Jan ३१, २०१७ १५:५४ Asia/Kolkata

ईरान के इतिहास की ही भांति ईरान के क़ालीन उद्योग ने भी बहुत उतार-चढ़ाव देखे हैं। 

अच्छे और बुरे हर प्रकार के दौर से गुज़रते हुए आज भी वह पूरी शक्ति के साथ आगे की ओर बढ़ रहा है।

ईरान के क़ालीन का इतिहास अति प्राचीन है।  शताब्दियों की यात्रा तै करते हुए वह परिपूर्णता तक पहुंचा है।  ईरान की क़ालीन बनाने की कला, एतिहासिक उतार-चढ़ाव से गुज़रती हुई आगे बढ़ती जा रही है।  एक क़ालीन डिज़ाइनर एवं लेखिका “शीरीन सूद इस्राफील” कहती है कि ईरान के क़ालीन के डिज़ाइन कभी भी पुराने इसलिए नहीं हो सकते क्योंकि उनका ईरान की पारंपरिक कलाओं से निकट का संबन्ध रहा है।  वे कहती है कि यही इन क़ालीनों की मुख्य विशेषता है।  उनका कहना है कि ईरान में प्रचलित क़ालीनों की मशहूर डिज़ाइनिंग कभी भी पुरानी नहीं हुई।  इन डिज़ाइनों में मस्जिदे इस्फ़हान के फ़िरोज़ी गुंबदों वाला डिज़ाइन, तख़्ते जमशेद के खण्डर वाला डिज़ाइन या रज़ा अब्बासी के अति प्राचीन डिज़ाइन आदि शामिल हैं।

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आपको यह भी बताते चलें कि कुछ एसे कारक भी है जिन्होंने ईरानी कलाकारों को कला के सृजन में बहुत सहायता पहुंचाई है जैसे एतिहासिक परिवर्तन, जलवायु संबन्धी विशेषताएं, आधुनिकीकारण तथा कुछ कर दिखाने की क्षमता आदि।  ईरानी क़ालीनों के अध्ययन से इसके प्रमुख कारकों का पता चलता है।

उल्लेखनीय है कि ईरान में बीसवीं शताब्दी के आरंभ तक रंगाई का काम केवल प्राकृतिक पदार्थों से ही किया जाता था।  ईरान की जलवायु कुछ इस प्रकार की है कि यहां पर नाना प्रकार की वनस्पतियां उगती हैं और तरह-तरह के पशु एवं पक्षी जीवन व्यतीत करते हैं।  इन प्राकृतिक विभूतियों के साथ ही ईरान में पाई जाने वाली खदानों के कारण ईरानी कलाकारों ने बड़ी ही निपुर्णता के साथ रंगों की आपूर्ति की है।  यह बात बिल्कुल सही है कि ईरानी क़ालीनों की विश्व ख्याति का एक अति महत्वपूर्ण कारक, रंगों का चयन है।

साक्ष्यों और विशेषज्ञों के अनुसार आदिकाल से लेकर अबतक ईरान में पारंपरिक शैली के आधार पर लगभग 3000 रंगों को उपलब्ध कराया जा चुका है।  ईरान के यज़्द, काशान और इस्फ़हान जैसे नगरों में रंगरेज़ी के कारख़ाने मौजूद रहे हैं।  यहां पर ध्यानयोग्य बात यह है कि वर्तमान समय में रायायनिक रंगों के अधिकता से प्रयोग के बावजूद क़ालीन उद्योग से जुड़े लोग, रासायनिक रंगों के स्थान पर पारंपरिक रंगों के प्रयोग को ही वरीयता देते हैं।

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ईरानी क़ालीनों की एक अन्य स्पष्ट विशेषता उसमें प्रयोग किये जाने वाले दृश्य हैं।  कुछ क़ालीन विशेषज्ञों का कहना है कि ईरानी क़ालीनों में प्रयोग किये जाने वाले दृश्यों को 19 भागों या गुटों में बांटा गया है जिनमें से कुछ के नाम इस प्रकार हैं- शाह अब्बासी शैली, इस्लामी शैली, शिकारगाह शैली, ईलयाती शैली, हिंदसी शैली और प्राचीन शैली आदि।  ऐसा भी संभव है कि एक क़ालीन में कई शैलियों का प्रयोग एक साथ किया गया हो।

ईरानी क़ालीनों का ज्ञान रखने वाले अधिकतर इन क़ालीनों को उनके डिज़ाइनों के नाम से जानते हैं।  वैसे पूरी दुनिया में ईरानी क़ालीनों के डिज़ाइन, उन स्थानों के नाम से प्रसद्ध हैं जहां वे बुने गए हैं।  उदाहरण स्वरूप एक नाम “दवीदूख़” है।  वास्तव में यह एक गांव का नाम है जो उत्तरी ख़ुरासान के “राज़ व जरगलान” नामक शहर में स्थित है।  यहां पर तुर्कमन लोग जीवन व्यतीत करते हैं।  यहां पर स्थानीय पारंपरिक क़ालीनों के अतिरिक्त तुर्कमन नस्ल के घोड़े भी होते हैं जो विश्व ख्याति प्राप्त हैं।  दवीदूख़ में बुने जाने वाले क़ालीनों में जिन डिज़ाइनों का प्रयोग किया जाता है वे बहुत ही सुन्दर एवं सराहनीय हैं जिनको विश्व ख्याति प्राप्त है।  इनकी बुनाई में रेशम का भी प्रयोग किया जाता है।  दवीदूख़ में बनाए जाने वाले क़ालीन की कला यहां की लड़कियां अपने घर की बड़ी-बूढ़ी औरतों से सीखती हैं।  इस प्रकार से शताब्दियों से यह क्रम एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक स्थानांतरित होता आ रहा है।  यहां पर बुने जाने वाले क़ालीनों को अधिक्तर आर्डर पर बुना जाता है क्योंकि अपनी विश्व ख्याति के कारण इनकी मांग बहुत अधिक है।  कनाडा, जर्मनी, आस्ट्रिया, इटली, लेबनान, रूस और जापान जैसे देशों में इन क़ालीनों को अधिक पसंद किया जाता है।

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WIPO अर्थात World Intellectual Property Organization नामक संगठन में ईरान में बने क़ालीनों का पंजीकरण किया जा चुका है।  ईरान के जिन नगरों में क़ालीन बुन जाते हैं उनके नाम इस प्रकार हैं- नतन्ज़, तबरेज़, ख़ूइ, इस्फ़हान, क़ुम, मशहद, हमदान, काशमर, काशान, किरमान, नाईन, सारूक़, अराक, अर्दबील और तुर्कमन आदि।  इन नगरों और इनके विभिन्न गावों में पारंपरिक तथा आधुनिक ढंग से क़ालीन बुने जाते हैं।  ईरान में क़ालीन की बुनाई केवल इन नगरों से विशेष नहीं है बल्कि कुछ अन्य क्षेत्रों में भी क़ालीनों की बुनाई होती है किंतु ऊपर उल्लेख किये गए नगरों के नाम अधिक मश्हूर हैं।

ईरान में ऐसे कई केन्द्र व संस्थाए हैं जो क़ालीन उदयोग के बारे में जानकारियां उपलब्ध कराते हैं।  इनमें से एक, ईरान का राष्ट्रीय क़ालीन केंद्र भी है।  यह पिछले कई वर्षों से क़ालीन के क्षेत्र में अपनी सेवाएं दे रहा है।  यह देश का अति विश्वसनीय केन्द्र है जिसने ईरान के भीतर क़ालीनों की कई प्रदर्शनियां आयोजित की हैं।  इसके अतिरिक्त यह केन्द्र विश्व के देशों में ईरानी क़ालीन को भी परिचित कराने में सराहनीय योगदान कर रहा है।

वर्ड क्राफ़्ट काउंसिल ने तबरेज़ को विश्व में क़ालीन बनाने वाले केन्द्र के नाम से पंजीकृत किया है।  संग्रहालयों, सांस्कृतिक केन्द्रों, एतिहासिक एवं इस्लामी धरोहरों और इसी प्रकार की अन्य कई विशेषताओं के कारण तबरेज़ को इस्लामी देशों के पर्यटन केन्द्र के रूप में इसका चयन किया है।  क़ालीनों के संग्रहालयों और एतिहासिक मुज़फ़्फ़रिया क़ालीन बाज़ार की उपस्थिति के कारण तबरेज़ को वर्ड क्राफ़्ट काउंसिल ने चुना है।  वर्ड क्राफ्ट काउंसिल, अन्तर्राष्ट्रीय क़ालीन प्रदर्शनियों में क़ालीनों के बुनकरों और इसके उत्पादकों को वहां पर उपस्थिति कराने में सक्रिय भूमिका निभा रही है।  इस वर्ष तेहरान में होने वाली क़ालीनों की 25वीं अन्तर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी में www.wikicarpet.com साइट का उद्धाटन किया गया जिसका व्यापक स्तर पर स्वागत किया जा रहा है।

उल्लेखनीय है कि हालिया वर्षों के दौरान क़ालीन बनाने वाले कुछ देशों ने ईरानी क़ालीनों के डिज़ाइनों की कापी करके उन्हें बाज़ार में उतारा।  इसके बावजूद ईरान के विश्व विख्यात क़ालीनों को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर विशेष महत्व प्राप्त है।