Jan ३१, २०१७ १७:०९ Asia/Kolkata

आज ईरान से निर्यात होने वाली चीज़ों में से एक महत्वपूर्ण उत्पाद हस्तशिल्प हैं।

हस्तकला प्राचीन काल से ही प्रचलित रही है। यह ऐसी कला है जो इंसान के साथ साथ इस दुनिया में आयी और उसके विकास के साथ साथ इसने भी विकास किया। पारम्परिक कला और हस्तशिल्प इंसान की आत्मा का जलवा हैं और यह इंसान के विचार, संस्कृतिक और रचनात्मकता का नमूना हैं। इस प्रकार कहा जा सकता है कि हस्तशिल्प इंसान के हाथों बनने वाला स्थिर उत्पाद है, जिसका मानवीय संस्कृति में बहुत महत्व है।

हस्तकला का महत्व इतना अधिक है कि उसे किसी भी क़ौम के विश्वासों और नैतिकता का जलवा क़रार दिया जा सकता है। इसके द्वारा कलाकारों ने प्राकृतिक स्रोतों का इस्तेमाल करके अपनी कला और रूची का प्रदर्शन किया है। दूसरे शब्दों में हस्तकला हर इलाक़े के इतिहास, वहां के लोगों के जीवन और भौगोलिक विशेषताओं को बयान करती है। आज हस्तशिल्प उत्पादों के बिना, किसी भी क़ौम या समुदाय की क़ौमी या राष्ट्रीय पहचान का पुनर्निमाण संभव नहीं है।

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हस्तकला विश्व में प्रचलित चार कलों में से एक है, जिसे छोटे कारख़ानों और घरों में स्थापित किया जा सकता है। इस उद्योग में आधुनिक तकनीक की ज़रूरत नहीं होती है, इसीलिए अधिक पूंजीनिवेश की भी ज़रूरत नहीं है। उसमें महारत रखने वाले लोग सामान्य रूप से स्थानीय लोग होते हैं, जो इस कला को अपने पूर्ववर्तियों से सीखते हैं।

हस्तशिल्प में ऐसे उत्पाद शामिल होते हैं, जो स्थानीय कच्चे माल से तैयार किए जाते हैं। उन्हें हाथों या हाथों से बनने वाले उपकरणों से बनाया जाता है। इसकी बनावट में कलाकार की रूची और रचनात्मकता झलकती है। यही विशिष्टता इन्हें और मशीनी उत्पादों को अलग करती है।

हस्तशिल्पों को कलात्मकता और उपयोगिता के मद्देनज़र एक कलात्मक उद्योग कहा जा सकता है। हस्तशिल्प उत्पादों का जहां प्रयोग किया जाता है, वहीं उन्हें कला के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है। इसलिए हस्तशिल्प उत्पादों को सामान्य रूप से उपयोगी कला का भाग माना जाता है।

कई हज़ार वर्ष पुरानी सभ्यता के मद्देनज़र, ईरान पारम्परिक कलाओं का देश रहा है। निःसंदेह इस देश के हस्तशिल्प उत्पादों का विश्व भर में एक विशेष स्थान रहा है। खुदाई में मिलने वाले इस उद्योग से संबंधित उत्पादों से पता चलता है कि ईरान में इसका प्रलचन काफ़ी पुराना रहा है। सील्क, शूश, दामग़ान, शहरे रय, ज़ाबुल और आज़रबाइजान प्रांत के इलाक़ों में मिलने वाले सुन्दर मिट्टी के बर्तन और रेश्मी कपड़े, तांबे के बर्तन, रंग बिरंगे शीशे और सुन्दर टाइलें जो ईरानी और विदेशी संग्राहलयों में रखे हुए हैं, ईरान पठारी इलाक़ों में बसने वालों की सभ्यता और कला का प्रदर्शन करते हैं।

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इस देश के कोने कोने में विभिन्न समुदाय जीवन व्यतीत करते हैं। सभी समुदाय हस्तकला में अपने पूर्ववर्तियों की संस्कृति के वारिस होते हैं। हस्तशिल्प उत्पादों में विविधता की दृष्टि से ईरान का विश्व में तीसरा नम्बर है। ईरान में 20 लाख से अधिक लोग इस उद्योद में सक्रिय हैं। ईरान के हस्तकला उद्योग में अधिक विविधता पायी जाती है, जैसे कि बुनाई, कढ़ाई, बर्तन, टाईलें, लकड़ी की वस्तुएं, चटाई, धातु से बनने वाली चीज़ें, चमड़े की वस्तुएं, पत्थर से बनने वाली चीज़ें, शीशा एवं दसियों अन्य चीज़ें। ईरान के हस्तकला उद्योग के अधिकारियों ने हस्तशिल्प उत्पादों को 15 गुटों में बांटा है, जिसमें 360 प्रकार के उत्पाद शामिल हैं।

हस्तकला उत्पादों में से एक शीशे की कला है। शीशे की कला में शीशे को विभिन्न रूप दिए जाते हैं। हाथ से तैयार किए जाने वाले शीशों का इतिहास क़रीब 4 हज़ार साल पुराना है। कलाकार शीशे के पदार्थ को पहले आग पर तपाते हैं, ताकि वह पिघल जाए। उसके बाद उसमें फूंकने के लिए विशेष पाइप का प्रयोग करते हैं और शीशे की कला में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों का प्रयोग करके शीशे को बर्तन या सजावटी चीज़ों के रूप में ढालते हैं। यह सामूहिक काम होता है, जिसमें काफ़ी महारत की ज़रूरत होती है। शीशे की एक वस्तु के उत्पाद में डिज़ाइन और रंग करने वाला, फूंकने वाला, पिघले हुए पदार्थ को उंडेलने वाला और उसे सांचे में ढालने वाला भाग लेते हैं।

शीशे की कला एक प्राचीन कला है। इसके अस्तित्व में आने के स्थान के बारे में मतभेद हैं। कहा जाता है कि इसकी शुरूआत हज़रत सुलेमान (अ) के काल में हुई। उस समय हज़रत सुलेमान के आदेशानुसार, देवों द्वारा महल बनाने के लिए शीशे की भट्टियां बनाई गईं, ताकि महल के एक भाग को इस कला से सजाया जाए।

शीशे की कला के इतिहास के बारे में कहा जाता है कि उसके अस्तित्व में आने का स्थान प्राचीन मिस्री सभ्यता, सीरिया और ईरान थे। ईरान की कला के केन्द्र के फ़ैकल्टी डा. मेहदी मक्की नेजाद ईरान में शीशे की कला के बारे में कहते हैं, शीशे की कला ईरानी परम्परा का प्रतीक है, जिसका इतिहास कई हज़ार साल पुराना है। ईरान के उत्तर पश्चिमी इलाक़े, लोरिस्तान, शूश और पेर्सोपोलिस से मिलने वाली शीशे की वस्तुओं से पता चलता है कि काफ़ी पुराने समय से इस इलाक़े में शीशे के बर्तनों का और वस्तुओं का इस्तेमाल किया जाता था।

ईरान में मिलने वाले शीशे के सबसे पुराने नमूने ईसा पूर्व से संबंधित हैं। इस कला के बेहतरीन नमूने ईलाम काल से संबंधित हैं। चुग़ाज़ंबील टैंपल से जो ईलामियों का सबसे बड़ा उपासना स्थल था, शीशे की बोतलें मिली हैं, जिससे ईरान में इस कला के प्राचीन इतिहास का पता चलता है।

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नीले रंग के दानों वाला शीशे का एक हार ईरान के उत्तर पश्चिम में मिला है, जो हज़रत ईसा से 200 साल पहले का है। सासानी काल में शीशे की कला की विशेषता, शीशे की तराश और उससे इत्रदान, प्याला, प्लेट औऱ सजावटी चीज़ों का बनाना था। इनमें से कुछ चीज़ों को आबगीने और ईरान बास्तान संग्रहालयों में देखा जा सकता है।

इस्लामी सभ्यता के सुनहरे काल में और विज्ञान के विस्तार के साथ मुस्लिम कलाकारों और उद्योपतियों को यह अवसर प्राप्त हुआ कि वे वैज्ञानिक अनुभवों के आधार पर शीशे की कला में परिवर्तन लायें। इस काल में शीशे का पूर्ण रूप से स्वरूप ही बदल गया, शीशे पर चित्रकारी होने लगी और रंगीन एवं पालिश हुए शीशे का प्रलचन शुरू हो गया। विशेष पत्थर से शीशे की तराश होने लगी और शीशे के बर्तनों पर गहरी रेखाओं को खींचा जाने लगा। कलाकार उचित तापमान पर भट्टियों में शीशे को पकाने लगे और वे शीशे पर डिज़ाईन और रंगों का इस्तेमाल करने लगे। शीशे में विभिन्न रंगों का इस्तेमाल करने के लिए कलाकार, धातु ऑक्साइडों जैसे कि कोबाल्ट ऑक्साइड, तांबा, मैंगनीज़ और सल्फ़र आदि का इस्तेमाल करने लगे। मीनाई शीशा भी इसी काल की देन है।

सल्जूक़ी और सफ़वी कालों में ईरान में शीशे की कला अपने चरम पर थी। सल्जूक़ी काल में बहुत ही सुन्दर शीशे के बर्तन, जिन पर विभिन्न प्रकार के डिज़ाइन बने होते थे, तराशे जाते थे, या उन पर चित्र बनाए जाते थे। इस काल के शीशे के उत्पादों में से अधिकांश छोटे बड़े बर्तन, बहुत ही बारीक इत्रदान और विभिन्न साइज़ों के जाम और गुलदान और छोटी सजावटी चीज़ें होती थीं। सफ़वी काल में इस पर विशेष ध्यान दिया गया। इसफ़हान, शीराज़ और काशान के अलावा ईरान के अन्य शहरों में भी शीशे के कारख़ानों का निर्माण हुआ।

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आज ईरान के निर्यात होने वाले ग़ैर पैट्रोलियम पदार्थों में हस्तशिल्प उदपाद महत्व रखते हैं। हालिया कुछ वर्षों में एशियाई, अफ़्रीक़ी, यूरोपीय और अमरीकी देशों को ईरान से एक अरब डॉलर के उत्पाद निर्यात किए गए हैं। जापान, चीन, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर, हांगकांग, लेबनान, इराक़, मिस्र, मोरक्को, ट्यूनीशिया, दक्षिण अफ़्रीक़ा, अलजीरिया, नाइजीरिया, इटली, स्वीडन, फ़्रांस, ऑस्ट्रिया, जर्मनी, स्पेन, नीदरलैंड, अमरीका, ब्राज़ील, मेक्सिको, और ऑस्ट्रेलिया ईरान के हस्तशिल्प उत्पादों का बाज़ार हैं। पिछले दो तीन दशकों से इस कला के कलाकारों ने अनुभवि उस्तादों से सीखकर, पारम्परिक और आधुनिक शैलियों को मिलाकर और नई तकनीक का प्रयोग करके विभिन्न चीज़ों का उत्पाद किया है, जिसके कारण लोगों में दिन प्रतिदिन इस कला की लोकप्रियता बढ़ती जा रही है।       

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