कटाव से तटबन्ध की रक्षा करती हैं। आर्द्रभूमियां समुद्री तूफान और आँधी के प्रभाव को सहन करने की पूरी क्षमता रखती हैं।  इस प्रकार कहा जा सकता है कि आर्द्रभूमियां, पानी के संरक्षण का एक प्रमुख स्रोत हैं।

Image Caption

आर्द्रभूमियों से होने वाले लाभ और उनमें पाई जाने वाली विशेषताओं के कारण हमको इस प्राकृतिक स्रोत की सुरक्षा के प्रति सजग रहना चाहिए।  इसका सबसे अच्छा उपाय यह है कि उनकी सुरक्षा के लिए कुछ अन्तर्राष्ट्रीय नियम बनाए जाएं ताकि वेटलैंड्स की उचित ढंग से सुरक्षा हो सके।  इसी उद्देश्य से 2 फरवरी, 1971 को ईरान के रामसर शहर में एक अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन हुआ था।  इस सम्मेलन में आर्द्रभूमियों के संरक्षण के लिये रामसर नगर में एक अन्तर्राष्ट्रीय सन्धि हुई थी जिसे “रामसर सन्धि” के नाम से जाना जाता है। अबतक इस संधि पर 163 देश हस्ताक्षर कर चुके हैं। यह सन्धि विश्व के दुर्लभ व महत्त्वपूर्ण आर्द्रभूमियों को रामसर स्थल के रूप में चिन्हित करने के साथ ही अनेक अन्य संस्थाओं के साथ मिलकर आर्द्रभूमियों के संरक्षण के लिये जागरुकता का प्रसार करती है। इसीलिये 1997 से प्रत्येक वर्ष 2 फरवरी को विश्व आर्द्रभूमि दिवस के रूप में मनाया जाता है जिसके अन्तर्गत व्यापक रूप से आम लोगों को आर्द्रभूमियों के महत्त्व और उसके लाभों के प्रति जागरूक कराया जाता है।

Image Caption

 

भौगोलिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होने के कारण ईरान में भी बहुत से आर्द्रक्षेत्र या वेटलैंड पाए जाते हैं।  एक और बात यह है कि भौगोलिक दृष्टि से ईरान एसे स्थान पर स्थित है जहां से पलायनकर्ता पक्षियों का बहुत गुज़र होता है या दूसरे शब्दों में बड़ी संख्या में पलायनकर्ता पक्षी, ईरान में शरण लेते हैं और यह इसलिए है कि यहां पर उचित संख्या में वेटलैंड मौजूद हैं जो इन पक्षियों के शरणस्थल होते हैं।

रोचक बात यह है कि रामसर कन्वेंशन ने विश्व में 42 प्रकार के आर्द्रक्षेत्रों की पहचान की है जिनमे से 41 प्रकार के वेटलैंड ईरान में पाए जाते हैं।  इस बात से पता चलता है कि ईरान में जलवायु की दृष्टि से कितनी विविधता पाई जाती है।  क्षेत्रफल की दृष्टि से ईरान में पाए जाने वाले आर्द्रक्षेत्र लगभग 500000 हेक्टर है।

Image Caption

 

ईरान में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर का मानदंड रखने वाले 84 आर्द्रक्षेत्रों को चिन्हित किया गया है।  इनमें से 24 वेटलैंड को रामसर संधि के अन्तर्गत मान्यता मिली है।

Image Caption